पिछले चुनाव यानी 2012 के विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र की 48 में से 32 सीटें जीतने वाली बीजेपी की राह इस बार बेहद मुश्किल है। न्यूज एजेंसियों के मुताबिक विपक्षी दल लगातार यह आरोप लगा रहे हैं कि गुजरात की बीजेपी सरकार सौराष्ट्र का विकास कराने में बुरी तरह नाकाम रही है। विशेष रूप से नहरों को जोड़ने और सिंचाई परियोजनाएं शुरु करने में सरकार फिसड्डी साबित हुई है। इसके अलावा बहुत सी ऐसी परियोजनाएं हैं जो अधूरी पड़ी हैं और उन्हें पूरी करने के कोई कदम नहीं उठाए गए।
सौराष्ट्र क्षेत्र के बीजेपी प्रवक्ता राजू ध्रुव इन आरोपों को गलत तो बताते हैं लेकिन यह भी मानते हैं कि कई परियोजनाएं अधूरी हैं। वे कहते हैं कि इसीलिए एक बार फिर गुजरात में बीजेपी सरकार की जरूरत है ताकि अधूरी परियोजनाएं पूरी हो सकें।
राजू ध्रुव रोज राजकोट में बने बीजेपी के नए दफ्तर में बैठते हैं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लेते हैं। सौराष्ट्र गुजरात का सबसे बड़ा रीजन है जिसमें 11 जिले शामिल हैं। लेकिन इतने बड़े भौगोलिक इलाके में बीजेपी से नाराजगी साफ नजर आ रही है।
पिछले साल सौराष्ट्र के ऊना इलाके में कथित गौरक्षकों द्वारा दलितों की पिटाई का मामला सामने आया था। इस पिटाई का कथित वीडियो वायरल हुआ था और गुजरात की बीजेपी सरकार को दलितों के गुस्से का सामना करना पड़ा था। दलितों की पिटाई का यह मुद्दा लंबे समय तक सुर्खियों मे रहा था। लेकिन बीजेपी प्रवक्ता कहते हैं कि बीजेपी ने इस घटना की हमेशा आलोचना की, क्योंकि इस घटना का सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। उनका कहना है कि इस चुनाव में यह घटना मुद्दा नहीं है।
इसके अलावा पहले नोटबंदी और फिर जीएसटी की मार ने आम लोगों और कारोबारियों को परेशान किया है। ये दोनों ही मुद्दे बीजेपी के लिए मुसीबत साबित हो रहे हैं। गुजरात में सेरेमिक टाइल्स का कारोबार करने वाले रामेश्वर पटेल कहते हैं कि नोटबंदी और जीएसटी के चलते उनके कारोबार पर बेहद बुरा असर पड़ा था, क्योंकि उनके कई कारीगर भुगतान न मिलने की वजह से काम छोड़कर चले गए थे।
वहीं, राजकोट की रहने वाली कुसुमबेन भट का कहना है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद यहां काफी विकास हो सकता था, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। कुसुमबेन अब बीजेपी के किसी भी वादे पर भरोसा नहीं कर सकतीं।
उधर गुजरात कांग्रेस के सचिव महेश राजपूत का दावा है कि इस बार के चुनाव में बीजेपी संकट में है। उन्होंने गुजरात की विजय रूपाणी सरकार पर आरोप लगाया कि उसने अपने अधिकारों का बेजा इस्तेमाल कर पाटीदार आंदोलन के दौरान हार्दिक पटेल तक को जेल में डाल दिया था। उनका कहना है कि सिर्फ पाटीदार आंदोलन और दलित मुद्दा ही नहीं, सौराष्ट्र की अधूरी पड़ी परियोजनाएं और पानी की कमी जैसी परेशानियों को निपटाने में भी बीजेपी विफल रही है।
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