गुजरात विधानसभा चुनाव में बीजेपी को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है। हाल ही में जीएसटी दरों में की गई कटौती के फैसले का प्रचार बीजेपी राज्य के विधानसभा चुनाव अभियान के दौरान अब नहीं कर पाएगी। आयोग ने निर्देश दिया है कि 178 वस्तुओं पर लगने वाले कर में कटौती के फैसले का चुनाव में प्रचार-प्रसार न किया जाए। चुनाव आयोग ने माना है कि इसका प्रचार करने से राज्य के मतदाता प्रभावित हो सकते हैं।
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जीएसटी लागू होने के बाद से ही बीजेपी सरकार को गुजरात समेत पूरे देश में आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। गुजरात में लगातार व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग जीएसटी का विरोध कर रहा है। व्यापारी मोदी सरकार के जीएसटी लागू करने के फैसले से गुस्से में हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले केंद्र सरकार ने 178 वस्तुओं पर लगने वाले कर में कटौती कर दी थी। कर में कटौती का प्रचार बीजेपी ने विधानसभा चुनाव में भी शुरू कर दिया था। बीजेपी की ये कोशिश थी कि जो लोग जीएसटी से नाराज हैं उनके गुस्से को शांत किया जाए और कर कटौती के फैसले को वोट में बदला जाए। कर में कटौती के फैसले को बीजेपी लगातार भुनाने की कोशिश कर रही थी। लेकिन चुनाव आयोग के इस निर्देश के बाद बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है।
गुजरात के सूरत में बीते जुलाई महीने में 40 हजार से ज्यादा कपड़ा व्यपारियों ने कपड़े पर जीएसटी लगाने का जोरदार विरोध किया था। इस दौरान विरोध कर रहे व्यापारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। सूरत में व्यापारियों का एक बड़ा वर्ग कपड़े के कारोबार से जुड़ा हुआ है। देश में सिंथेटीक्स कपड़े के उत्पादन का 60 फीसदी काम सूरत में ही होता है। ऐसे में विधानसभा चुनाव में इन व्यापारियों की नाराजगी बीजेपी पर भारी पड़ सकती है।
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