ग्रैमी जीतने के बाद आश्वस्त और आत्मविश्वास से लबरेज फाल्गुनी शाह बोलीं- ट्रैक ‘क्रेयान अद्भुत हैं’ और यह हर दिन नस्लीय भेदभाव का सामना करने वाले बच्चों के लिए इस बहस को और आसान बनाने की उनकी कोशिशों का नतीजा है। “कहानी तो सरल थी- सारे क्रेयान अलग-अलग रंगों के होते हुए भी एक बॉक्स में शांति से रहते हैं… जब आप बच्चों से गीत और उमंग के जरिये संवाद करते हैं, तो यह किसी व्याख्यान की तुलना में उनके दिमाग में आसानी से प्रवेश करता है।” शाह ने एक अखबार को बताया कि उनके नौ वर्षीय बच्चे ने उनसे पूछा- “अगर आप श्वेत नहीं हैं तो आप किन-किन अधिकारों से वंचित रह जाते हैं और गोरे लोग उन चीजों को आसानी से कैसे हासिल कर लेते हैं जो अश्वेतों के लिए सपना हैं।”
फाल्गुनी से रोशमिला भट्टाचार्य की लंबी बातचीत के संपादित अंश पढ़ेंः
आपने ग्रैमी में ओपनिंग परफारमेंस दी और ‘ए कलरफुल वर्ल्ड’ के लिए बेस्ट चिल्ड्रन एल्बम का अवार्ड ले उड़ीं! अब से पांच साल बाद इस शाम को किस तरह याद करना चाहेंगीं?
मुझे वैश्विक मानचित्र पर भारत का प्रतिनिधित्व करना याद आएगा। क्योंकि ग्रैमी में अगर आज मैं हूं तो इसलिए नहीं कि मैं हूं। ग्रैमी में मेरे होने का बड़ा कारण अद्भुत रूप से सुंदर भारतीय शास्त्रीय संगीत की ताकत है जो 5,000 साल बाद भी अंतरराष्ट्रीय मचों पर इस तरह जीवित है।
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2018 में आप ‘फालू बाजार’ के लिए नामांकित हुई थीं लेकिन तब ग्रैमी नहीं जीत पाई थीं। आपको लगता है, इस साल आपके पास इसकी अगली कड़ी ‘ए कलरफुल वर्ल्ड’ के तौर पर बेहतर अवसर था?
ईमानदारी से कहूं तो मैं कोई उम्मीद लेकर नहीं आई थी। मैंने पिछली बार नहीं जीता था और इस बार भी रोते हुए वापस घर नहीं जाना चाहती थी। लेकिन यह सही है कि मैं उम्मीदों, सकारात्मक सोच और प्रार्थनाओं के साथ वहां गई थी।
और फिर ग्रैमी को अपने हाथ में थामना कैसा था?
कुछ-कुछ परमआनंद जैसा। महसूस हो रहा था जैसे ईश्वरीय कृपा मुझ पर बरस रही है। इससे पहले मुझे कभी ऐसा नहीं लगा। यह न सिर्फ मेरी ‘कलरफुल’ टीम के लिए, बल्कि हर भारतीय के लिये गर्व का क्षण था। मैंने पहले ही कहा- यह मैं नहीं जिसे ट्राफी मिली है, यह वास्तव में मेरा देश है जिसे यह ट्राफी मिली है। मैं तो सिर्फ वाहक हूं।
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यह देखते हुए कि यह बच्चों का एक एल्बम है, ऐतिहासिक जीत के बाद उस एक प्रतिक्रिया को याद कीजिए जो उनसे मिली और अनूठी थी…...!
कुछ दिन पहले मेरी भतीजी ने मुंबई से मुझे मेरे एल्बम के एक गाने ‘हैप्पी’ का वीडियो भेजा था। यह मेरा लिखा पहला गाना था। उन लोगों ने इसे अपने स्कूल में कोरियोग्राफ किया था और मुझे यह कहते हुए भेजा कि- ‘देखो फूफी, ये सब आपके गाने पर नाच रहे हैं।’ हैरानी की बात है और शायद उसकी नादानी भी क्योंकि वह बहुत छोटी है- जब वे इस टुकड़े पर काम कर रहे थे, उसने किसी को यह नहीं बताया कि यह किसका गाना है और मैं उसकी क्या लगती हूं। मेरे ग्रैमी जीतने पर उसके शिक्षक ने उससे पूछा, “क्या यही वह गाना नहीं है जो हमने किया था?” और तब उसने उन्हें मेरे रिश्ते के बारे में बताया। इसके बाद तो उन बच्चियों ने मुझे इतना खूबसूरत कार्ड भेजा जो अहसास करा रहा था कि ‘हैप्पी’ गाना फेमिया की बुआ के एल्बम से था।
‘अ कलरफुल वर्ल्ड’ को लेकर सबसे बड़ी चुनौती?
हुम्म, यही कि हम सब कभी एक कमरे में नहीं हो सकते। संगीत बनाने की प्रक्रिया का एक हिस्सा एक साथ गाना-बजाना और इस जीवंत क्षण को लाइव रिकार्ड करना है। लेकिन क्योंकि मेरे दो प्रोड्यूसर स्पेन में थे और एक सैन फ्रांसिस्को में, यानी एल्बम का कुछ हिस्सा फ्लोरिडा में तो कुछ अर्जेंटीना में रिकार्ड हुआ, इसलिए सबसे मिलने का कभी अवसर नहीं मिला। और हमने अलग-अलग जगहों से काम करते हुए ही सही एक बहुत सुंदर एल्बम बनाया। लेकिन अगली बार के लिए आश्वस्त कर सकती हूं कि सबको एक साथ रखने की कोशिश करूंगी। हम कुछ लाइव रिकार्ड करेंगे और नतीजे देखेंगे।
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चलिए, 2008 की उस शाम में चलते हैं जब टाइम पत्रिका का विश्व के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों के चयन का जश्न चल रहा था। आपने वहां ‘स्लमडॉग मिलिनेयर’ के ऑस्कर विजेता एआर रहमान के साथ ‘जय हो’ गाया था और सामने अपार दर्शकों के साथ मिशेल ओबामा, अमेरिकी टॉक शो होस्ट ओपरा विन्फ्रे, फैशन डिजायनर सटेला मेकार्टनी, अभिनेत्री-गायक प्रोड्सर यू लिव टायलर मौजूद थे!
वह वाकई एक जादुई शाम थी। रहमान के साथ मेरा पहला शो था। मिशेल ओबामा, ओपरा विन्फ्रे के साथ मुझसे सिर्फ पांच फिट दूरी पर थीं। और उन्हें एक दक्षिण एशियाई लड़की को एक अन्य दक्षिण एशियाई एआर रहमान के साथ रॉक करते हुए देखना एक स्वाभाविक-त्वरित तार जुड़ने जैसा था। हमने उस शाम शायद ही बात की। वे मेरे दोस्त तो थे नहीं! लेकिन बाद में जब राष्ट्रपति बराक ओबामा और मिशेल व्हाइट हाउस में अपने पहले राजकीय रात्रि भोज के लिए तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री (मनमोहन सिंह) की मेजबानी कर रहे थे, तब उन्होंने हमें और रहमान को याद किया। यह यादगार शाम थी। संगीत ऐसा ही करता है। यह लोगों को बिना शब्दों और सीमाओं के जोड़ता है। और यह अद्भुत, शक्तिशाली उपकरण हमारे पास है।
रहमान से पहली बार मिलकर कैसा लगा था?
मैं स्टार प्रेमी थी। भले ही योयो मा और विकलेफ जीन के साथ परफार्म कर चुकी थी लेकिन रहमान के साथ परफरमेंस की बात ही अलग थी। यह इसलिए भी कि रहमान मेरे देश के थे और उन्होंने मुझे मेरे जीवन का सबसे बड़ा ब्रेक दिया। मैं उनके सबसे बड़े समर्थकों में हूं और वह मेरे बहुत करीब भरोसेमंद लोगों में से एक।
क्या यह संग साथ जारी रहेगा?
क्यों नहीं! वह जीनियस हैं और अब प्यारे दोस्त भी। जब भी न्यूयार्क आते हैं, हम उनसे मिलते हैं। जब मैं जीती, तुरंत उनका मैसेज आया।
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आप अब ग्रैमी जीत चुकी हैं, अगला बड़ा सपना क्या है?
ओह, बहुत सारे हैं… मैं भारतीय संगीत को फिर से वैश्विक मंच पर ले जाना चाहती हूं… एमी या टोनी… और हां, शायद ऑस्कर भी।
ऑस्कर भी?
हां, क्यों नहीं। मैं एक अभिनेत्री नहीं हूं लेकिन फिल्मों के लिए संगीत लिखने और गाने में मेरी रुचि है। चाहती हूं कि अपने गानों का मूवी साउंड ट्रैक प्रस्तुत करूं, शायद ऑस्कर जीतने वाले गाने में भी एक दिन गाऊं! क्यों नहीं भला ?
एक अभिनेत्री के तौर पर आपने ब्रॉडवे में नाटक क्यों नहीं किया?
हां, मैंने ब्रॉडवे में अभिनय किया है। यह ‘बंबग द म्यूजिकल’ था। सुपरहिट रहा। लेकिन मैं खुद को अभिनेत्री नहीं मानती क्योंकि इसके लिए आपको 15-16 साल तक अपनी प्रतिभा निखारने की जरूरत पड़ती है और मेरे पास कोई औपचारिक प्रशिक्षण नहीं है। लेकिन मुझे एक्टिंग पसंद है और अगर कोई चाहता है कि मैं एक्टिंग करूं तो मैं तैयार हूं। मैं यह कर सकती हूं लेकिन यह मेरी समस्या तो नहीं है… है ना?
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