प्र. फिल्म रन से ले कर बच्चन पांडेय तक का सफर कैसा रहा है ?
उत्तर: बहुत अच्छा है चुनातियों और मुश्किल भरा सफर रहा और जब चुनौतियों और मुश्किलों भरे रास्ते पर चलते हैं तो आनंद और अनुभव ज्यादा आता है। इन्सान ज़िन्दगी को और बेहतर समझ पाता है। मुझे कोई रिग्रेट नहीं है, गुस्सा नहीं है, एक कृतज्ञता का एहसास है।
प्र. आप बिहार से हैं, आपने कभी भोजपुरी फिल्मों के प्रति आकर्षण महसूस नहीं किया? वहां काम नहीं करना चाहा?
उत्तर: भोजपुरी सिनेमा से पहले ऑफर आये थे एक दो बार, चूंकि मैं चाहता भी हूं उसमे काम करना लेकिन तभी जब कहानी मेरे लायक हो, बहुत अच्छी हो क्योंकि वो मेरा मदर टंग है। कोई अच्छी कहानी मिलेगी तो ज़रूर करूंगा।
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प्र. मुंबई फिल्म उद्योग और दिल्ली में रंगमंच की दुनिया में क्या अंतर है? एक फिल्म में अभिनय एक नाटक में अभिनय से कैसे अलग है? अक्सर हमने लोगों को यह कहते सुना है कि थिएटर में काम करना ज्यादा संतोषजनक होता है?
उत्तर: दिल्ली और मुंबई थिएटर दोनों अलग अलग हैं और इनमे बहुत फर्क है। थिएटर में रंगमच की बातें होती हैं और सिनेमा में कैमरे की बातें होती हैं, दोनों अलग माध्यम हैं। थिएटर में परफॉरमेंस की रीच ऑडिटोरियम तक है और सिनेमा में 2000 से 4000 स्क्रीन या जहाँ तक पहुंच जाए।
थिएटर में काम करना काफी संतोषदायक होता है। वो अलग मीडियम है। दोनों मीडियम की अपनी अपनी अच्छाई या हैं कठिनाइया हैं तो तुलना नहीं कर सकते दोनों में। लेकिन काम दोनों में एक ही हैं- अभिनय। एक में तकनीक ज्यादा इस्तेमाल होती है। लेकिन दोनों माध्यमों को सीखना, समझना पड़ता है। फिर दोनों में बारीक फर्क समझ आ ता है और मुकम्मल फर्क पड़ता है इस अंतर को इस्तेमाल करने में।
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प्र. आपने विलेन से लेकर कॉमेडियन तक, संवेदनशील पिता और मध्यम आयु वर्ग के एक जटिल व्यक्ति जैसी विभिन्न भूमिकाएँ निभाई हैं ... आप इन भूमिकाओं के लिए कैसे तैयारी करते हैं?
उत्तर: 12 साल मैंने अभिनय में लगाये हैं। और इस काम को 20 साल से प्रैक्टिस कर रहा हूँ। और हर एक्टर का अपना तरीका है एप्रोच करने का और हर स्क्रिप्ट में एक गाइडेंस मिलती है कि किस किरदार को कैसे निभाना है, उसे कैसे अप्रोच करें और हर स्क्रिप्ट में डायरेक्टर ,राइटर से बातचीत, अपनी समझ और सूझबूझ का इस्तिमाल करके किरदारों को गढ़ा जाता है।
प्र. डिजिटल माध्यम ने फिल्म इंडस्ट्री में काफी कुछ बदल दिया है। इसके बारे में आप क्या कहना चाहते हैं?
उत्तर: एकदम बढ़िया है। बदलाव आने चाहिए। हर जगह बदलाव का स्वागत होना चाहिए। इस माध्यम की वजह से काफी कहानियों को प्लेटफार्म मिला है। बहुत सी नई और अनोखी कहानिया देखने को मिली है। प्रतियोगिता बढ़ी है, उपलब्धता भी । दुनिया भर का सिनेमा आप देख सकते हैं। OTT के कारण अभिनेताओं के पास काम ज़्यादा है और तमाम तरह की कहानियां बन रही है।
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प्र. किस तरह की फिलॉसोफी आप अपने जीवन में फॉलो करते हैं और क्या आप दूसरो से भी वही फॉलो करने को कहते हैं ?
उत्तर: मैं कभी नहीं चाहता हूँ की कोई मेरी फिलॉसोफी फॉलो करे क्यूंकि मैं फिलोसोफर नहीं हूँ। मेरी फिलॉसोफी रोज़ बनती है और रोज़ बिगड़ती है। हम आज जिस बात को मानते हैं ये ज़रूरी नहीं कि कल भी उसी को माने क्यूंकि हमारे अनुभव कल नए हो जाते हैं। जीवन में निरंतर बदलाव होते रहते हैं इसलिए मैं कुछ भी फिक्स करके नहीं चलता हूँ। मैं किसी एक फिलॉसोफी पे अडिग नहीं रहता हूँ, मैं अपने अनुभव के आधार पर कह रहा हूँ। हो सकता है वो किसी और के लिए सही न भी हो। मैं जिओ और जीने दो में यकीन रखता हूँ। सबके विचार उतने ही ज़रूरी हैं जितने मेरे खुद के।
प्र. क्या स्टारडम और फेम से आपके लाइफस्टाइल में कोई बदलाव आया है ?
उत्तर: नहीं कोई बदलाव नहीं लाया है लेकिन कुछ अलग तरह का बदलाव अब दीखता है की मास्क गा कर भीड़ भाड़ से बच के निकलना पड़ता है, मुझे इस चीज़ का दुख लगता है, बुरा लगता है कि कोई बच्चा या और भी मेरे साथ सेल्फी लेना चाहता और में नहीं दे पाता हूँ- मुझे इस चीज़ से तकलीफ होती है, लेकिन बात ये भी है की आज के दौर में अलग तरह के कंसर्न है. फिर इतनी कही भीड़ हो जाती है कि संभव ही नहीं है सारे लोगो के साथ फोटो खिचवाना फिर सुरक्षा कारण भी हैं क्योंकि covid के प्रोटोकॉल को भी फॉलो करना है कि दूरी बना कर रखें।
प्र. आपकी अभी कौन कौन सी फिल्में आने वाली हैं?
उत्तर: अभी फुकरे 3 की शूटिंग कर रहा हूँ ,एक अमेजॉन की सीरीज आएगी, रिलायंस की एक फिल्म आएगी शेर-ए-दिल और ओ माई गॉड ये सारी फिल्में आएंगी अभी।
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