बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की सरकार एक बार फिर बन गई है, लेकिन इस बार का दृश्य कुछ अलग है। नीतीश कुमार मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन इस बार एनडीए में जेडीयू नहीं बल्कि बीजेपी बड़े दल के रूप में उभरी है। इसके बाद भी नीतीश की सरकार दो छोटे दलों की बैसाखी पर टिकी है, जो चुनाव से पहले एनडीए में शामिल हुए हैं।
इस स्थिति में जहां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कोई बड़ा निर्णय लेने से पहले न सिर्फ सभी दलों के साथ सामंजस्य बनाना होगा बल्कि सभी दलों को विश्वास में भी लेना होगा। अब तक नीतीश कुमार की पहचान राजनीति में बड़े निर्णय लेने वाले के रूप में होती रही है, ऐसे में माना जा रहा है कि नीतीश के लिए अब बड़े निर्णय स्वतंत्र रूप से लेना एक चुनौती होगी।
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जेडीयू के एक नेता भी मानते हैं कि बीजेपी कोटे से उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी बनते रहे थे। उनके और नीतीश कुमार के बीच एक अच्छी समझदारी बन गई थी, जो सरकार चलाने के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा है। लेकिन अब उपमुख्यमंत्री के रूप में सुशील कुमार मोदी नहीं होंगे। इसके अलावा भी बीजेपी नीतीश के किसी भी फैसले के पीछे खड़ी रहती थी, लेकिन इस सरकार में यह उतना आसान नहीं दिखता है।
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इधर, बीजेपी के लिए भी सरकार में बड़े दल के रूप में कई चुनौतियां हैं। बीजेपी ने मंत्रिमंडल में पुराने चेहरों की जगह नए चेहरों को तरजीह देकर यह संकेत देने की कोशिश की है कि उसकी सोच नए पौधों को सींचने की होगी, लेकिन यह आसान नहीं दिखता है। नई टीम में अनुभव कम होगा, जबकि लोगों की आकांक्षा बड़ी होगी। वैसे बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने नई टीम को 'ओवर शैडो' से मुक्त करने के लिए बड़े नेताओं को मंत्रिमंडल से हटाया है। हालांकि, कहा जा रहा है कि बड़े नेताओं को कोई नई जिम्मेदारी दी जाएगी।
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वहीं, इस चुनाव में बीजेपी को भोजपुर और मगध क्षेत्र में काफी नुकसान उठाना पड़ा है, जिससे बीजेपी की चिंता बढ़ी हुई है। इधर, बीजेपी के लिए घोषणा पत्रों को लागू करना भी एक बड़ी चुनौती होगी। बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि इस सरकार में चुनौतियां हैं, लेकिन सरकार बिहार को आत्मनिर्भर बनाने की ओर चलेगी।
इसके अलावा नीतीश कुमार की नई सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती इस बार का विपक्ष होगा। कहा जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में आक्रामक चुनाव प्रचार कर सबसे बड़े दल के रूप में उभरी आरजेडी काफी आक्रामक मूड में रहेगी, जिसे बड़ी संख्या में जीत कर आए वामपंथी दलों का भी साथ मिलेगा, जिससे निपटना भी इस सरकार के लिए बड़ी चुनौती होगी।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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