पंजाब चुनाव के बीच चुनाव आयोग ने रविवार को अभिनेता और समाजसेवी सोनू सूद को मतदाताओं को प्रभावित करने की शिकायतों को लेकर उनके गृहनगर मोगा में मतदान केंद्रों पर जाने से रोक दिया। पिछले कई दिनों से, वह हाथ जोड़कर और अपने होठों पर मुस्कान के साथ घर-घर जाकर अपनी बहन मालविका सूद सच्चर के लिए लोगों का समर्थन मांग रहे थे, जो कांग्रेस से पंजाब चुनाव लड़ रही हैं।
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चुनाव अधिकारियों ने बताया कि शिरोमणि अकाली दल प्रत्याशी बरजिंदर सिंह उर्फ माखन बराड़ के एक समर्थक की शिकायत के बाद सोनू सूद की कार को जब्त कर लिया गया है। सोनू सूद को उनके घर के अंदर रहने के लिए कहा गया है। रिटर्निंग ऑफिसर सतवंत सिंह ने मीडिया से कहा, "सूद के घर के बाहर उड़न दस्ते की एक टीम तैनात की गई है।"
हालांकि, अभिनेता सोनू सूद ने आरोपों से इनकार किया है और आयोग की कार्रवाई को एकतरफा बताया है। सोनू सूद ने कहा, "मैं एक स्थानीय निवासी हूं। मैंने किसी को किसी विशेष उम्मीदवार या पार्टी को वोट देने के लिए नहीं कहा है। मैं सिर्फ मतदान केंद्रों के बाहर बने हमारे बूथों का दौरा करने जा रहा था।
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अभिनेता सोनू सूद ने कहा, “बहुत से लोग विशेष रूप से अकाली दल के लोग डरा रहे हैं, बहुत सारे बूथ में पैसे बांटे जा रहे हैं। जब चुनाव होते हैं तो पारदर्शी चुनाव होना चाहिए। मैंने एसएसपी साहब को शिकायत की है। हमारी गाड़ी वहां पर है, दूसरी गाड़ी से हम आ गए हैं।”
बता दें सोनू सूद की बहन मालविका ने पंजाब विधानसभा चुनाव की घोषणा से कुछ ही दिनों पहले राजनीति में उतरने का फैसला लिया और फिर कांग्रेस में शामिल हुईं। उन्हें मोगा में मौजूदा कांग्रेस विधायक हरजोत कमल के स्थान पर टिकट मिला है, जो बीजेपी में शामिल हो गए हैं। मालविका 2007 से कांग्रेस की गढ़ रही इस सीट को बरकरार रखने के लिए मैदान में हैं।
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मोगा में अपना पैतृक पारिवारिक व्यवसाय चलाने वाली 39 वर्षीय मालविका ने बताया था कि उन्होंने अपने भाई की तरह समाज की सेवा के लिए खुद को समर्पित करने के लिए राजनीतिक कदम उठाया है। इसके लिए वह कांग्रेस में शामिल होकर राज्य के साथ-साथ देश की सेवा करना चाहती हैं।
एक व्यवसायी परिवार में जन्मे सूद भाई-बहनों के पिता कपड़े के व्यवसाय में थे और मां शहर के सबसे पुराने डी.एम. कालेज ऑफ एजुकेशन में प्रोफेसर थीं। उनकी बड़ी बहन अमेरिका में सेटल हैं। राज्य की राजधानी चंडीगढ़ से करीब 175 किलोमीटर दूर अपने गृहनगर में सोनू सूद के बचपन के दोस्तों ने उन्हें महामारी के बीच हजारों हताश प्रवासियों का मसीहा बताया और कई वंचितों की स्कूली शिक्षा का समर्थन किया, जबकि उनके परिवार का मानना है कि उनकी समाजसेवी की भावना उनके खानदान से आई है।
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