स्कूली शिक्षा और उसमें भी खासतौर पर बोर्ड परीक्षा में बड़ा बदलाव हो सकता है। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) के मसौदे के अनुसार, कक्षा 12वीं के लिए बोर्ड परीक्षाएं दो चरणों (टर्म) में कराई जा सकती हैं। साथ ही 10वीं और 12वीं के अंतिम परिणाम पिछले क्लास के अंकों को ध्यान में रख कर तय किये जा सकते हैं।
केंद्र सरकार द्वारा गठित नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) का विशेषज्ञ पैनल साल में दो बार बोर्ड परीक्षा और 12वीं कक्षा के लिए एक सेमेस्टर प्रणाली का पक्षधर है। एनसीएफ के अनुसार बोर्ड परीक्षाओं का एक नहीं बल्कि वर्ष में कम से कम दो बार आयोजन किया जाना चाहिए।
Published: undefined
एनसीएफ यह भी सिफारिश कर सकता है कि छात्रों को इस बात की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए कि वे किस विषय की परीक्षा पहले और किस विषय की परीक्षा दूसरी बार होने वाले एग्जाम में देना चाहते हैं। यानी छात्र अपनी सुविधा अनुसार उन परीक्षाओं में पहले शामिल हो सकेंगे जिनकी तैयारी उनके द्वारा की जा चुकी है। यह पैनल विभिन्न स्कूल बोडरें में कक्षा 11 और 12 में आर्ट्स, कॉमर्स और साइंस को अलग करने वाली प्रक्रिया की बजाए साइंस और ह्यूमैनिटीज के मिश्रण की भी सिफारिश कर सकता है।
Published: undefined
सीबीएसई 10वीं की बोर्ड परीक्षा में 50 फीसदी तक एमसीक्यू और केस आधारित प्रश्न होंगे। इनका वेटेज पिछले साल तक 40 फीसदी होता था। वहीं शॉर्ट और लॉन्ग आंसरों का वेटेज 40 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी तक किया जाएगा। वहीं 12वीं की परीक्षा में 40 फीसदी सवाल एमसीक्यू आधारित होंगे।
Published: undefined
कक्षा नौंवी और 10वीं के लिए संरचना के बारे में बताते हुए एनसीएफ के मसौदे में कहा गया है कि कक्षा 10वीं को पूरा करने के लिए छात्रों को कक्षा नौंवी और 10वीं के दो वर्षों में कुल आठ-आठ पाठ्यचर्या क्षेत्रों में से प्रत्येक से दो आवश्यक पाठ्यक्रम पूरे करने होंगे। एनसीएफ को चार बार 1975, 1988, 2000 और 2005 में संशोधित किया गया है।
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के चार स्टेज हैं। इनमें फाउंडेशन, प्रीप्रेट्री, मिडिल और सेकेंड्री स्टेज शामिल हैं। सेकेंड्री स्टेज यानी कक्षा 9 से कक्षा 12 के लिए एनसीएफ को लागू किए जाने पर फिलहाल कोई आधिकारिक सूचना जारी नहीं की गई है।
Published: undefined
एनसीएफ के मुताबिक करिकुलम तैयार करने में शिक्षा बोर्डों की कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए। बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रश्न-पत्र बनाने वाले, जांच करने वाले और मूल्यांकन के लिए टेस्ट डेवेलपमेंटसे सम्बन्धित यूनवर्सिटी-सर्टिफाईड कोर्स की सिफारिश भी की जा सकती है। एनसीएफ में वोकेशनल, आर्ट्स, फिजिकल एजुकेशन को करिकुलम का अभिन्न अंग माना गया है। इसके लिए बोडरें को इन एरिया के लिए हाई क्वालिटी टेस्ट सिस्टम को तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
Published: undefined
नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क के सभी उपायों का उद्देश्य तीन विकासात्मक लक्ष्यों को प्राप्त करना है। इनमें अच्छा स्वास्थ्य और खुशहाली बनाए रखना, प्रभावकारी संप्रेषक या संवादात्मक बनाना, और सक्रिय शिक्षार्थी बनाना शामिल है। नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) छोटे बच्चों को 21वीं सदी की संज्ञानात्मक और भाषाई दक्षता से लैस करने में मदद करेगी। केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा एनसीईआरटी से कहा गया है कि वह एनसीएफ को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराने, बचपन की देखभाल एवं विकास में शामिल सभी हितधारकों को उपलब्ध कराने में सहयोग करें।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined