श्रीलंका अपने इतिहास के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, स्थिति ये है कि फिलहाल देश के लिए आर्थिक संकट से उभरने का कोई रास्ता भी नहीं दिख रहा है। पिछले कुछ समय से श्रीलंका में क्या कुछ हुआ ये भी पूरी दुनिया ने देखा। भारतीय उपमहाद्वीप में सिर्फ श्रीलंका ही नहीं बल्कि दो अन्य पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और नेपाल पर भी आर्थिक संकट का खतरा मंडरा रहा है।
इस बात को कई बार पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान भी दोहराते रहे हैं और पाक सरकार को चेतावनी भी दे चुके हैं कि अगर सरकार ने ध्यान नहीं दिया तो जल्द ही यहां पर भी श्रीलंका जैसे हालात बन जाएंगे। ऐसे में एक बार आपको पाकिस्तान और नेपाल के हालात के बारे में भी जानना चाहिए।
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पाकिस्तान में इस समय शहबाज शरीफ के हाथ में देश की कमान है। लेकिन वह महंगाई को संभाल पाने में नाकाम साबित रहे हैं।
वहां पर महंगाई की दर बढ़कर 21 फीसदी से ज्यादा पहुंच गई है। पाकिस्तानी रुपया भी अपने निचले स्तर पहुंच गया है।
आज वहां एक डॉलर के मुकाबले पाकिस्तानी रुपये की कीमत 225 रुपये हो गई है।
कहा जा रहा है कि पाकिस्तान को अगले एक साल में कर्ज चुकाने और पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार के लिए 4000 करोड़ से अधिक अमेरिकी डॉलर की दरकार होगी
यहां पर भी जरूरी चीजों के दाम बेतहाशा बढ़ चुके हैं और आम लोगों का जीवन त्रस्त है।
यहां तक बिजली संकट भी अपने चरम स्तर पर है. देश पर विदेशी कर्ज भी काफी बढ़ गया है।
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कोरोना की वजह से सबसे ज्यादा मार पर्यटन पर पड़ा है और इसका खामियाजा नेपाल को भुगतना पड़ रहा है।
भारत और पाकिस्तान की तरह नेपाल में भी खाने-पीने समेत हर जरूरी चीजों के दाम बढ़ चुके हैं। नेपाल का सार्वजनिक कर्ज जीडीपी का करीब 43% है।
महंगाई बढ़ने की वजह से बैंक खाली होते जा रहे हैं। बैंकों ने जमा प्रक्रिया को आकर्षित करने के लिए सावधी जमा यानी एफडी पर ब्याज बढ़ाकर 13 फीसदी कर दिया है।
नेपाल में भी विदेशी मुद्रा भंडार कम होने लगा है और सिर्फ साढ़े 7 महीने का भंडार बचा हुआ है।
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