देश में आए दिन मुंबई के पीएमसी जैसे बैंक फ्रॉड और पीएनबी जैसे बैंक घोटालों के सामने आने के बाद लोगों को बैंक में रखी अपनी गाढ़ी कमाई को लेकर चिंता होने लगी है और ये चिंता वाजिब भी है। क्योंकि एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि किसी भी वजह से बैंकों के दिवालिया या फिर डूबने की स्थिति में वहां के खाताधारकों को सिर्फ एक लाख रुपये ही मिलने का प्रावधान है, चाहे उसकी जमा रकम इससे कितनी भी ज्यादा क्यों ना हो। बैंकों के डूबने की स्थिति में ये प्रावधान तय किए गए हैं।
भारतीय रिजर्व बैंक के स्वामित्व वाली डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (डीआईसीजीसी) ने आरटीआई के जवाब में कहा है कि आरटीआई जवाब में कहा गया है कि डीआईसीजीसी कानून की धारा 13(1) के तहत बैंकों के दिवालिया होने या डूब जाने की स्थिति में हर खाताधारक को अधिकतम एक लाख रुपए तक दिया जाएगा। यह रकम भी बीमा कवर के रूप में दी जाती है, जिसमें विभिन्न शाखाओं में खाताधारक की जमा मूल राशि और ब्याज दोनों शामिल हैं। खास बात ये है कि इसमें आपके सभी खाते आते हैं, चाहे फिक्सड डिपॉजिट हो, करेंट अकाउंट हो या किसी और तरह का बचत निवेश हो।
हाल में हुए पीएमसी बैंक फ्रॉड का जिक्र करते हुए पूछे गए सवाल कि क्या इसके बाद इस सीमा को बढ़ाने का कोई प्रस्ताव है तो डीआईसीजीसी ने ऐसे किसी प्रस्ताव की कोई जानकारी होने से इनकार कर दिया। डीआईसीजीसी द्वारा आरटीआई के जवाब में दी गई यह जानकारी इसलिए काफी अहम हो जाती है, क्योंकि किसी बैंक के खस्ताहाल होने या डूबने पर उसका सीधा असर उस बैंक के खाताधारकों पर पड़ता है।
गौरतलब है कि पीएमसी बैंक फ्रॉड मामले में बैंक के दिवालिया होने पर भारतीय रिजर्व बैंक ने वहां के खाताधारकों द्वारा अपनी रकम की निकासी की सीमा तय कर दी थी, जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा था। इसको लेकर खाताधारकों ने कई दिनो तक विरोध भी किया। दरअसल आरबीआई ने पीएमसी बैंक में वित्तीय अनियमितताओं को देखते हुए बैंक के परिचालन प्रक्रिया पर कुछ पाबंदियां लगाते हुए प्रशासक की नियुक्ती की थी।
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