भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। रेपो रेट जहां 5.15 प्रतिशत है वहीं रिवर्स रेपो रेट 4.90 प्रतिशत है। बता दें कि यह वित्त वर्ष 2019-20 की आरबीआई की आखिरी पॉलिसी नीति समीक्षा बैठक रही, जिसमें मौजूदा रेपो रेट को ही बरकरार रखा गया है। इस समय रेपो रेट 5.15 फीसदी है। साथ ही रिवर्स रेपो रेट को भी 4.90 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है। दिसंबर की बैठक में भी ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया था। इससे पहले लगातार 5 बार कटौती करते हुए रेपो रेट में 1.35% कमी की थी
Published: undefined
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए अनुमानित विकास दर 6 फीसदी रखी है। यानी आरबीआई के अनुसार 2020-21 में देश की विकास दर 6 फीसदी रह सकती है। इनमें अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में विकास दर 5.5-6 फीसदी और तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में 6.2 फीसदी रह सकती है।
Published: undefined
दरअसल आरबीआई पर महंगाई का काफी दबाव है। आरबीआई मौद्रिक नीति बनाते समय खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। मध्यम अवधि में आरबीआई का लक्ष्य रहता है कि खुदरा महंगाई दर 4 फीसदी पर रहे। इसमें 2 फीसदी की कमी या इजाफा हो सकता है। दिसंबर में ये 6 फीसदी की अधिकतम रेंज से भी ऊपर पहुंच गई थी। इसे ध्यान में रखते हुए आरबीआई ने रेपो रेट में बदलाव नहीं किया है।
Published: undefined
रेपो रेट वह दर होती है जिस पर बैंकों को आरबीआई कर्ज देता है। बैंक इस कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के कर्ज सस्ते हो जाएंगे, जैसे कि होम लोन, गाड़ी लोन वगैरह।
Published: undefined
जैसा इसके नाम से ही साफ है, यह रेपो रेट से उलट होता है। यह वह दर होती है जिस पर बैंकों को उनकी ओर से आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में नकदी की तरलता को नियंत्रित करने में काम आती है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दे।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined