कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दुष्प्रभाव झेल रही भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए और बुरी खबर है। रेटिंग एजेंसी फिच ने चालू वित्त वर्ष 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.5 प्रतिशत की भारी गिरावट का अनुमान लगाया है। फिच ने कहा कि चालू वित्त वर्ष (2020-21) की तीसरी यानी अक्टूबर-दिसंबर की तिमाही में जीडीपी में कुछ सुधार देखने को जरूर मिलेगा, लेकिन इस बात के साफ संकेत हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार की रफ्तार सुस्त और असमान ही रहेगी।
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फिच रेटिंग्स ने कहा, “चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अपने पिछले अनुमान को हमने संशोधित कर -10.5 प्रतिशत कर दिया है। इससे पहले जून में जारी आंकड़ों में भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट के अनुमान की तुलना में अगली तिमाही के लिए 5 प्रतिशत बढ़ाया गया है।’’ एजेंसी ने इससे पहले चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में पांच प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था।
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वहीं, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारतीय अर्थव्यवस्था यानी जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। यह कोरोना संकट के इस दौर में दुनिया की तमाम प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट के सबसे उच्च आंकड़ों में से है। कोरोना वायरस महामारी की वजह से भारत समेत दुनिया के कई बड़े देशो में लॉकडाउन लगाया गया था, जिसे अर्थव्यवस्था में गिरावट की एक बड़ी वजह माना जा रहा है।
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वहीं, घरेलू रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 11.8 प्रतिशत की भारी गिरावट आएगी। इंडिया रेटिंग्स ने भी मंगलवार को चालू वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारत की जीडीपी में वृद्धि के अपने पिछले अनुमान को संशोधित कर दिया। पहले उसने भारतीय अर्थव्यवस्था में 5.3 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था, जिसे बढ़ाकर अब 11.8 प्रतिशत गिरावट की आशंका जताई है। एजेंसी ने कहा कि इंडिया रेटिंग्स का जीडीपी में 11.8 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान देश के इतिहास में अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर आंकड़ा होगा।
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कोरोना महामारी की वजह से देश में जल्दबाजी में लगाए गए सख्त लॉकडाउन के कारण हर तरह के काम-धंधे बंद पड़ गए। तमाम तरह के उद्योग-धंधे बंद हो गए। ऑफिसों से लेकर फैक्ट्रियों के बंद होने से लोगों को अपने घरों पर रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। कल-कारखाने से लेकर होटल-रेस्तरां और तमाम स्टोर पूरी तरह बंद रहे। वहीं इस दौरान यात्रा और पर्यटन भी पूरी तरह ठप हो गया। दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं इस स्थिति की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। लेकिन भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था को कहीं अधिक बड़ी चोट लगी है।
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