रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया, यूपीआई के जरिए किए जाने वाले भुगतान पर चार्ज लगा सकता है। ऐसी खबर पिछले कुछ दिनों से चर्चा में थी। लोगों की बढ़ती टेंशन के बीच आनन फानन में इस मामले में वित्त मंत्रालय को सफाई देनी पड़ी है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यूपीआई लेनदेन पर कोई सेवा शुल्क नहीं लिया जाएगा। वित्त मंत्रालय ने कहा, "यूपीआई एक डिजिटल सार्वजनिक वस्तु है जिसमें जनता के लिए अत्यधिक सुविधा और अर्थव्यवस्था के लिए उत्पादकता लाभ है। यूपीआई सेवाओं के लिए कोई शुल्क लगाने का सरकार में कोई विचार नहीं है। लागत वसूली के लिए सेवा प्रदाताओं की चिंताओं को अन्य माध्यमों से पूरा किया जाना है।"
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उन्होंने कहा, "सरकार ने पिछले साल डिजिटल इको सिस्टम तंत्र के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की थी और इस वर्ष भी डिजिटल को अपनाने और भुगतान प्लेटफार्मों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करने की घोषणा की है जो किफायती और उपयोगकर्ता के अनुकूल हैं।"
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सरकार की ओर से स्पष्टीकरण उन मीडिया रिपोर्टों के बाद आया है जिसमें दावा किया गया था कि केंद्रीय बैंक यूपीआई प्रणाली के माध्यम से किए गए प्रत्येक वित्तीय लेनदेन में शुल्क जोड़ने पर विचार कर रहा है। रिपोर्ट सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गया था और कई लोगों ने रिपोर्ट पर भारत सरकार के हैंडल के लिए स्पष्टीकरण भी मांगा था।
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एनपीसीआई (NPCI) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में हर महीने यूपीआई पेमेंट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है। आंकड़े बताते हैं कि देश में कुल 600 करोड़ ट्रांजैक्शन सिर्फ बीते जुलाई के महीने में किए गए हैं। इसमें कुल 10.2 लाख करोड रुपये की रकम की लेन-देन की गई है।
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