भविष्य में नई-नई तकनीकों की मदद से जैसे-जैसे देश और दुनिया का विकास होता जाएगा, वैसे-वैसे इंसानों की नौकरियां भी खतरे में पड़ती जाएंगी। विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की एक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है तकनीक के विकास की वजह से आने वाले वर्षो में 8.7 करोड़ लोगों की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं।
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डब्ल्यूईएफ के 'फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट-2020' में हालांकि यह बात भी सामने आई है कि इस परिवर्तन के साथ 9.7 करोड़ ऐसी कई नई भूमिकाओं का भी विकास होगा, जो मानव, मशीनें और नई प्रक्रियाओं के बीच सामंजस्य लाने में मददगार साबित होंगी। हालांकि जिन नई नौकरियों का विकास होगा, वे खत्म हो रही नौकरियों पर हावी रहेंगी। यह ठीक बीते वर्षो के विपरीत होगा, जहां नौकरियों का निर्माण धीमा रहा, जबकि नौकरियों के खत्म होने के आंकड़ों में तेजी देखी गई।"
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मंच की रिपोर्ट में कहा गया है कि नियोक्ताओं को इस बात की उम्मीद है कि साल 2025 तक कार्यबल में 15.4 फीसदी से लेकर 19 फीसदी तक की गिरावट आएगी और साथ ही नए कामों में भी 7.8 फीसदी से लेकर 13.5 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
इस रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि "इन आंकड़ों के आधार पर हम अनुमान लगाते हैं कि 2025 तक 8.7 करोड़ नौकरियां इंसानों से मशीनों में विस्थापित होंगी, जबकि 9.7 करोड़ नई भूमिकाओं का इजाद होगा, जो कि मशीन, इंसानी कार्यबल और नई प्रक्रियाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करता हुआ दिखाई देगा।"
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माना जा रहा है कि विश्व आर्थिक मंच की इस रिपोर्ट के अनुसार आने वाली परिस्थिति का सबसे बुरा असर भारत जैसे विकाशील देशों में नौकरियों पर पड़ेगा। विकासशील देशों में अगर नई तकनीकों और मशीनों ने इंसानों की जगह ली तो पहले से चली आ रही बेरोजगारी की समस्या और विकराल हो जाएगी।
(आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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