देश की आम जनता पर महंगाई की मार जारी है। पिछले कुछ वर्षो के दौरान घरेलू एलपीजी की कीमतों में बढ़ोतरी ने आम आदमी की जेब पर बोझ डाला है। एक दिलचस्प तथ्य यह है कि पिछले पांच वर्षों में रसोई गैस की दरों में 58 बार आश्चर्यजनक संशोधन किया गया है।
पेट्रोलियम मंत्रालय के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल, 2017 से 6 जुलाई, 2022 के बीच एलपीजी की कीमतों में 58 (ऊपर की ओर) संशोधन के बाद 45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
अप्रैल 2017 में एलपीजी सिलेंडर की कीमत 723 रुपये थी और जुलाई 2022 तक 45 प्रतिशत बढ़कर 1,053 रुपये हो गई।
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वहीं, रसोई गैस सिलेंडर की कीमत में यह बढ़ोतरी 1 जुलाई, 2021 से 6 जुलाई, 2022 के बीच 12 महीने की अवधि में 26 फीसदी की भारी बढ़ोतरी थी। जुलाई 2021 में इसी एलपीजी सिलेंडर की कीमत 834 रुपये थी। जुलाई 2022 तक इसकी कीमत 26 प्रतिशत बढ़कर 1,053 रुपये हो गई।
एलपीजी सिलेंडर की कीमतें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं क्योंकि वे मूल्य वर्धित कर या वैट के साथ-साथ परिवहन शुल्क पर निर्भर करती हैं। इनकी गणना कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर भी की जाती है। रसोई गैस की बढ़ती कीमतों ने आम आदमी पर बोझ डाला है, जबकि बढ़ती महंगाई के साथ-साथ बढ़ती बेरोजगारी ने आर्थिक विकास को कमजोर कर दिया है।
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गौरतलब है कि विपक्ष महंगाई को लेकर लगातार मोदी सरकार को घेर रही है। कांग्रेस महंगाई-बेराेजगारी को लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में हल्ला बोल रैली का आयोजन कर रही है।
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