भारतीय रुपए को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिकी बांड पर अधिक यील्ड और वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों ने डॉलर की मांग बढ़ा दी है।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, हालांकि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) अपने भंडार से अमेरिकी डॉलर जारी कर रुपए को स्थिर रखने में सफल रहा है, लेकिन यह एक सीमा से आगे जारी नहीं जा सकता क्योंकि भारत के विदेशी मुद्रा कोष में लगातार कमी हो रही है।
बुधवार को दोपहर से पहले के कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.27 पर कारोबार कर रहा था, जो पिछले सत्र में 83.25 पर था।
रुपए को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 83.29 के निचले स्तर से नीचे गिरने से रोकने के लिए आरबीआई विदेशी मुद्रा बाजार में लगातार हस्तक्षेप कर रहा है।
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27 अक्टूबर को जारी आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, 20 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह के दौरान भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 2.36 अरब डॉलर घटकर 583.53 अरब डॉलर रह गया। हालांकि पिछले सप्ताह देश का विदेशी मुद्रा भंडार 1.15 अरब डॉलर बढ़ गया, जिससे पांच हफ्ते की गिरावट कुछ रुकी।
6 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 14.166 अरब डॉलर घटकर पांच महीने के निचले स्तर 584.74 अरब डॉलर पर आ गया था। रूपए में ताजा गिरावट के बाद विदेशी मुद्रा भंडार और भी गिर गया है।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में किसी भी तेज गिरावट से आरबीआई के पास रुपए को स्थिर करने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करने की गुंजाइश कम है, जिससे भारतीय मुद्रा कमजोर हो जाएगी।
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