चंदा कोचर परिवार के कारोबार पर दो कंपनियों के एक समान नाम को लेकर अनगिनत सवाल उठ रहे हैं। हालांकि न्यूपॉवर रिन्यूएबल्स का आइडिया बहुत बाद में पैदा हुआ, लेकिन कोचर-आडवाणी परिवार के कारोबार के शब्दविज्ञान के तारों आपस में जुड़े हुए हैं। शुरुआत से ही उनके लिए यह साख की बात थी, जो पेंचीदा और दोषपूर्ण रही। इसके बाद निस्संदेह सर्वव्यापी वीडियोकॉन और वेणुगोपाल धूत की उत्पत्ति के बिना यह त्रिकोण अधूरा है।
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पहले क्रेडेंशियल फाइनेंस लिमिटेड (सीएफएल) की उत्पत्ति 23 जनवरी, 1985 को ब्लूमफील्ड बिल्डर्स एंड कंस्ट्रक्शन के रूप में मुंबई में हुई, जिसका रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के साथ पंजीकरण संख्या 033149 थी। यह कंपनी 1994 में कोचर परिवार के पास आ गई, जिन्होंने इसका नाम बदलकर क्रेडेंशियल फाइनेंस लिमिटेड रख दिया।
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दूसरी सीएफएल (यह बल्ब कंपनी नहीं है) कंपनी की उत्पत्ति 18 मार्च, 1992 को विल्किन फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड के रूप में हुई। इसका भी पंजीयन मुंबई स्थित आरओसी के पास हुआ और इसकी पंजीयन संख्या 065966 थी। इसका नाम 13 जून, 1993 को बदलकर क्रेडेंशियल इन्वेस्टमेंट्स एंड फाइनेंस लिमिटेड कर दिया, जिसे बाद में 27 सितंबर, 1994 को आखिरकार क्रेडेंशियल फाइनेंस लिमिटेड (सीएफएल-2) का नाम दे दिया गया।
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कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के डेटाबेस में पहली क्रेडेंशियल की प्रविष्टि में अधिकृत पूंजी 15 करोड़ रुपये दर्शाई गई है। भुगतान की गई पूंजी 10.25 करोड़ रुपये है, जिस पर 2.25 करोड़ रुपये का बकाया ऋण है। हालांकि विभिन्न प्रमुखों के तहत ऑनलाइन दाखिल किए गए दस्तावेजों में दो बैंकों से लिया गया 8.20 करोड़ रुपये का कर्ज दिखाया गया है। एसबीआई होम फाइनेंस, कोलकाता से 31 अगस्त, 1996 को 20 फीसदी सालाना दर पर 4.70 करोड़ रुपये का कर्ज और इंड्सइंड बैंक, मुंबई से भारतीय रिजर्व बैंक की दर और मार्जिन पर 3.50 करोड़ रुपये का कर्ज 24 जुलाई, 1997 को दिखाया गया है।
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बैंकों के पास कर्ज के सारे दस्तावेज दीपक कोचर ने प्रस्तुत किया है, जिन पर उनके हस्ताक्षर हैं। एसबीआई होम फाइनेंस के कर्ज में वीडियोकॉन इंटरनेशनल के प्रबंध निदेशक के हस्ताक्षर हैं।कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय के डेटाबेस में दूसरी क्रेडेंशियल की प्रविष्टि बताती है कि इसकी अधिकृत पूंजी पांच लाख रुपये है, जिनमें भुगतान पूंजी शून्य है और यह परिशोधन के अधीन है। हालांकि इसका बकाया कर्ज 26 करोड़ रुपये है।
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एक बार फिर हम इन दोनों कंपनियों से वीडियोकॉन के संबंध की बात करते हैं। वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत कोचर परिवार के सहयोग से किसी कारोबारी की बात से इनकार करते रहे हैं, हालांकि न्यूपॉवर के साथ उनका संबंध आखिरकार प्रमाणित हो चुका है।
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क्रेडेंशियल फाइनेंस (सीएफएल-1) में वीडियोकॉन इंटरनेशनल के सबसे ज्यादा अधिमान शेयर (100 रुपये प्रति शेयर मूल्य) हैं, जो 31 मार्च, 2000 को कंपनी के नाम दर्ज हैं। कुल 5,32,250 अधिमान शेयरों में वीडियोकॉन इंटरनेशनल के पास 1,50,000 शेयर हैं। कोचर परिवार के कई सदस्यों -दीपक, राजीव, उनकी पत्नी मोनिका, चंदा विनोदिनी (दीपक और राजीव की मां) और आरती कोचर के पास क्रमश: 898 शेयर, 625 शेयर, 473 शेयर, तीन शेयर, दो शेयर और दो शेयर थे। इसके अतिरिक्त आरोप है कि कोचर परिवार की फर्जी कंपनियों एबीएस कंपोनेंट्स, मॉडर्न फैशंस और केजी कंप्यूटर्स के पास क्रमश: 1,25,000 शेयर, 1,20,000 शेयर और 8,750 शेयर थे।
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क्रेडेंशियल फाइनेंस (सीएफएल-2) में 31 मार्च, 2000 से लेकर 30 सितंबर, 2014 के दौरान कुल 56,34,500 शेयर थे। 30 सितंबर, 2014 को क्रेडेंशियल होल्डिंग्स के नाम 10 रुपये प्रति शेयर मूल्य के कुल 8,49,700 शेयर, दीपक कोचर के पास 30,385 शेयर, चंदा कोचर के पास 2,835 शेयर, मोनिका कोचर के पास 3,750 शेयर, वीडियोकॉन इंटरनेशनल के पास 10,00,000 शेयर, राजीव कोचर के पास 29,985 शेयर, फर्जी कंपनी मॉर्डन फैशन प्राइवेट लिमिटेड के पास 3,74,300 शेयर, एबीएस कंपोनेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के पास 4,56,000 शेयर और कोचर परिवार के अन्य सदस्य महेश आडवाणी के पास 20,420 शेयर, नीलम आडवाणी के पास 20,420 शेयर, वीडियोकॉन में लंबे समय तक कर्मचारी रहे एस.के. शलगिकर के पास 59,700 शेयर और विनोदिनी कोचर व विरेंद्र कोचर के पास 15-15 शेयर थे।
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अब बंद हो चुकी कंपनी क्रेडेंशियल फाइनेंस को चंदा कोचर के पति और रिश्तेदार (पति के भाई) चलाते थे। कंपनी के बकाये का भुगतान उनके कई अज्ञात शुभेच्छुओं ने किया। चंदा कोचर भी कभी इस कंपनी में शेयरधारक थीं और मार्च 2009 में कंपनी कई कर्जदाताओं के साथ समाधान के लिए अदालत गई।
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बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, कम से कम एक कंपनी में बैंक इंडो स्वेज (अब इसे कलयोन बैंक के नाम से जाना जाता है) को क्रेडेंशियल फाइनेंस की ओर से शुभेच्छुओं ने 40 लाख रुपये का भुगतान किया।
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किस्मत की बात थी कि कंपनी के निदेशक भी रातोंरात बदल गए। चंदा कोचर के पति और क्रेडेंशियल के पूर्व प्रबंध निदेशक के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई से पहले विभिन्न कर्जदाताओं के साथ समाधान भी किया गया। आईसीआईसीआई द्वारा जारी पे ऑर्डर के माध्यम से हिस्सों में बकाए का भुगतान किया गया। हालांकि बैंक ने ग्राहक की गोपनीयता के नियमों के कारण पे ऑर्डर के क्रेता या धन निकालने वालों की पहचान का खुलासा नहीं किया।
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