टाइम्स नाउ के साथ इंटरव्यू के दौरान जब एंकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहला सवाल पूछा तो उन्होंने बहुत ही उदारता से कहा था कि वे खुद अपने काम का आकंलन करें, अच्छा नहीं लगता। दरअसल सवाल यह पूछा गया था कि, आपकी सरकार का साढ़े तीन साल से ज्यादा वक्त हो गया है। इस दौरान काफी कुछ हुआ। आपकी क्या उपलब्धियां हैं और क्या करना छूट गया है?
पीएम मोदी ने इस सवाल का करीब ढाई सौ शब्दों में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि देश को उनके काम का आंकलन करना चाहिए। और यहां तक कह दिया कि वे तो डिस्टिंक्शन से पास हुए हैं। लेकिन साथ ही उन्होंने कहा कि अगर उनके काम का आंकलन करना ही है तो वे चाहेंगे कि देश यूपीए सरकार के शासनकाल और उनकी सरकार के दौर के कामकाज की तुलना करे, तभी सही तस्वीर सामने आएगी और लोगों को सच का पता चलेगा।
प्रधानमंत्री की इसी बात का कर्नाटक कांग्रेस ने जवाब दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में कुछ आंकड़ों के साथ यूपीए शासनकाल और मोदी सरकार के दौर के कामकाज की तुलना की गई है।
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ग्राफिक्स के जरिए पेश इस वीडियो में जो सबसे पहला आंकड़ा दिखाया गया है, वह है जीडीपी की विकास दर। इसमें बताया गया है कि यूपीए सरकार के दौर में 2004 से 2008 के दौरान जीडीपी विकास दर औसतन 8.9 फीसदी रही, जबकि मोदी सरकार के दौर में 2014 से 2018 के बीच औसत विकास दर 7.2 फीसदी रही है। यानी करीब दो फीसदी की कमी।
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इसी तरह कृषि क्षेत्र की विकास दर को इसी अवधि में बताया गया है कि यूपीए शासन में कृषि क्षेत्र की विकास दर 3.8 फीसदी थी, जो मोदी सरकार में आधी गिरकर 1.9 फीसदी रह गई है।
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एक और आंकड़ा इस वीडियो में है। यह आंकड़ा उस विषय पर है जिसकी आज सब तरफ चर्चा है। यह है रोजगार से जुड़ा हुआ। बताया गया है कि यूपीए सरकार में 2009 से 2011 के बीच 28.01 लाख रोजगार सृजित हुए, जबकि मोदी सरकार के दौरान 2014 से 2018 के बीच महज 8.08 लाख रोजगार ही पैदा हुए।
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आम लोगों की जिंदगी से जुड़े एक और आंकड़े को पेश करते हुए बताया गया है कि 2009 में एलपीजी सिलेंडर के दाम 279 रुपए 70 पैसे थे, जो 2017 में बढ़कर 479 रुपए 77 पैसे हो गए हैं।
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सरकार देश की आर्थिक सेहत की बात करती है, लेकिन इस वीडियो में पेश आंकड़े कुछ और तस्वीर पेश करते हैं। इसके मुताबिक 2013-14 में देश पर अंदरुनी कर्ज 42.4 लाख करोड़ था,जो मोदी सरकार में 2017-18 के दौरान 61.8 लाख करोड़ हो गया है।
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इसी तरह बाहरी कर्ज का आंकड़ा भी अलग तस्वीर पेश करता है। इसमें बताया गया है कि 2013-14 में देश पर बाहरी कर्ज 37.44 लाख करोड़ था, जो 2017-18 में बढ़कर 43.72 लाख करोड़ हो गया है।
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अंत में इस वीडियो में ऐसा आंकड़ा पेश किया गया है, जिसमें मोदी सरकार, यूपीए सरकार से आगे है। यह आंकड़ा है सरकार के कामकाज के प्रचार पर खर्च होने वाले पैसे का। आंकड़ों के मुताबिक यूपीए के दौर में प्रचार पर प्रति वर्ष सिर्फ 265.82 करोड़ रुपए खर्च हुए, जबकि मोदी सरकार में यह खर्च बढ़कर 1071.56 करोड़ रुपए प्रति वर्ष हो गया है।
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वीडियो के आखिर में कहा गया है कि प्रधानमंत्री की सलाह पर पेश आंकड़े देश के सामने हैं, और लोगों को तय करना है कि बिना काम किए सिर्फ प्रचार के सहारे अपने काम गिनाने वाली सरकार सबके सामने है।
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