वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की संवृद्धि दर पिछले साल की समान अवधि से घटकर 5.8 फीसदी रह गई है। वित्त वर्ष 2017-18 की चौथी देश की जीडीपी विकास दर 7.7 फीसदी थी।
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केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2018-19 में देश की जीडीपी वृद्धि दर 6.8 फीसदी रही, जोकि जीडीपी विकास दर का पिछले पांच साल का सबसे निचला स्तर है। आंकड़ों के अनुसार, देश की आर्थिक विकास दर घटने का मुख्य कारण कृषि और खनन क्षेत्र की संवृद्धि दर में कमी है। कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन क्षेत्र की संवृद्धि दरन वित्त वर्ष 2018-19 में 2.9 फीसदी रही जबकि पिछले साल यह पांच फीसदी थी। आलोच्य वित्त वर्ष में खनन व उत्खनन क्षेत्र की संवृद्धि दर 1.3 फीसदी रही जबकि उससे पिछले साल यह 5.1 फीसदी थी।
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वहीं, वित्त वर्ष 2018-19 में देश का राजकोषीय घाटा जीडीपी का 3.4 फीसदी रहा। यह दर बजट के 3.40 प्रतिशत के संशोधित अनुमान की तुलना में कम है। राजकोषीय घाटे के बजट के संशोधित अनुमान से कम रहने का कारण टैक्स से अन्यत्र अन्य मदों में प्राप्त होने वाले राजस्व में वृद्धि और खर्च का कम रहना है।
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केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के आधार पर कहा जा सकता है कि 31 मार्च 2019 के आखिर में राजकोषीय घाटा 6.45 लाख करोड़ रुपये रहा, जबकि बजट में राजकोषीय घाटे के 6.34 लाख करोड़ रुपये रहने का संशोधित पूर्वानुमान व्यक्त किया गया था। इस बार राजकोषीय घाटे के आंकड़े बढ़े हैं, लेकिन जीडीपी के बढ़े आंकड़े से इसकी तुलना करने पर यह 3.39 प्रतिशत रहा है।
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वहीं सरकार ने अब ये मान लिया है कि देश में बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों में सबसे अधिक है। श्रम मंत्रालय ने शुक्रवार को बेरोजगारी के आंकड़े जारी कर दिए हैं। सरकार ने कहा है कि 2017-18 में बेरोजगारी की दर 6.1 फीसदी रही, जो 45 वर्षों में सर्वाधिक है।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
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