देश की अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है। शेयर बाजार में गिरावट का दौर जारी है। ऑटो सेक्टर्स भी मंदी के दौर से गुजर रहा है। वहीं अर्थशास्त्री भी भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत पर चिंता जता चुके हैं। एक प्रसिद्ध भारतीय अर्थशास्त्री के अनुसार, मोदी सरकार की नीतियों ने भारतीय अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर मंदी और चार दशक की उच्च बेरोजगारी ला दी है।
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ऑक्सफोर्ड से शिक्षित अर्थशास्त्री पुलापरे बालाकृष्णन ने एक हालिया शोधपत्र में कहा कि साल 2014 से ही मैक्रोइकॉनमिक नीतियां अर्थव्यवस्था को सिकुड़ाने वाली रही है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था में मांग कम हो गई है। स्थिति को चिंताजनक होता देख अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ हाई लेवल मीटिंग की। सूत्रों के मुताबिक, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त मंत्रालय के बड़े अधिकारियों के साथ बैठक में देश की आर्थिक स्थिति का जायजा लिया गया और इसे सुधारने के लिए बड़े कदम उठाने को कहा गया। प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री से शेयर बाजार में आई गिरावट, आर्थिक धीमेपन और ऑटो सेक्टर्स में फिर से जान फूंकने के लिए इनकी समीक्षा कर ठोस कदम उठाने को कहा है।
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देश के विभिन्न सेक्टर्स में आर्थिक धीमापन है, इससे देश का आर्थिक विकास दर घट गया है। जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी घटकर 5.8 प्रतिशत रह गई है, जो पांच साल में सबसे कम है।देश की अर्थव्यवस्था को फिर से गति देने के लिए सरकार की तरफ से जल्द बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। ऑटो और रियल्टी सेकटर्स में बिक्री गिरने और इनवेंट्री बढ़ने से दिक्कते बढ़ी है। इसके साथ ही शेयर बाजार में भी गिरावट का दौर जारी है। कहा जा रहा है कि विदेशी निवेशक सरचार्ज की वजह से भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली कर रहे हैं। सूत्रों की मानें तो सरकार एफपीआई पर लगाने वाले सरचार्ज में भी बदलाव कर सकती है।
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सूत्रों की मानें तो अब अर्थव्यवस्था को धार देने के लिए वित्त मंत्रालय देश की इंडस्ट्रीज के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज पर काम कर रहा है, जिसमें कर कटौती, सब्सिडी और अन्य प्रोत्साहन समेत कई वित्तीय कदम उठाए जा सकते हैं। इस पैकेज का लक्ष्य उद्योगों की लागत घटाने के साथ-साथ ऐसे उपाय भी करना है, जिससे ईज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा मिले। सरकार ऑटो सेक्टर के जीएसटी रेट को 28% से घटाकर 18% करने के साथ ही रजिस्ट्रेशन फीस और रोड टैक्स में भी कमी कर सकती है। सूत्रों के मुताबकि रियल एस्टेट सेक्टर के लिए भी सरकार प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान कर सकती है।
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