भारतीय शेयर बाजार में गुरुवार को तेजी लौटी और बीएसई सेंसेक्स 820 अंक चढ़कर बंद हुआ। वैश्विक शेयर बाजारों में तेजी के बीच रिलायंस इंडस्ट्रीज और इन्फोसिस जैसी बड़ी कंपनियों के शेयरों में लिवाली से बाजार बढ़त में रहा। तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 819.69 अंक यानी 1.04 प्रतिशत की बढ़त के साथ 79,705.91 अंक पर बंद हुआ। सेंसेक्स बढ़त के साथ खुला और कारोबार के दौरान एक समय 1,098.02 अंक तक चढ़ गया था। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 28 लाभ में जबकि दो नुकसान में रहे। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 250.50 अंक यानी 1.04 प्रतिशत उछलकर 24,367.50 अंक पर बंद हुआ।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ‘‘अमेरिका में बेरोजगारी दावों के सकारात्मक आंकड़े से मंदी की आशंका दूर हुई है। इससे बाजार पर अच्छा असर पड़ा है।’’ सेंसेक्स में शामिल कंपनियों में महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स, टेक महिंद्रा, जेएसडब्ल्यू स्टील, भारतीय स्टेट बैंक, एचसीएल टेक्नोलॉजीज, रिलायंस इंडस्ट्रीज और इन्फोसिस सबसे ज्यादा लाभ में रहीं। वहीं कोटक महिंद्रा बैंक और मारुति के शेयर नुकसान में रहे।
शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बृहस्पतिवार को 2,626.73 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 0.03 प्रतिशत की बढ़त के साथ 79.18 डॉलर प्रति बैरल रहा। बीएसई सेंसेक्स बुधवार को 581.79 अंक टूटा था, जबकि एनएसई निफ्टी में 180.50 अंक का नुकसान रहा था।
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भारत में हवाई यात्रियों की संख्या में जुलाई में इजाफा देखने को मिला है। बीते महीने कुल 1.31 करोड़ यात्रियों ने घरेलू उड़ान भरी। सालाना आधार पर इसमें 8.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है, पिछले वर्ष समान अवधि में यह संख्या 1.21 करोड़ थी। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। क्रेडिट रेटिंग एजेंसी आईसीआरए की रिपोर्ट में बताया गया कि घरेलू एयर ट्रैफिक प्री-कोविड स्तर से 10 प्रतिशत अधिक हो गया है। जुलाई 2019 में 1.19 करोड़ यात्रियों ने विमान से सफर किया था। देशभर में अप्रैल से जुलाई के बीच 5.33 करोड़ लोगों ने घरेलू उड़ान भरी है। पिछले साल यह संख्या 5.06 करोड़ थी। यह संख्या प्री-कोविड से 13.2 प्रतिशत ज्यादा है। वित्त वर्ष 20 के पहले चार महीनों में 4.71 करोड़ यात्रियों ने विमान से उड़ान भरी थी। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारतीय विमान कंपनियों से उड़ान भरने वाले यात्रियों की संख्या सालाना आधार पर बढ़कर 80.5 लाख हो गई है, जो कि पिछले साल समान अवधि में 68.9 लाख थी। प्री-कोविड स्तर में यह आंकड़ा 54.1 लाख था।
आईसीआरए ने भारतीय एविएशन इंडस्ट्री के आउटलुक पर कहा कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विमान यात्री ट्रैफिक में वित्त वर्ष 2025 में तेजी जारी रहने की उम्मीद है। इसकी वजह स्थिर आर्थिक माहौल का होना है। रेटिंग एजेंसी ने कहा, "वित्त वर्ष 2024 में देखी गई वृद्धि वित्त वर्ष 2025 में भी जारी रहने की उम्मीद है। हालांकि, मौजूदा स्तरों से यील्ड में विस्तार सीमित होगा।" विमान कंपनियों की ओर से भी क्षमता का विस्तार किया जा रहा है। जुलाई 2024 में 91,632 प्रस्थान हुए थे, जिनकी संख्या जुलाई 2023 में 87,086 थी। इसमें सालाना आधार पर 5.2 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। जुलाई 2024 में प्रतिदिन 2,956 औसत प्रस्थान हुए हैं। जुलाई 2023 में 2,809 औसत प्रस्थान हुए थे।
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भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के शेयरों में शुक्रवार के कारोबारी सत्र की शुरुआत में 3 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया। इसकी वजह कंपनी द्वारा जून तिमाही के मजबूत नतीजे पेश करना था। एलआईसी का शेयर 1,159 रुपये के भाव पर खुला। अप्रैल-जून की अवधि में देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी के मुनाफे में सालाना आधार पर 9 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई है और कंपनी की नेट प्रीमियम इनकम में 16 प्रतिशत का उछाल आया है। वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में कंपनी ने 35 लाख इंश्योरेंस पॉलिसी की ब्रिकी व्यक्तिगत कैटेगरी में की है। इसकी संख्या एक साल पहले 32 लाख थी। चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में कंपनी की नेट प्रीमियम से होने वाली आय बढ़कर 1.14 लाख करोड़ रुपये रही, जो कि पिछले साल समान अवधि में 98,755 करोड़ रुपये पर थी। एलआईसी के नए बिजनेस से प्रीमियम आय 13.67 प्रतिशत बढ़कर 11,892 करोड़ रुपये रही है। एलआईसी के सीईओ और एमडी
सिद्धार्थ मोहंती ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में हमने 35,65,519 पॉलिसी की ब्रिकी की है। यह आंकड़ा वित्त वर्ष 2023-24 की जून तिमाही में 32,16,301 था। कंपनी की ओर से पॉलिसी की बिक्री में 10.86 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है। एलआईसी देश की सबसे बड़ी इंश्योरेंस कंपनी है। इसकी बाजार हिस्सेदारी 64.02 प्रतिशत है। कंपनी का शेयर बीते एक वर्ष में 76 प्रतिशत से ज्यादा का रिटर्न निवेशकों को दे चुका है। वहीं, इस वर्ष की शुरुआत से अब तक यह 35 प्रतिशत बढ़ चुका है। कंपनी का मार्केट कैप करीब 7.20 लाख करोड़ रुपये का है। चालू वित्त वर्ष की जून तिमाही में एलआईसी की ओर से 17,000 करोड़ रुपये का निवेश शेयरों में किया गया है।
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फोनपे ने शुक्रवार को अपने प्लेटफॉर्म पर प्री-अप्रूव्ड टर्म लाइफ इंश्योरेंस फीचर शुरू करने की घोषणा की। इस फीचर का उद्देश्य पॉलिसी खरीदते समय आय के प्रमाण की आवश्यकता को समाप्त कर लाखों भारतीयों के लिए बीमा कवरेज को अधिक सुलभ और किफायती बनाना है। इस लॉन्च के साथ फोनपे भारत में वित्तीय समावेशन के एक नए युग की शुरुआत कर रहा है, जिसमें बीमा उत्पादों को समावेशी बनाया गया है, साथ ही व्यापक आय सत्यापन की आवश्यकता के बिना जीवन बीमा कवरेज तक त्वरित और सुविधाजनक पहुंच का अतिरिक्त लाभ भी दिया गया है। कंपनी ने अपने प्लेटफॉर्म पर इस सुविधा को सक्षम करने के लिए प्रमुख बीमा कंपनियों के साथ भागीदारी की है।
यह भागीदारी बीमा प्रदाताओं को अब अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ 30 मिलियन से अधिक व्यक्तियों की सहायता करती है, जो पहले आय प्रमाण की कमी के कारण टर्म बीमा का लाभ नहीं उठा पाते थे। लाखों फोनपे उपयोगकर्ता जिनमें व्यापारी, गिग वर्कर और कई अन्य उपयोगकर्ता समूह शामिल हैं, जिनके पास वेतन या आय का औपचारिक प्रमाण नहीं है, वे अब फोनपे प्लेटफॉर्म पर टर्म इंश्योरेंस उत्पादों का लाभ उठा सकते हैं। वास्तव में कंपनी इस ऑफर को बहुत अधिक बढ़ाने और इस वर्ष के अंत तक इसे 50 मिलियन उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाने के लिए अपनी पहुंच का विस्तार करने पर काम कर रही है।
फोनपे इंश्योरेंस ब्रोकिंग सर्विसेज के सीईओ विशाल गुप्ता ने कहा, ''हम अपने प्लेटफॉर्म पर प्री-अप्रूव्ड सम एश्योर्ड सुविधा के लॉन्च की घोषणा करते हुए उत्साहित हैं। इस लॉन्च का उद्देश्य विभिन्न सामाजिक-आर्थिक स्तरों के भारतीयों के लिए उत्पादों को अधिक सुलभ और किफायती बनाकर पहले से वंचित ग्राहकों को टर्म लाइफ इंश्योरेंस के दायरे में लाना है।''
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बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद उत्पन्न स्थिति का बिहार के कारोबार पर भी असर दिखने लगा है। बांग्लादेश संकट का प्रभाव बिहार के खासकर सीमांचल के रेडीमेड, गमछा, लुंगी और सूती वस्त्र व्यवसाय पर दिखने लगा है। इसके अलावा मछली बाजार भी इससे प्रभावित हुआ है। भागलपुर और मुजफ्फरपुर के व्यवसायियों के मुताबिक, यह स्थिति जल्द नहीं सुधरी तो दशहरा, दीपावली और छठ पर भी असर पड़ सकता है। सिल्क नगरी भागलपुर में 'प्लानेट फैशन' के स्टोर प्रबंधक मनीष कुमार ने कहा कि इस संकट का भविष्य में लाभ हो सकता है, लेकिन फिलहाल परेशानी ही है। ज्यादातर टॉप ब्रांड की कंपनियां अपने पैंट-शर्ट का काम बांग्लादेश से ही कराती हैं। दुर्गा पूजा आने वाली है, इसे लेकर समस्या बढ़ेगी। उन्होंने बताया कि छोटे व्यापारी जरूरत पड़ने पर तुरंत बांग्लादेश से सामान मंगवाते हैं। ऑर्डर करने पर एक हफ्ते के बाद उनका सामान मिल जाता है। ऐसे लोगों को और परेशानी हो रही है। कुछ लोगों के ऑर्डर फंस गए हैं। ऑर्डर के लिए दिए एडवांस भी फंस गए हैं।
व्यापारियों का मानना है कि बांग्लादेश में श्रम सस्ता होने के कारण वहां से सस्ते दर पर रेडीमेड कपड़े तैयार कर भेजे जाते हैं। भारतीय बाजार में इसकी खूब बिक्री हो रही है। कुछ दिनों तक अगर वहां की सरकार नहीं संभली तो मुजफ्फरपुर, भागलपुर सहित भारतीय व्यापार पर असर पड़ेगा। सूती वस्त्र, लुंगी और गमछा के व्यापार पर भी इसका प्रभाव पड़ने की संभावना है। वैसे, भागलपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष संजीव कुमार इसे पॉजिटिव भी मानते हैं। उनका कहना है कि इसका भविष्य में अच्छा असर दिखेगा। अभी बड़ी मात्रा में बांग्लादेश से रेडीमेड का व्यपार होता है, लेकिन देश में ही कई इलाकों में इसका उत्पादन होता है। ऐसी स्थिति में अब लोगों की निर्भरता इन इलाकों पर बढ़ेगी और व्यापार बढ़ेगा। मुजफ्फरपुर के मछली बाजार पर भी इसका असर दिख रहा है। बांग्लादेश से आने वाली मछलियां बाजार में नहीं पहुंच रही हैं। मछली व्यापारी मोहम्मद रिजवान हावड़ा में रहकर मछली का व्यापार करते हैं। उनका कहना है कि बांग्लादेश से टेंगरा, भेटकी, पालदा, पॉम्फ्रेट समेत विभिन्न प्रकार की मछलियां यहां की बाजार में आती थी, लेकिन अब यह मछलियां नहीं आ रही है। जो मछलियां पहुंच भी रही हैं वह खराब हो जा रही हैं।
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