अर्थतंत्र

अर्थजगतः पेटीएम सीईओ को सेबी ने भेजा कारण बताओ नोटिस और सेंसेक्स 612 अंक चढ़ा, निफ्टी 25,000 अंक के पार

करोड़ों रुपये के कथित चिटफंड घोटाले में आरोपी और तिहाड़ जेल में बंद पर्ल्स ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक निर्मल सिंह भंगू का सोमवार को पश्चिमी दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया।

पेटीएम सीईओ को सेबी ने भेजा कारण बताओ नोटिस
पेटीएम सीईओ को सेबी ने भेजा कारण बताओ नोटिस  फोटोः IANS

पेटीएम सीईओ को सेबी ने भेजा कारण बताओ नोटिस

सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) की ओर से पेटीएम के संस्थापक और सीईओ विजय शेखर शर्मा और उसके बोर्ड मेंबर्स को कारण बताओ नोटिस भेजा गया है। जानकारी के मुताबिक, यह नोटिस वन 97 कम्युनिकेशंस (पेटीएम की पेरेंट कंपनी) के आईपीओ के समय नवंबर 2021 में तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने के लिए दिया गया है। कारोबार के दौरान पेटीएम के शेयर में 9 प्रतिशत तक की गिरावट देखने को मिली। कारोबार के अंत में शेयर 4.48 प्रतिशत की गिरावट के साथ 530 रुपये पर बंद हुआ। पेटीएम का शेयर इस साल की शुरुआत से अब तक करीब 40 प्रतिशत गिर चुका है।

कई रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी गई कि सेबी के इस नोटिस में प्रमोटर क्लासिफिकेशन नियमों का अनुपालन न करने का आरोप लगाया गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से इनपुट के आधार पर सेबी ने पेटीएम पेमेंट बैंक को लेकर जांच की थी। पेटीएम ने कहा कि कंपनी को मार्च 2024 तिमाही के दौरान नोटिस मिला था और प्रारंभिक प्रतिक्रिया देकर मामले का समाधान पहले ही कर लिया गया है। इस नोटिस को लेकर मार्च 2024 की तिमाही और जून 2024 के तिमाही नतीजों के दौरान कंपनी डिस्क्लोजर दे चुकी है। इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर एडवाइजरी सर्विसेज लिमिटेड की ओर से जारी किए गए ब्लॉग पोस्ट में बताया गया कि शर्मा जिम्मेदारियों और प्रतिबंधों के बिना एक प्रमोटर के अधिकारों का फायदा लेते हैं। सेबी के नए नोटिस से पेटीएम के लिए अपने भुगतान एग्रीगेटर लाइसेंस को बहाल करना मुश्किल हो सकता है। पेटीएम को हाल ही में सरकार से लाइसेंस के लिए आवेदन करने की मंजूरी मिली है। शर्मा वन 97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड के संस्थापक और सीईओ हैं, लेकिन स्टॉक एक्सचेंज डिस्क्लोजर के मुताबिक, वे कंपनी प्रमोटर नहीं हैं।

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शेयर बाजार में तेजी जारी, सेंसेक्स 612 अंक चढ़ा, निफ्टी 25,000 अंक के पार

अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से ब्याज दरों में कटौती का सिलसिला जल्द शुरू होने की उम्मीदों के बीच सोमवार को स्थानीय शेयर बाजारों में खासी तेजी दर्ज की गई। मानक सूचकांक सेंसेक्स 612 अंक उछल गया, जबकि निफ्टी 25,000 अंक के ऊपर बंद हुआ। कारोबारियों ने कहा कि विदेशी पूंजी के प्रवाह और एचडीएफसी बैंक एवं रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसे प्रमुख शेयरों में खरीदारी से भी बाजार में तेजी आई।

बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 611.90 अंक यानी 0.75 प्रतिशत उछलकर 81,698.11 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 738.06 अंक बढ़कर 81,824.27 अंक पर पहुंच गया था। सेंसेक्स में तेजी का यह लगातार पांचवां सत्र रहा। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी 187.45 अंक यानी 0.76 प्रतिशत बढ़कर 25,010.60 अंक पर पहुंच गया। निफ्टी लगातार आठवें सत्र में बढ़त पर रहा।

सेंसेक्स की कंपनियों में एचसीएल टेक्नोलॉजीज, एनटीपीसी, बजाज फिनसर्व, टेक महिंद्रा, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाइटन, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा स्टील, लार्सन एंड टुब्रो और टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के शेयर बढ़त के साथ बंद हुए। दूसरी तरफ कोटक महिंद्रा बैंक, इंडसइंड बैंक, मारुति सुजुकी और हिंदुस्तान यूनिलीवर के शेयरों में गिरावट रही। व्यापक बाजार में बीएसई मिडकैप सूचकांक 0.66 प्रतिशत उछल गया जबकि स्मॉलकैप में 0.20 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।

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जून तिमाही में 8 प्रमुख शहरों में घरों के दाम 12 प्रतिशत बढ़े

अप्रैल-जून तिमाही में देश के आठ प्रमुख शहरों में औसत आवास कीमतों में सालाना आधार पर 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस दौरान दिल्ली-एनसीआर में घरों के दाम सबसे ज्यादा 30 प्रतिशत बढ़े हैं। रियल्टी कंपनियों के निकाय क्रेडाई, संपत्ति सलाहकार कोलियर्स और डेटा विश्लेषण कंपनी लियासेस फोरास ने घरों की कीमतों की निगरानी करने वाली दूसरी तिमाही की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। वार्षिक आधार पर, जून तिमाही के अंत में आठ प्रमुख शहरों में औसत आवास कीमतों में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। दिलचस्प बात यह है कि समीक्षाधीन आठ में से सात शहरों में वार्षिक मूल्यवृद्धि देखी गई, जिसमें दिल्ली-एनसीआर में साल दर साल सबसे अधिक 30 प्रतिशत की कीमत वृद्धि हुई।

आंकड़ों के अनुसार, अहमदाबाद में आवास कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़कर 7,335 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं, जो एक साल पहले की समान अवधि में 6,507 रुपये प्रति वर्ग फुट थीं। बेंगलुरू में यह 8,688 रुपये प्रति वर्ग फुट से 28 प्रतिशत बढ़कर 11,161 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई। चेन्नई में कीमतें 7,690 रुपये प्रति वर्ग फुट पर स्थिर रहीं। दिल्ली-एनसीआर में कीमतों में अधिकतम 30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। यह 8,652 रुपये प्रति वर्ग फुट से बढ़कर 11,279 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गई।

हैदराबाद में आवास कीमतें 10,530 रुपये प्रति वर्ग फुट से सात प्रतिशत बढ़कर 11,290 रुपये प्रति वर्ग फुट पर पहुंच गई। कोलकाता में दरें 7,315 रुपये से छह प्रतिशत बढ़कर 7,745 रुपये प्रति वर्ग फुट पर पहुंच गईं। मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में आवास कीमतें 19,111 रुपये प्रति वर्ग फुट से छह प्रतिशत बढ़कर 20,275 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। पुणे में, आवासीय संपत्तियों की कीमतें अप्रैल-जून, 2024 में 13 प्रतिशत बढ़ीं। यह 9,656 रुपये प्रति वर्ग फुट रहीं। एक साल पहले समान अवधि में यह आंकड़ा 8,540 रुपये प्रति वर्ग फुट था।

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जेल में बंद पर्ल्स ग्रुप के सीएमडी भंगू का दिल्ली के अस्पताल में निधन

करोड़ों रुपये के कथित चिटफंड घोटाले में आरोपी और तिहाड़ जेल में बंद पर्ल्स ग्रुप के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक निर्मल सिंह भंगू का सोमवार को पश्चिमी दिल्ली के दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में इलाज के दौरान निधन हो गया। अधिकारियों ने बताया कि 68 वर्षीय भंगू कई बीमारियों से पीड़ित थे और हाल ही में उनकी किडनी ट्रांसप्लांट की सर्जरी हुई थी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद वह 2016 से तिहाड़ जेल में बंद थे।

तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक, रविवार शाम 6.25 बजे बेचैनी की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया था। आधिकारिक सूत्र ने बताया कि भंगू जेल नंबर 8-9 में बंद थे और उन्हें पहले जेल की डिस्पेंसरी ले जाया गया, जहां से उन्हें डीडीयू अस्पताल रेफर कर दिया गया, जहां इलाज के दौरान रात करीब 12.30 बजे उनकी मौत हो गई। सूत्रों के अनुसार, वह कोरोनरी धमनी रोग, किडनी प्रत्यारोपण के बाद की जटिलताओं, पेट में तकलीफ, घबराहट, उच्च सीरम क्रिएटिनिन स्तर और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों से पीड़ित थे।

पीएसीएल (पर्ल्स एग्रोटेक कॉरपोरेशन लिमिटेड) और इसके प्रवर्तक एवं निदेशक, जिनमें निर्मल सिंह भंगू भी शामिल हैं, निवेशकों को चिट फंड योजनाओं के माध्यम से एकत्र किए गए 49,100 करोड़ रुपये वापस करने में कथित रूप से विफल रहने के लिए कानूनी लड़ाई में उलझे हुए थे। सेबी के अनुसार, पीएसीएल को पर्ल्स ग्रुप के रूप में भी जाना जाता है, जिसने कृषि और रियल एस्टेट व्यवसायों के लिए जनता से पैसा जुटाया था। समूह ने कथित तौर पर 18 साल की अवधि में अवैध सामूहिक निवेश योजनाओं (सीआईएस) के माध्यम से 49,100 करोड़ रुपये से अधिक एकत्र किए गए थे।

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आरबीआई लाने जा रहा यूएलआई सिस्टम

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) राष्ट्रीय स्तर पर यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। यह यूपीआई की तरह ही होगा, जो कि अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण सेक्टर जैसे कृषि और एमएसएमई को लोन देने का कार्य करेगा। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास की ओर से सोमवार को यह जानकारी दी गई। ग्लोबल क्रॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दास ने कहा कि आरबीआई की ओर से पायलट प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। अनुभव के आधार पर सही समय पर यूएलआई सिस्टम को लॉन्च किया जाएगा। दास की ओर से कहा गया कि यूपीआई ने पूरे पेमेंट सिस्टम को बदल दिया है। ऐसी ही उम्मीद हम यूएलआई सिस्टम से कर रहे हैं। जेएएम-यूपीआई-यूएलआई भारत के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर यात्रा में अहम भूमिका निभाने वाले हैं।

दास ने आगे कहा कि बैंकिंग सिस्टम में डिजिटलाइजेशन को आगे बढ़ाने के लिए आरबीआई की ओर से पिछले साल क्रेडिट देने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट को लॉन्च किया गया था। इसमें व्यक्ति की अनुमति के आधार पर डिजिटल इन्फॉरमेशन को उपलब्ध कराया जाता है, जिसमें कई राज्यों के जमीनों के रिकॉर्ड, मल्टीपल डेटा प्रोवाइडर्स से लोन देने वाली कंपनियों को डेटा उपलब्ध कराना शामिल है। इससे छोटे और ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को लोन देने के समय में कमी आएगी।

उन्होंने आगे कहा कि यूएलआई आर्किटेक्ट में सामान्य और स्टैंडर्ड एपीआई है और इसमें विभिन्न स्रोतों से आने वाली जानकारी तक पहुंचने के लिए 'प्लग और प्ले' अप्रोच का इस्तेमाल किया गया है। इससे तकनीकी तौर पर काफी सारी खामियां दूर होती हैं और इससे आसानी से लोन लेने वाले व्यक्ति को बिना किसी लंबे प्रोसेस के लोन मिल जाता है। जनधन अकाउंट, आधार और मोबाइल फोन, जिसे जेएएम त्रिमूर्ति के रूप में जाना जाता है, यह भारत के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर का आधार है। जेएएम के तहत की गई पहल के 67 प्रतिशत लाभार्थी ग्रामीण इलाकों से हैं और इनमें से 55 प्रतिशत से अधिक महिलाएं हैं।

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