पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस को सेबी से एक ‘‘प्रशासनिक चेतावनी पत्र’’ मिला है। मामला वित्त वर्ष 2021-22 में ऑडिट समिति या शेयरधारकों की मंजूरी के बिना पेटीएम पेमेंट्स बैंक्स (पीपीबीएल) के साथ संबंधित लेनदेन से जुड़ा है। कंपनी ने बीएसई को दी सूचना में कहा कि उसने लगातार सेबी के नियमों के अनुपालन में काम किया है। फिनटेक कंपनी ने कहा कि वह ‘‘ अनुपालन मानकों को बनाए रखने और पारदर्शिता को लेकर प्रतिबद्ध है और सेबी को अपना जवाब भी देगी।’’
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 15 जुलाई को लिखे पत्र में कहा कि उसने वन97 कम्युनिकेशंस और उसकी सहयोगी पेटीएम पेमेंट्स बैंक लिमिटेड (पीपीबीएल) से संबंधित वित्तीय तथा अन्य सूचनाओं के खुलासे के संदर्भ में जांच की है। सेबी के पत्र के अनुसार, ‘‘ इस संदर्भ में जांच के दौरान निम्नलिखित गैर-अनुपालन देखे गए... वित्त वर्ष 2021-22 में कंपनी और/या इसकी अनुषंगी कंपनियों ने पीपीबीएल के साथ अतिरिक्त संबंधित पक्ष लेनदेन (आरपीटी) या तो लेखा परीक्षा समिति या शेयरधारकों की उचित मंजूरी के बिना किए।’’ पेटीएम ने बीएसई को दी गई सूचना में सेबी के पत्र की विषय-वस्तु साझा की।
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स्थानीय शेयर बाजारों में मंगलवार को लगातार तीसरे दिन तेजी रही और बीएसई सेंसेक्स 52 अंक चढ़कर अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी भी नये शिखर 24,600 अंक के ऊपर पहुंच गया। दैनिक उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियों, दूरसंचार और चुनिंदा आईटी शेयरों में लिवाली और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के पूंजी प्रवाह से बाजार में तेजी बनी रही।
तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 51.69 अंक यानी 0.06 प्रतिशत चढ़कर अपने अब तक के उच्चतम स्तर 80,716.55 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 233.44 अंक यानी 0.28 प्रतिशत की बढ़त के साथ रिकॉर्ड 80,898.30 अंक तक गया था। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 26.30 अंक यानी 0.11 प्रतिशत की तेजी के साथ नये शिखर 24,613 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान, यह 74.55 अंक यानी 0.30 प्रतिशत चढ़कर रिकॉर्ड 24,661.25 अंक तक गया था।
शेयर बाजार में शुरुआत अच्छी रही और दोनों मानक सूचकांक कारोबार के दौरान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे। हालांकि, रिलायंस इंडस्ट्रीज और कोटक बैंक में नुकसान से लाभ सीमित हुआ और दोनों सूचकांक दिन के उच्चस्तर से नीचे आये। विश्लेषकों के अनुसार, सेंसेक्स और निफ्टी शुक्रवार से रिकॉर्ड तेजी पर हैं। इसका प्रमुख कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लिवाली है। एफआईआई केंद्रीय बजट पेश होने से पहले भारतीय शेयरों में लिवाल बने हुए हैं। शेयरों के उच्च मूल्यांकन के बावजूद प्रमुख कंपनियों के तिमाही परिणाम उत्साहजनक रहने से भी बाजार को समर्थन मिला है।
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फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन द्वारा जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-25 की अप्रैल-जून तिमाही में देश में ऑटोमोबाइल की खुदरा बिक्री में पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस साल अप्रैल-जून तिमाही अवधि के दौरान ऑटोमोबाइल की कुल खुदरा बिक्री बढ़कर 61,91,225 यूनिट हो गई, जो पिछले साल की समान तिमाही में 56,59,060 यूनिट थी। कारों और एसयूवी सहित यात्री वाहनों की खुदरा बिक्री इस दौरान 2.53 प्रतिशत बढ़कर 9,20,047 यूनिट हो गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 8,97,361 यूनिट थी।
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट मनीष राज सिंघानिया ने कहा कि डीलरों ने चुनाव, अत्यधिक गर्मी और मार्केट लिक्विडिटी के प्रभावों के बारे में सूचना दी। सिंघानिया ने कहा कि अत्यधिक गर्मी के कारण मई में शोरूम में आने वालों की संख्या में 18 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जून के अंत तक इन्वेंट्री का स्तर 62-67 दिनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। अप्रैल-जून में दोपहिया वाहनों की खुदरा बिक्री 45,54,255 यूनिट रही, जो एक साल पहले की अवधि में 40,46,169 यूनिट की तुलना में 12.56 प्रतिशत अधिक है।
सिंघानिया ने कहा, "दोपहिया वाहन की बिक्री में आया सुधार आशा पैदा करता है, जिसका मुख्य कारण ग्रामीण क्षेत्रों में बेहतर प्रदर्शन है, हालांकि, ये शुरुआती रुझान हैं।" पहली तिमाही में तिपहिया वाहनों की बिक्री 11.36 प्रतिशत बढ़कर 2,72,691 यूनिट हो गई, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 2,44,878 यूनिट थी। वाणिज्यिक वाहन खुदरा बिक्री में मामूली वृद्धि देखी गई और यह 2,46,513 यूनिट रही, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 2,44,834 यूनिट थी। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन देशभर में 30,000 से अधिक बिक्री आउटलेट के साथ 15,000 से अधिक ऑटोमोबाइल डीलरशिप का प्रतिनिधित्व करता है।
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भारतीय अर्थव्यवस्था उम्मीद से जल्दी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर अग्रसर है। ऐसे में सिंगापुर के सॉवरेन वेल्थ फंड टेमासेक ने 83,000 करोड़ रुपये (लगभग 10 अरब डॉलर) से अधिक का अतिरिक्त निवेश करने का लक्ष्य देश में अगले तीन वर्षों में रखा है। रिपोर्ट के अनुसार टेमासेक भारत में जिन क्षेत्रों में निवेश करना चाहता है, उनमें स्वास्थ्य सेवा, उपभोग, वित्तीय सेवाएं, डिजिटलीकरण और सस्टेनेबिलिटी शामिल हैं। टेमासेक के भारत के प्रमुख रवि लांबा के अनुसार इस नए इन्वेस्टमेंट के साथ भारत में टेमासेक का कुल निवेश 47 बिलियन डॉलर हो जाएगा। कंपनी के एग्जीक्यूटिव के अनुसार 10 बिलियन डॉलर के संभावित निवेश में टेमासेक की सहायक कंपनियां देश में कितना निवेश करेंगी, यह शामिल नहीं है। टेमासेक पिछले 20 वर्षों से देश में निवेश कर रहा है और इसका भारत में निवेश दुनिया में कुल निवेश का 7 प्रतिशत है, जो 2020 में कुल निवेश 4 प्रतिशत से अधिक है।
सिंगापुर स्थित वेल्थ फंड कंपनी टेमासेक ने महिंद्रा इलेक्ट्रिक ऑटोमोबाइल लिमिटेड (एमईएएल), ज़ोमैटो, लेंसकार्ट जैसी भारतीय कंपनियों में निवेश किया है। आईवियर रिटेलर लेंसकार्ट ने जून में 200 मिलियन डॉलर का निवेश टेमासेक और फिडेलिटी मैनेजमेंट एंड रिसर्च कंपनी (एफएमआर) से जुटाए। शेयर बाजार में आई तेजी के बीच भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है, जिससे यह निवेश के लिए एक आदर्श देश बन गया है, जबकि अभी चीन लड़खड़ा रहा है। पिछले वित्तीय वर्ष (वित्त वर्ष 24) में टेमासेक ने भारत में लगभग 3 बिलियन डॉलर का निवेश किया। जो अब तक का उसका सबसे बड़ा वार्षिक निवेश है। देश में स्टार्टअप्स ने 2024 की पहली छमाही के दौरान लगभग 7 बिलियन डॉलर की फंडिंग जुटाई, जो 2023 की पहली छमाही में जुटाई गई 5.92 बिलियन डॉलर से अधिक है। 7 बिलियन डॉलर की फंडिंग में 5.4 बिलियन डॉलर के 182 ग्रोथ या लास्ट स्टेज के डील थे। वहीं, 1.54 बिलियन डॉलर के 404 शुरुआती चरण के डील शामिल थे। रिपोर्ट के अनुसार लगभग 99 सौदे अघोषित थे।
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भारत द्वारा उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना लागू करने के कारण घरेलू विनिर्माण में आई तेजी ने चीन और वियतनाम जैसे देशों को परेशान कर दिया है। दोनों ही देश चीन और वियतनाम इस मामले में लड़खड़ा रहे हैं। टेक दिग्गज एप्पल ने इसी कारण पिछले वित्त वर्ष 2024 में भारत में लगभग 8 बिलियन डॉलर की मजबूत बिक्री को छुआ है, जो लगभग 33 प्रतिशत की वृद्धि (वर्ष-दर-वर्ष) है। सूत्रों के अनुसार दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्मार्टफोन बाजार में प्रीमियमीकरण की सोच के कारण आईफोन की बिक्री में तेजी आई है। न केवल बेहतरीन घरेलू बिक्री, क्यूपर्टिनो बेस्ड कंपनी ने निर्यात में भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है। घरेलू विनिर्माण को मिल रहे शानदार समर्थन और मजबूत वितरण के कारण इस साल आईफोन शिपमेंट में 20 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने का अनुमान है।
काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसंधान निदेशक तरुण पाठक ने बताया, ''प्रीमियमाइज़ेशन के शुरू होने के साथ ही एप्पल को एक बार फिर अपने उपकरणों और निवेश प्रस्तावों के माध्यम से इसका लाभ उठाने का सही समय मिल गया है। इसके अतिरिक्त, ब्रांड मजबूत हुआ है और कंपनी इसका भी आनंद ले रही है और देश में अपने नेटवर्क का विस्तार कर रही है, जिससे इसे बढ़ने में मदद मिल रही है।'' भारत द्वारा पीएलआई योजना को बढ़ावा देने के कारण मोबाइल फोन निर्यात में वित्त वर्ष 2024 में काफी वृद्धि हुई। इसकी वजह से चीन और वियतनाम जैसे मोबाइल बनाने वाले दिग्गज देश भारत से पीछे रह गए। चीन से मोबाइल फोन का निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 136.3 बिलियन डॉलर से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 132.5 बिलियन डॉलर हो गया।
इसी तरह, नवीनतम उद्योग आंकड़ों के अनुसार, वियतनाम में वित्त वर्ष 2023 में 31.9 बिलियन डॉलर से घटकर पिछले वित्तीय वर्ष 2024 में 26.27 बिलियन डॉलर हो गया। भारत में एप्पल के नेतृत्व में देश से मोबाइल फोन निर्यात वित्त वर्ष 2023 में 11 बिलियन डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में लगभग 16 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया। उद्योग के अनुमान के अनुसार, मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 में 18,900 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2024 में अनुमानित 4.10 लाख करोड़ रुपये हो गया। जो लगभग 2,000 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार भारत में प्रीमियम सेगमेंट के अधिकांश उपभोक्ताओं ने स्मार्टफोन खरीदने के लिए फाइनेंशियल स्कीम का चुनाव किया।
तरुण पाठक ने कहा, "एप्पल द्वारा अपने मोबाइल उत्पाद के डिज़ाइन में परिवर्तन और लंबे सॉफ़्टवेयर सपोर्ट का मतलब है कि पुरानी पीढ़ी के डिवाइस लंबी अवधि तक प्रासंगिक बने रहेंगे और उपभोक्ताओं को कम कीमत पर एप्पल डिवाइस रखने में मदद मिलेगी और साथ ही एप्पल को बाजार में एक बड़े हिस्से तक अपनी पहुंच हासिल करने में मदद होगी।" प्रभु राम, वीपी-इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप, साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) ने आईएएनएस को बताया, "मुख्य रूप से वैल्यू-फॉर-मनी फोन के प्रभुत्व वाले बाजार में, बढ़ते मध्यम वर्ग और उनकी बढ़ती आय के कारण प्रीमियम स्मार्टफोन बाजार के लिए अच्छी वृद्धि हुई है।" उन्होंने कहा, ''एप्पल का ग्रोथ मोमेंटम उसके मजबूत ब्रांड, बढ़ते विनिर्माण और खुदरा बाजार में फोकस की वजह से और बेहतर हुआ है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के साथ भारत ने एप्पल को विनिर्माण, विविधता की छूट की पेशकश की है।"
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