भारतीय शेयर बाजार के लिए बुधवार का कारोबारी सत्र भारी नुकसान वाला रहा। बाजार में चौतरफा गिरावट देखी गई। भारी बिकवाली के कारण निफ्टी और सेंसेक्स दोनों पांच महीने के निचले स्तरों पर पहुंच गए। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 984 अंक या 1.25 प्रतिशत की गिरावट के साथ 77,690 और निफ्टी 324 अंक या 1.36 प्रतिशत 23,559 पर था। गिरावट के कारण बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का मार्केट कैप करीब 6 लाख करोड़ रुपये कम होकर 430 लाख करोड़ रुपये रह गया है, जो कि कल 436 लाख करोड़ रुपये था।
बिकवाली का सबसे अधिक दबाव मिडकैप और स्मॉलकैप शेयर पर देखा गया। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 1,456 अंक या 2.64 प्रतिशत गिरकर 53,800 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 532 अंक या 2.96 प्रतिशत गिरकर 17,458 पर था। एनएसई के करीब सभी इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए। रिल्यटी, इन्फ्रा, ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक, मेटल, और पीएसई में सबसे ज्यादा गिरावट थी। सेंसेक्स के 30 में से 27 शेयर लाल निशान में बंद हुए। एमएंडएम, टाटा स्टील, जेएसडब्ल्यू स्टील, इंडसइंड बैंक, कोटक महिंद्रा, एचडीएफसी बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एसबीआई, बजाज फिनसर्व, एक्सिस बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और एलएंडडी टॉप लूजर्स थे। एनटीपीसी, टाटा मोटर्स और इन्फोसिस गेनर्स थे।
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होटल से खाना ऑर्डर करने और मंगाने की सुविधा देने वाले ऑनलाइन मंच स्विगी के शेयर बाजार में बुधवार को दस्तक के साथ कंपनी के 500 से अधिक वर्तमान और पूर्व कर्मचारी ‘करोड़पति’ की सूची में शामिल हो गए हैं। मामले से जुड़े लोगों ने बताया कि स्विगी ने 5,000 कर्मचारियों को कर्मचारी शेयर स्वामित्व योजना (ईसॉप) के तहत निर्गम की उच्च मूल्य सीमा 390 रुपये प्रति शेयर के भाव पर 9,000 करोड़ रुपये के शेयर आवंटित किये हैं। कंपनी के बाजार में सूचीबद्ध होने तथा शेयर मूल्य बढ़ने से कर्मचारियों को लाभ होगा। कंपनी ने आईपीओ (आरंभिक सार्वजनिक निर्गम) के लिए मूल्य दायरा 371 से 390 रुपये प्रति शेयर रखा गया था।
मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘कर्मचारी शेयर विकल्प योजना के तहत 9,000 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर 5,000 पूर्व और वर्तमान कर्मचारी को दिये गये हैं। कीमत दायरे की ऊपरी सीमा (390 रुपये) के आधार पर 5,000 में से 500 कर्मचारी करोड़पति की सूची में शामिल हो गये हैं।’ स्विगी का शेयर बुधवार को एनएसई में 390 रुपये के निर्गम मूल्य के मुकाबले 7.69 प्रतिशत बढ़कर 420 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ। बीएसई में शेयर निर्गम मूल्य के मुकाबले 5.64 प्रतिशत की बढ़त के साथ 412 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ। बाद में यह 7.67 प्रतिशत बढ़कर 419.95 रुपये पर पहुंच गया।
शुरुआती कारोबार के दौरान कंपनी का बाजार मूल्यांकन 89,549.08 करोड़ रुपये रहा। स्विगी के 11,327 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम को 3.59 गुना अभिदान मिला था। कंपनी का आईपीओ शुक्रवार को बंद हुआ था।कंपनी के आईपीओ में 4,499 करोड़ रुपये मूल्य के नये शेयर तथा बिक्री पेशकश के अंतर्गत 6,828 करोड़ रुपये के शेयर रखे गये थे।स्विगी की विवरण पुस्तिका के अनुसार, वह नये निर्गम से प्राप्त आय का उपयोग प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे में निवेश, ब्रांड मार्केटिंग और कारोबार के प्रचार-प्रसार, कर्ज भुगतान और अधिग्रहण समेत अन्य कंपनी कामकाज में करेगी।
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घरेलू राइड-शेयरिंग प्लेटफॉर्म 'रैपिडो' ने वित्त वर्ष 2014 में 371 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया। जबकि, वित्त वर्ष 2023 में कंपनी को 675 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था। नियंत्रित व्यय ने कंपनी को वित्त वर्ष 2023 में 675 करोड़ रुपये से वित्त वर्ष 2024 में घाटे में लगभग 45 प्रतिशत की कटौती करने में मदद की क्योंकि नियोजित पूंजी पर रिटर्न (आरओसीई) और ईबीआईटीडीए मार्जिन क्रमशः -90.7 प्रतिशत और -52.5 प्रतिशत रहा। अपने वित्तीय आंकड़ों के अनुसार, स्विगी समर्थित प्लेटफॉर्म ने पिछले वित्त वर्ष में 1 रुपये कमाने के लिए 1.65 रुपये खर्च किए। वित्त वर्ष 2023 में 443 करोड़ रुपये के मुकाबले वित्त वर्ष 2024 में इसका परिचालन राजस्व लगभग 46 प्रतिशत बढ़कर 648 करोड़ रुपये हो गया।
कंपनी की परिवहन सेवाओं ने परिचालन राजस्व का 55.9 प्रतिशत बनाया, जो वित्त वर्ष 24 में 48.4 प्रतिशत बढ़कर 362 करोड़ रुपये हो गया। रैपिडो ने कर्मचारियों की लागत में 16.9 प्रतिशत की कटौती कर 172 करोड़ रुपये कर दिए। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के साथ अपने वित्तीय विवरणों के अनुसार, कंपनी ने वित्त वर्ष 2024 में अपने बैंक बैलेंस (नकद समकक्षों को छोड़कर) में 88 प्रतिशत की गिरावट देखी, जो 16.39 करोड़ रुपये था। सितंबर में, रैपिडो ने अपनी सीरीज ई फंडिंग में 200 मिलियन डॉलर जुटाए, जिससे इसका मूल्यांकन 1.1 बिलियन डॉलर से अधिक हो गया।
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सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल अक्टूबर में देश में कुल दोपहिया वाहनों की बिक्री 14.2 प्रतिशत बढ़कर 21.64 लाख यूनिट हो गई, जबकि अक्टूबर 2023 में यह आंकड़ा 18.96 लाख यूनिट था। कार और एसयूवी को मिलाकर यात्री वाहनों की बिक्री भी अक्टूबर में बढ़कर 3.93 लाख यूनिट के अपने उच्चतम मासिक स्तर पर पहुंच गई, जो अक्टूबर 2023 के 3.9 लाख यूनिट के उच्च आधार आंकड़े से 0.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
सियाम के महानिदेशक राजेश मेनन ने कहा, "अक्टूबर 2024 में दो प्रमुख त्योहार दशहरा और दीपावली थे, दोनों एक ही महीने में पड़े, जो उच्च उपभोक्ता मांग बढ़ावा देने की वजह बने। इससे ऑटो इंडस्ट्री की परफॉर्मेंस को महत्वपूर्ण बढ़ावा मिला।" यात्री वाहनों (पीवी) ने अक्टूबर 2024 में 3.93 लाख यूनिट की अपनी अब तक की सबसे अधिक बिक्री दर्ज की, जो 0.9 प्रतिशत की वृद्धि के साथ पिछले अक्टूबर के उच्च आधार पर है। यह उच्च वृद्धि 'वाहन' व्हीकल रजिस्ट्रेशन डेटा में भी दिखी, जिसमें अक्टूबर 2023 की तुलना में अक्टूबर 2024 में यात्री वाहनों और दोपहिया वाहनों दोनों के रजिस्ट्रेशन में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि देखी गई।
मेनन के अनुसार, हालांकि, पिछले साल के अक्टूबर की तुलना में तिपहिया वाहनों की बिक्री में मामूली 0.7 प्रतिशत की गिरावट आई। यह बिक्री अक्टूबर 2024 में 0.77 लाख यूनिट रही। पिछले अक्टूबर की तुलना में रजिस्ट्रेशन में 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई। बाजार विश्लेषकों का मानना है कि दोपहिया वाहनों की बिक्री में वृद्धि का श्रेय ग्रामीण आय में वृद्धि को जाता है क्योंकि इस साल सामान्य मानसून के कारण फसल की पैदावार बेहतर हुई, जिसके परिणामस्वरूप कृषि क्षेत्र में आय में वृद्धि हुई।
सरकार द्वारा विभिन्न फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि से किसानों की आय में भी वृद्धि हुई है, जिसके कारण ग्रामीण परिवारों द्वारा उपभोग वस्तुओं पर अधिक व्यय किया गया है। यह भारत के फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) सेक्टर में भी देखा गया, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में खपत शहरी क्षेत्रों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी है। नील्सनआईक्यू सर्वेक्षण के अनुसार, इस वर्ष जुलाई-सितंबर तिमाही में एफएमसीजी वस्तुओं की बिक्री में मूल्य के हिसाब से 5.7 प्रतिशत और मात्रा के हिसाब से 4.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो लगातार तीसरी तिमाही में ग्रामीण मांग के कारण हुई। इतना ही नहीं, यह शहरी बाजारों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ी।
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देश की दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक हुंडई मोटर इंडिया के शेयर में लिस्टिंग के बाद से गिरावट का क्रम जारी है। बुधवार को कंपनी का शेयर 3.37 प्रतिशत की गिरावट के साथ 1,745 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुआ। हुंडई मोटर इंडिया के शेयर की लिस्टिंग 22 अक्टूबर को हुई थी। ऑटोमोबाइल कंपनी का शेयर अपने इश्यू प्राइस 1,960 रुपये के मुकाबले 1.47 प्रतिशत की मंदी के साथ 1,931 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ था। तब से ही शेयर में लगातरा मंदी देखी जा रही है।
बुधवार के बंद के मुताबिक, हुंडई मोटर इंडिया का शेयर अपने आईपीओ प्राइस से 10 प्रतिशत से अधिक फिसल गया है। शेयर में गिरावट की वजह कंपनी के खराब नतीजे और बिक्री के आंकड़ों को माना जा रहा है। हुंडई मोटर इंडिया ने मंगलवार को वित्त वर्ष 2024-25 की दूसरी तिमाही के नतीजे जारी किए थे। कंपनी का कंसोलिडेटेड मुनाफा सालाना आधार पर 16 प्रतिशत गिरकर 1,375 करोड़ रुपये रह गया है, जो कि एक साल पहले समान अवधि में 1,628 करोड़ रुपये था। मुनाफे में कमी की वजह कम घरेलू बिक्री है। अक्टूबर 2024 में कंपनी ने घरेलू बाजार में 55,568 वाहनों की बिक्री की थी। इसमें सालाना आधार पर मजह 0.80 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जो कि बाजार की औसत वृद्धि से काफी कम है।
पिछले साल समान अवधि में कंपनी ने 55,128 वाहनों की बिक्री की थी। हुंडई मोटर इंडिया की ओर से बीते महीने देश का बड़ा आईपीओ लॉन्च किया था। इसका साइज 27,870 करोड़ रुपये था। हुंडई मोटर इंडिया, मारुति सुजुकी इंडिया के बाद देश की दूसरी सबसे बड़ी कार कंपनी है। जून 2024 में कंपनी की बाजार हिस्सेदारी करीब 14 प्रतिशत थी। वित्त वर्ष 2023-24 में कंपनी ने 7.77 लाख वाहनों की बिक्री की थी, जिसमें से 21 प्रतिशत का निर्यात लैटिन अमेरिका, अफ्रीका, मध्यपूर्व और यूरोप जैसे देशों में किया गया था। भारत में हुंडई मोटर इंडिया के पास 1,366 सेल्स आउटलेट्स और 1,550 सर्विस आउटलेट्स हैं।
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