भारतीय शेयर बाजार बुधवार के कारोबारी सत्र में ऑल-टाइम हाई पर बंद हुआ। दिन के दौरान सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने क्रमश: 85,247 और 26,032 का नया ऑल-टाइम हाई लगाया। कारोबार के अंत में सेंसेक्स 255 अंक या 0.30 प्रतिशत की तेजी के साथ 85,169 और निफ्टी 63 अंक या 0.25 प्रतिशत की तेजी के साथ 26,004 पर बंद हुआ। लार्जकैप के मुकाबले मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में बिकवाली देखी गई। निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 385 अंक या 0.63 प्रतिशत की गिरावट के साथ 60,465 और निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 82 अंक या 0.42 प्रतिशत की गिरावट के साथ 19,357 पर बंद हुआ।
एनएसई के फिन सर्विस, फार्मा, मेटल, रियल्टी, मीडिया, एनर्जी, प्राइवेट बैंक, इन्फ्रा, पीएसई और सर्विसेज इंडेक्स हरे निशान में बंद हुए। ऑटो, आईटी, पीएसयू बैंक और एफएमसीजी लाल निशान में बंद हुए। सेंसेक्स पैक में पावर ग्रिड, एक्सिस बैंक, एनटीपीसी, बजाज फिनसर्व, बजाज फाइनेंस, टाटा स्टील, एचडीएफसी बैंक, एमएंडएम, आईटीसी, आईसीआईसीआई बैंक और एचसीएल टेक टॉप गेनर्स थे। टेक महिंद्रा, टाटा मोटर्स, टाइटन, कोटक महिंद्रा बैंक, एसबीआई, जेएसडब्ल्यू स्टील, विप्रो टॉप लूजर्स थे। एलकेपी सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक रूपक दे का कहना है कि कमजोर शुरुआत के बाद भी निफ्टी नया ऑल-टाइम हाई पर बंद होने में कामयाब रहा। जब तक निफ्टी 25,900 के ऊपर रहेगा, रुझान सकारात्मक रहने की उम्मीद है। ऐसा लगता है कि बाजार कुछ समय के लिए सकारात्मक रुझान के एक रेंज में ट्रेड करेगा। 26,200 और 26,250 एक रुकावट का स्तर है।
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एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को घटाकर 5.1 प्रतिशत कर दिया है। इसका मुख्य कारण देश में जुलाई-अगस्त में राजनीतिक अशांति के कारण आपूर्ति में आई बाधा है। समाचार पत्र ‘द डेली स्टार’ की खबर के अनुसार, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने पहले अनुमान लगाया था कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए दक्षिण एशियाई देश में वस्तुओं तथा सेवाओं का समग्र उत्पादन 6.6 प्रतिशत बढ़ेगा।
मनीला स्थित बहुपक्षीय ऋणदाता ने कहा कि उसने हिंसक विरोध प्रदर्शनों तथा हाल में आई बाढ़ के कारण चालू वित्त वर्ष के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को घटा दिया है। एडीबी ने कहा कि राजकोषीय और मौद्रिक नीतियां कड़ी बनी रहने के आसार हैं, जिससे उपभोग तथा निवेश मांग में और कमी आएगी। पूर्वानुमान अत्यधिक अनिश्चित है क्योंकि व्यापक आर्थिक दृष्टिकोण पर काफी नकारात्मक जोखिम मंडरा रहा है।
इसमें कहा गया, ‘‘ ये जोखिम मुख्य रूप से राजनीतिक अस्थिरता, कमजोर कानून-व्यवस्था की स्थिति और वित्तीय क्षेत्र की कमजोरियों से उत्पन्न होते हैं।’’ एडीबी का नवीनतम पूर्वानुमान विश्व बैंक के जून के अनुमान से कम है, जिसमें वित्त वर्ष 2024-25 के लिए बांग्लादेश की आर्थिक वृद्धि 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। एडीबी ने पाया कि उच्च मुद्रास्फीति, जटिल वैश्विक मौद्रिक स्थितियों और अन्य व्यापक आर्थिक चुनौतियों के कारण मांग दबी हुई है।उसने कहा, ‘‘जिंस व ऊर्जा की उच्च कीमतों और मुद्रा अवमूल्यन के कारण मुद्रास्फीति उच्च बनी हुई है। निर्यात तथा आयात दोनों में गिरावट के कारण चालू खाता घाटा कम हुआ है।’’ संगठन ने मुद्रास्फीति के दोहरे अंक तक बढ़ने का अनुमान भी लगाया है।
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भारत में आने वाले पर्यटकों की संख्या कोविड-19 महामारी से पूर्व के स्तर से पीछे है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल जनवरी से जून के बीच भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या (एफटीए) 47.8 लाख थी, जो 2019 की पहली छमाही का लगभग 90 प्रतिशत है। क्रिसिल मार्केट इंटेलिजेंस एंड एनालिटिक्स द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि से यह संकेत मिलता है कि प्रति व्यक्ति आगमन का खर्च अधिक है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत आने वाले पर्यटकों की संख्या में कोविड-19 महामारी के बाद का सुधार वैश्विक रुझान से पीछे है। कैलेंडर साल 2024 की पहली छमाही में देश में एफटीए 47.8 लाख रहा है, जो कैलेंडर वर्ष 2019 की पहली छमाही का लगभग 90 प्रतिशत है। रिपोर्ट के अनुसार, इसकी तुलना में वैश्विक स्तर पर, 2024 के पहले सात महीनों में एफटीए 2019 के कोविड-पूर्व स्तर के 96 प्रतिशत पर था। इसका अर्थ है कि भारत इस मामले में पीछे है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि बांग्लादेश में वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य के कारण वहां से मांग में कमी आई है तथा चीन से सीधी उड़ानों के निलंबन से पर्यटकों की संख्या पर असर पड़ा है। ये दोनों देश भारत के लिए पर्यटकों के प्रमुख स्रोत थे और 2019 में एफटीए में इनकी हिस्सेदारी 27 प्रतिशत थी। इस बीच, रिपोर्ट में कहा गया है कि कतर, दुबई, वियतनाम और श्रीलंका जैसे देश अधिक किफायती विकल्पों और अनुकूल वीजा नीतियों के साथ पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं।
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प्रमुख बाजारों में कम मांग और उपभोक्ताओं द्वारा प्रयोगशला में बनाये गए हीरों को प्राथमिकता देने की वजह से भारत के प्राकृतिक हीरा पॉलिशिंग उद्योग के राजस्व में चालू वित्त वर्ष 2024-25 में 25-27 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष में इस उद्योग का राजस्व घटकर एक दशक के निचले स्तर 12 अरब डॉलर पर आ सकता है। क्रिसिल रेटिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि राजस्व में गिरावट मुख्य रूप से अमेरिका और चीन के प्रमुख निर्यात बाजारों में मांग में कमी, अधिक आपूर्ति के बीच हीरे की कीमतों में 10-15 प्रतिशत की गिरावट और प्रयोगशला में बनाये गए हीरों (एलजीडी) के प्रति उपभोक्ता की पसंद में बदलाव के कारण हुई है।
इसमें कहा गया है कि लगातार तीसरे वित्त वर्ष में गिरावट के साथ, प्राकृतिक हीरा पॉलिशिंग उद्योग के राजस्व में इस वित्त वर्ष में साल-दर-साल आधार पर 25-27 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है। पिछले वित्त वर्ष में उद्योग के राजस्व में 29 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2022-23 में नौ प्रतिशत की गिरावट आई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि कीमतों में गिरावट के बीच मांग में कमी के कारण हीरा पॉलिश करने वालों ने कच्चे हीरे की खरीद सीमित कर दी है और विनिर्माण पर अंकुश लगा दिया है। बदले में, खनिकों ने उत्पादन में कटौती की है जिससे कच्चे और पॉलिश किए गए प्राकृतिक हीरे की कीमतों में गिरावट को रोकने में मदद मिली है। नतीजतन, वित्त वर्ष 2024-25 में परिचालन मार्जिन 4.5-4.7 प्रतिशत पर स्थिर हो जाएगा।
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कृत्रिम मेधा (एआई) से संबंधित उत्पादों और सेवाओं के लिए वैश्विक बाजार में 40-55 प्रतिशत की वार्षिक दर से वृद्धि होने की उम्मीद है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि एआई का वैश्विक बाजार 2027 तक 990 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। बेन एंड कंपनी की पांचवीं वार्षिक वैश्विक प्रौद्योगिकी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2027 तक एआई कार्यभार प्रति वर्ष लगभग 25-35 प्रतिशत बढ़ सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया, “बेन का अनुमान है कि एआई से संबंधित हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के लिए कुल बाजार अगले तीन वर्षों में सालाना 40 से 55 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा और 2027 तक 780 अरब डॉलर से 990 अरब डॉलर के बीच पहुंच जाएगा। आपूर्ति और मांग में उतार-चढ़ाव से रास्ते में अस्थिरता पैदा होगी, लेकिन लगता है कि दीर्घकालिक, टिकाऊ वृद्धि यहीं रहेगी।”
इसमें कहा गया है कि जैसे-जैसे एआई का विस्तार होगा, कंप्यूटिंग शक्ति की आवश्यकता अगले पांच से 10 वर्षों में बड़े डेटा केंद्रों के पैमाने का व्यापक रूप से विस्तार करेगी। रिपोर्ट कहती है, “एआई डेटा सेंटर में वृद्धि को बढ़ावा देगा, जो आज के 50-200 मेगावाट से बढ़कर एक गीगावाट से भी अधिक हो जाएगा। इसका मतलब है कि अगर आज बड़े डेटा सेंटर की लागत एक अरब डॉलर से चार अरब डॉलर के बीच है, तो आज से पांच साल बाद उनकी लागत 10 अरब डॉलर से 25 अरब डॉलर के बीच हो सकती है।”
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