अर्थतंत्र

अर्थजगतः हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बीच अडानी की 8 कंपनियों के शेयरों में गिरावट और आरोपों की न्यायिक जांच की मांग उठी

बजाज फाइनेंस ने सोमवार को कहा कि उसे 342 करोड़ रुपये की जीएसटी मांग के लिए कारण बताओ नोटिस मिला है।खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी से खुदरा महंगाई दर जुलाई में घटकर 3.54 प्रतिशत पर आ गयी।

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बीच अडानी की 8 कंपनियों के शेयरों में गिरावट
हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बीच अडानी की 8 कंपनियों के शेयरों में गिरावट फोटोः सोशल मीडिया

हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बीच अडानी समूह की 8 कंपनियों के शेयरों में गिरावट

अमेरिकी शोध और निवेश कंपंनी हिंडनबर्ग रिसर्च की ताजा रिपोर्ट के बाद सोमवार को अडानी समूह की सूचीबद्ध 10 कंपनियों में से आठ के शेयर गिरावट के साथ बंद हुए। अडानी विल्मर के शेयर में चार प्रतिशत की गिरावट आई। बीएसई सेंसेक्स पर कारोबार के अंत में अडानी विल्मर का शेयर 4.14 प्रतिशत, अडानी टोटल गैस का 3.88 प्रतिशत, अडानी एनर्जी सॉल्यूशंस का 3.70 प्रतिशत, एनडीटीवी का 3.08 प्रतिशत, अडानी पोर्ट्स का 2.02 प्रतिशत, अडानी एंटरप्राइजेज का 1.09 प्रतिशत, एसीसी का 0.97 प्रतिशत और अडानी पावर का 0.65 प्रतिशत गिरा। हालांकि, समूह की कंपनी अंबुजा सीमेंट्स का शेयर 0.55 प्रतिशत और अडानी ग्रीन एनर्जी का शेयर 0.22 प्रतिशत चढ़ा।

हिंडनबर्ग ने शनिवार देर रात जारी अपनी नई रिपोर्ट में कहा था कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और उनके पति धबल बुच ने बरमूडा तथा मॉरीशस में अस्पष्ट विदेशी कोषों में अघोषित निवेश किया था। उसने कहा कि ये वही कोष हैं जिनका कथित तौर पर विनोद अडानी ने पैसों की हेराफेरी करने और समूह की कंपनियों के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया था। विनोद अडानी, अडानी समूह के चेयरपर्सन गौतम अडानी के बड़े भाई हैं।

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वित्त मंत्रालय के पूर्व सचिव ने हिंडनबर्ग के आरोपों की न्यायिक जांच की मांग की

पूर्व नौकरशाह ईएएस शर्मा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर सेबी प्रमुख के मामले में हितों के टकराव के कारण अडानी समूह की जांच प्रभावित होने के आरोपों की न्यायिक जांच कराने की मांग की है। उन्होंने अमेरिकी शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च के सेबी चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच के खिलाफ लगाए गए आरोपों को बेहद परेशान करने वाला बताया। उन्होंने कहा कि सरकार को स्वतंत्र एजेंसी से मामले की जांच कराकर वास्तविक स्थिति का पता लगाना चाहिए।

हिंडनबर्ग रिसर्च ने शनिवार को बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति पर अडानी से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी होने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि सेबी चेयरपर्सन बुच और उनके पति धबल बुच के पास उस विदेशी कोष में हिस्सेदारी है, जिसका अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी ने समूह में कथित धन की हेराफेरी और शेयरों के दाम बढ़ाने को लेकर इस्तेमाल किया।

वित्त मंत्रालय में बतौर सचिव (1999 से 2000 के बीच) काम करने वाले शर्मा ने पूछा कि क्या बाजार नियामक ने हितों के संभावित टकराव के बारे में वित्त मंत्रालय को खुलासा किया था और क्या मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति को सूचित किया गया था। उन्होंने लिखा है, ‘‘यदि हिंडनबर्ग के आरोप तथ्यात्मक रूप से सही पाए जाते हैं, तो पिछले कुछ साल में कुछ कॉरपोरेट इकाइयों की बेनामी एजेंसियों के जरिये शेयर बाजार में गड़बड़ी को लेकर सेबी की जांच को दोबारा से कराने की जरूरत है।’’

शर्मा ने कहा कि सरकार भारत के मुख्य न्यायाधीश से जांच आयोग का नेतृत्व करने के लिए न्यायपालिका के एक वरिष्ठ सदस्य को नामित करने का अनुरोध कर सकती है। यही तरीका है जिससे सार्वजनिक संस्थानों के प्रति भरोसे को बनाये रखा जा सकता है। उन्होंने कहा, ‘‘जांच आयोग की कार्यवाही सार्वजनिक होनी चाहिए और इसकी रिपोर्ट समयबद्ध तरीके से संसद को सौंपी जानी चाहिए।’’

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बजाज फाइनेंस को 342 करोड़ रुपये की जीएसटी मांग का नोटिस मिला

बजाज फाइनेंस ने सोमवार को कहा कि उसे 342 करोड़ रुपये की जीएसटी मांग के लिए कारण बताओ नोटिस मिला है। कंपनी ने शेयर बाजार को बताया कि उसे जीएसटी आसूचना महानिदेशक (डीजीजीआई), कोच्चि क्षेत्रीय इकाई से कारण बताओ नोटिस (एससीएन) मिला है।बजाज फाइनेंस ने कहा कि इस नोटिस में अधिकारियों ने कहा है कि बी2बी व्यवसाय में ग्राहकों से लिए गए अग्रिम ब्याज की निश्चित राशि को शुल्क/ सेवा शुल्क माना जाना चाहिए और उस पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) देय होगा।

कंपनी ने कहा कि एससीएन के तहत मांगी गई जीएसटी की राशि जुलाई, 2017 से मार्च, 2024 की अवधि के लिए 342 करोड़ रुपये (ब्याज और जुर्माना को छोड़कर) है। डीजीजीआई ने ब्याज और जुर्माने के रूप में भी समान राशि देने की बात कही है। कंपनी ने कहा कि वह एससीएन के खिलाफ जवाब दाखिल करने की तैयार कर रही है।

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हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बीच सेंसेक्स 57 अंक टूटा

अमेरिकी शोध और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च की सेबी प्रमुख माधबी पुरी बुच और उनके पति के खिलाफ विदेशी कोष में अघोषित निवेश को लेकर रिपोर्ट से शेयर बाजार आज शुरू में काफी गिर गया था लेकिन बाद में निजी बैंकों में लाभ से बाजार काफी हद तक नुकसान से उबरने में सफल रहा। तीस शेयरों पर आधारित सेंसेक्स में शुरुआत में तेज गिरावट आई थी। हालांकि, बाद में यह 56.99 अंक यानी 0.07 प्रतिशत की मामूली गिरावट के साथ 79,648.92 अंक पर बंद हुआ।

सुबह के कारोबार में अडानी समूह की कंपनियों और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख कंपनियों के शेयरों में लिवाली से यह 479.78 अंक तक लुढ़क गया था। बाद में इसमें तेजी आई और यह दिन के निचले स्तर से करीब 880 अंक तक चढ़ गया। लेकिन कारोबार समाप्ति से पहले यह नीचे आ गया। सेंसेक्स की 18 कंपनियां नुकसान में जबकि 12 लाभ में रहीं। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी 20.50 अंक यानी 0.08 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,347 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह नीचे में 24,212.10 अंक तक आया और ऊंचे में 24,472.80 अंक तक गया।

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मुद्रास्फीति जुलाई में पांच साल के निचले स्तर 3.54 प्रतिशत पर

खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी से खुदरा महंगाई दर जुलाई में घटकर 3.54 प्रतिशत पर आ गयी। करीब पांच साल में यह पहला मौका है जब मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के लक्ष्य से नीचे आई है। सोमवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गयी। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जून में 5.08 प्रतिशत थी। जबकि बीते साल जुलाई में यह 7.44 प्रतिशत थी।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की महंगाई जुलाई में 5.42 प्रतिशत रही। यह जून में 9.36 प्रतिशत थी। इससे पहले, खुदरा मुद्रास्फीति सितंबर, 2019 में चार प्रतिशत के नीचे रही थी। सरकार ने रिजर्व बैंक को खुदरा मुद्रास्फीति को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।

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