अमेरिका के एमसीएक्स पर सुबह के कारोबार में सोने की कीमत 66,778 रुपये प्रति 10 ग्राम की ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंच गई। पिछले दिन के मुकाबले सोने की कीमत में 1,028 रुपये की बढ़ोतरी हुई, जो लगभग 1.5 फीसदी की वृद्धि है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमत शुरुआती कारोबार में पहली बार 2,200 डॉलर प्रति औंस से ऊपर पहुंच गई। सिंगापुर में सुबह 9:40 बजे स्पॉट गोल्ड 0.7 प्रतिशत बढ़कर 2,201.94 डॉलर प्रति औंस हो गया।
कम ब्याज दरों की संभावना के चलते सोना निवेशकों के लिए आकर्षक निवेश है, जिससे इसकी खरीदारी बढ़ जाती है और कीमतों में वृद्धि होती है। बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिम और चीन के नेतृत्व में केंद्रीय बैंकों की खरीददारी ने भी सोने की कीमत को बढ़ावा दिया है। रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास संघर्ष के लाल सागर क्षेत्र तक फैलने की आशंका से सोने को निवेशक एक आकर्षक निवेश के रूप में देख रहे हैं। शादी के मौसम के बीच भारत में सोने की मांग मजबूत बनी हुई है। दुल्हन और दूल्हे को बड़ी मात्रा में कीमती धातु उपहार में दी जाती है।
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संकट में फंसी एडुटेक कंपनी बायजूज कथित तौर पर अपने नवीनतम लागत-कटौती कदम के तहत देशभर में अपने 300 केंद्रों में से लगभग 200 ऑफलाइन ट्यूशन केंद्रों को बंद करने की योजना बना रही है। कंपनी का इरादा अगले महीने से केंद्रों को छोड़ने का है। कंपनी ने यह फैसला फरवरी में 50 केंद्रों को बंद करने के बाद लिया है।
बायजूज के ट्यूशन सेंटर या बीटीसी को कंपनी के लिए प्राथमिक विकास इंजन के रूप में देखा जाता था, जो 2023 की शुरुआत तक कार्यक्षेत्र का विस्तार कर रहा था। बायजूज ने पिछले हफ्ते अपने सभी कर्मचारियों को घर से काम करने के लिए बाध्य किया, क्योंकि इसने कई नकदी संकटों के बीच देश भर में कार्यालय स्थल छोड़ दिए। इसने अपने 300 ऑफलाइन ट्यूशन केंद्रों पर काम करने वालों पर रोक लगा दी।
इस विकास से जुड़े करीबी लोगों ने बताया कि कंपनी ने पट्टे खत्म होने के कारण कार्यालय स्थल छोड़ दिया है, केवल बेंगलुरु स्थित मुख्यालय को अपने पास रखा है। कार्यालय छोड़ने का कदम बायजूज के भारत के सीईओ अर्जुन मोहन के नकदी बचाने के प्रयास का हिस्सा था, क्योंकि राइट्स इश्यू से प्राप्त आय (लगभग 250-300 मिलियन डॉलर) चुनिंदा निवेशकों के साथ झगड़े के बीच फंसी हुई है। इस बीच, बायजूज ने फरवरी महीने के लिए 20,000 से अधिक कर्मचारियों के लंबित वेतन का एक हिस्सा बांट दिया है।
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वैश्विक बाजारों में तेजी के बीच घरेलू शेयर बाजारों के मानक सूचकांकों में गुरुवार को लगभग एक प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने अनुमान जताया है कि इस साल ब्याज दर में तीन बार कटौती की जाएगी। इसके बाद वैश्विक बाजारों में तेजी आई। बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स 539.50 अंक यानी 0.75 प्रतिशत उछलकर 72,641.19 अंक पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान एक समय यह 780.77 अंक तक उछलकर 72,882.46 अंक पर पहुंच गया था। यह लगातार दूसरा कारोबारी सत्र है जब सेंसेक्स लाभ में रहा है।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का सूचकांक निफ्टी भी 172.85 अंक यानी 0.79 प्रतिशत चढ़कर 22,011.95 अंक पर पहुंच गया। सेंसेक्स की कंपनियों में एनटीपीसी, पावर ग्रिड, इंडसइंड बैंक, टाटा स्टील, टाटा मोटर्स, जेएसडब्ल्यू स्टील, टेक महिंद्रा और लार्सन एंड टुब्रो सबसे अधिक लाभ में रहीं। दूसरी तरफ भारती एयरटेल, मारुति सुजूकी, आईसीआईसीआई बैंक और एशियन पेंट्स के शेयरों में गिरावट का रुख रहा।
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एनारॉक डॉट ग्रुप का कहना है कि डेटा रुझानों से संकेत मिलता है कि पिछले दो चुनावी वर्षों 2014 और 2019 में मकानों की बिक्री ने नए रिकॉर्ड बनाए। रियलिटी क्षेत्र की कंपनी ने बताया कि 2014 में शीर्ष सात शहरों में बिक्री लगभग 3.45 लाख यूनिट तक पहुंच गई थी, जबकि नये लॉन्च लगभग 5.45 लाख यूनिट के साथ नये रिकॉर्ड पर थे।
एनारॉक ने कहा कि इसी तरह, 2016 और 2019 के बीच आवासीय अचल संपत्ति बाजार में सुस्ती के बाद 2019 में मकानों की बिक्री लगभग 2.61 लाख इकाई तक बढ़ गई, जबकि नए लॉन्च लगभग 2.37 लाख इकाई पर रहे। पिछले दो चुनावी वर्षों के डेटा संकेत देते हैं कि आम चुनाव और मकानों की बिक्री में करीबी संबंध है। एनारॉक ने कहा कि 2016 और 2017 में पेश नोटबंदी, रेरा और जीएसटी जैसे प्रमुख संरचनात्मक सुधारों ने भारतीय रियल एस्टेट को अनियंत्रित बाजार से अधिक संगठित और विनियमित बाजार में बदल दिया।
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रैंसमवेयर और मैलवेयर भारत में 2024 के सबसे बड़े साइबर खतरे के रूप में उभरे हैं। 42 प्रतिशत आईटी और सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स ने उन्हें सबसे तेजी से बढ़ते खतरे के रूप में पहचाना है। आईटी कंपनी थेल्स के अनुसार, सॉफ्टवेयर-एज-ए-सर्विस (सास) एप्लिकेशन, क्लाउड-बेस्ड स्टोरेज और क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर मैनेजमेंट सहित क्लाउड एसेट्स ऐसे हमलों के लिए प्राइमरी टारगेट बने हुए हैं। भारत में थेल्स के उपाध्यक्ष आशीष सराफ ने कहा, "भारत और दुनिया भर में डेटा गोपनीयता नियमों में लगातार बदलाव के साथ, उद्यमों को अनुपालन में बने रहने के किसी भी अवसर के लिए अपने संगठन में अच्छी विजिबिलिटी की जरूरत है।"
रिपोर्ट में 37 इंडस्ट्रीज में 18 देशों के लगभग 3 हजार आईटी और सिक्योरिटी प्रोफेशनल्स का सर्वे किया गया। गुरुवार को जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, 11 प्रतिशत जवाबकर्ताओं ने माना कि वे भारत में पिछले साल रैंसमवेयर हमले का शिकार हुए, जिनमें से 10 प्रतिशत ने फिरौती का भुगतान किया। रैंसमवेयर को देश में टॉप बढ़ते खतरे के रूप में जगह दिए जाने के बावजूद केवल 20 प्रतिशत जवाबकर्ताओं के पास औपचारिक रैंसमवेयर योजना है। इसके अलावा, रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि लगातार दूसरे साल मानवीय त्रुटि डेटा उल्लंघनों का प्रमुख कारण बनी हुई है। 34 प्रतिशत उद्यमों ने इसे मूल कारण बताया है।
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