देश आर्थिक मंदी की मार झेल रहा है। लोगों के पास न नौकरी है न रोजगार। व्यापरी वर्ग भी जीएसटी और नोटबंदी की वजह से कई परेशानियां झेल रहा है। लेकिन, मोदी सरकार के लिए ये कोई मुद्दा नहीं है। लगता है मोदी सरकार का रोजगार और व्यापार से कोई सरोकार नहीं है।
Published: 18 Oct 2019, 11:55 AM IST
आर्थिक सुस्ती का असर हर सेक्टर में देखा जा रहा है। इसी का असर है कि देश की सबसे बड़ी कंज्यूमर प्रोडक्ट कंपनी हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड (HUL) नकदी की कमी का सामना कर रही है। इस वजह से 7 साल में पहली बार ग्रामीण बाजार में कंपनी के विस्तार में कमी दर्ज की गई है।
Published: 18 Oct 2019, 11:55 AM IST
अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक वित्तीय बाजार में कैश की कमी के बीच एचयूएल और दूसरे कंज्यूमर गुड्स कंपनियों ने कुछ मौकों पर क्रेडिट सपोर्ट भी उपलब्ध कराया है। इसके बावजूद ग्रामीण बाजार में कंपनी के विस्तार में कमी देखने को मिली है। अखबार में एचयूएल के मुख्य वित्तीय अधिकारी श्रीनिवास पाठक के हवाले से कहा गया है कि यदि आप ग्रामीण क्षेत्रों को देखेंगे तो पाएंगे कि यह देश के मध्य हिस्सों में हैं। कुल मिलाकर लिक्विडिटी क्रंच एक बार फिर से आ रहा है।
Published: 18 Oct 2019, 11:55 AM IST
उन्होंने कहा कि कंपनी इन बाधाओं को दूर करने के लिए सीधे रूप से हस्तक्षेप कर रही है। पाठक ने कहा कि हम इसके लिए अपने कई बैंकिंग और वित्तीय साझेदारों से बात कर रहे हैं। इससे हम को दूर कर सकें और अपने वितरकों को क्रेडिट के जरिये सहयोग कर सकें। कुछ मामलों में हमने क्रेडिट के जरिये वितरकों को मदद की है।
Published: 18 Oct 2019, 11:55 AM IST
नीलसन के अनुसार पिछले 7 साल में ग्रामीण बाजार की ग्रोथ सबसे कम 5 फीसदी रही है। लिक्विडिटी क्रंच का असर कंज्यूमर डिमांड पर पड़ा है। पिछले सात साल में पहली बार शहरी ग्रोथ ने रूरल ग्रोथ को पीछे छोड़ दिया है। नीलसन की रिपोर्ट के अनुसार इंडियन फास्टमूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) का बाजार सितंबर तिमाही में 7.3 फीसदी की रफ्तार से बढ़ा। वहीं पिछले साल समान अवधि में यह बढ़ोतरी 16.2 फीसदी थी। पिछली तीन तिमाही में ग्रामीण इलाकों में खपत में कमी आई है। इसकी वृद्धि दर 5 फीसदी रही जो सात साल में सबसे कम है। एक साल पहले इसकी वृद्धि दर 20 फीसदी थी।
Published: 18 Oct 2019, 11:55 AM IST
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Published: 18 Oct 2019, 11:55 AM IST