अर्थतंत्र

अर्थजगत की खबरें: साल 2021-2022 की चौथी तिमाही में GDP 4.1 फीसदी रही, तीन दिन की तेजी के बाद लुढ़का शेयर बाजार

केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 मई तक का जीएसटी का पूरा बकाया मंगलवार को जारी करने का दावा किया है। ईंधन और खाद्य पदार्थो की आसमान छूती कीमतों के कारण जर्मनी में मई में मुद्रास्फीति दर 49 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

आर्थिक विकास के मोर्चे पर झटका, चौथी तिमाही में GDP गिरकर 4.1 फीसदी रही

वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही में देश को जीडीपी के मोर्चे पर झटका लगा है। वित्त वर्ष 2021-22 की चौथी तिमाही जनवरी से मार्च के बीच देश का आर्थिक विकास दर 4.1 फीसदी रहा है। वहीं वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 8.7 फीसदी रहा है। हालांकि केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 9.2 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। जानकारों के मुताबिक विकास दर में सुस्ती का मुख्य कारण महंगाई है। महंगाई बढ़ने से निवेश पर भी असर पड़ा है।

भारत सरकार के सांख्यिकी कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी डेटा के मुताबिक बीते वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी 5.4 फीसदी रही थी। वहीं अप्रैल-जून तिमाही में देश की जीडीपी 20.1 फीसदी और जुलाई-सितंबर क्वार्टर में 8.4 फीसदी रही थी। इस तरह वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान जीडीपी ग्रोथ 8.7 फीसदी दर्ज की गई। ये आंकड़े कोविड-19 की तीसरी लहर और वैश्विक कीमतों में बढ़ोतरी के कारण 28 फरवरी को जारी 8.9 फीसदी के आधिकारिक अनुमान से कम है।

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तीन दिन की तेजी के बाद लुढ़का शेयर बाजार

सकल घरेलू उत्पाद के आंकड़े जारी होने से पहले घरेलू शेयर बाजार तीन दिन की लगातार तेजी को खोते हुए मंगलवार को गिरावट में बंद हुए। विश्लेषकों का कहना है कि निवेशक जीडीपी के आंकड़ों की प्रतीक्षा में रहे। आंकड़े शाम साढ़े पांच बजे के करीब जारी होने हैं। बीएसई का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स 359 अंक की गिरावट में 55,566 अंक पर और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी 77 अंक फिसलकर 16,585 अंक पर बंद हुआ।

निफ्टी में फार्मा, पीएसयू बैंक, उपभोक्ता उत्पाद और तेल एंव गैस क्षेत्र में सर्वाधिक बिकवाली का जोर रहा। ऑटो, मीडिया, धातु और रियल्टी में लिवाली देखी गई। जियोजीत फाइनेंशिल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, ''घरेलू बाजार तेजी को बरकरार नहीं रख पाये क्योंकि निवेशक जीडीपी के आंकड़े की प्रतीक्षा कर रहे हैं। बढ़ती महंगाई के कारण खपत घटने तथा निवेश पर नकारात्मक प्रभाव रहा है, जिससे जीडीपी के 4.0 से 4.2 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।'' रूस के तेल आयात पर यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में तेजी से वैश्विक मुद्रास्फीति दर को नियंत्रित करने में मुश्किल होगी।

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केंद्र ने राज्यों को 31 मई तक का जीएसटी बकाया जारी किया

केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 31 मई तक वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का पूरा बकाया मंगलवार को जारी कर दिया। केंद्र ने बकाया भुगतान के लिए 86,912 करोड़ रुपये जारी किये हैं। वित्त मंत्रालय ने यह जानकारी दी कि जीएसटी बकाये का भुगतान राज्यों को उनके संसाधनों के प्रबंधन में मदद करने तथा चालू वित्त वर्ष के दौरान उनके कार्यक्रमों को सफलतापूर्वक पूरा करने में मदद देने के लिए किया गया है।0
मंत्रालय ने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति कोष में मात्र 25,000 करोड़ रुपये रहने के बावजूद बकाया भुगतान का निर्णय लिया गया। केंद्र शेष राशि को अपने संसाधनों के जरिये जारी कर रहा है।

देश में जुलाई 2017 में जीएसटी प्रणाली लागू की गई थी। राज्यों को तब आश्वासन दिया गया था कि इस प्रणाली के लागू होने के कारण हुई किसी भी प्रकार की राजस्व हानि की क्षतिपूर्ति उन्हें पांच साल की अवधि के लिए की जाएगी। मंत्रालय ने बताया कि जनवरी 2022 और उससे पहले की अवधि के जीएसटी बकाया के रूप में 47,617 करोड़, फरवरी-मार्च 2022 के लिए 21,322 करोड़ और अप्रैल-मई के लिए 17,972 करोड़ रुपये जारी किये गये। अब राज्यों को सिर्फ जून 2022 के लिए जीएसटी क्षतिपूर्ति की जानी शेष रहेगी।

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जर्मनी में मुद्रास्फीति दर 49 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंची

ईंधन और खाद्य पदार्थो की आसमान छूती कीमतों के कारण जर्मनी में मई में मुद्रास्फीति दर 49 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। जर्मनी में पहले तेल संकट के दौरान साल 1973/74 में महंगाई का इतना ऊंचा स्तर देखा गया था। चीन की संवाद समिति शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक जर्मनी के संघीय सांख्यिकी मंत्रालय द्वारा जारी प्रारंभिक आंकड़ों के अनुसार, गेहूं की कमी और वैश्विक खाद्य संकट की आशंका के बीच खाद्य पदार्थ की कीमतें वार्षिक आधार पर 11.1 प्रतिशत बढ़ गई हैं।

मंत्रालय के मुताबिक रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से जर्मनी में ईंधन की कीमतों में 38.3 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है। ईंधन की कीमतों में रही बेतहाशा तेजी का मुद्रास्फीति दर पर व्यापक प्रभाव रहा है। कोविड के कारण हुई आपूर्ति बाधा से भी महंगाई बढ़ी है। जर्मनी में आयात की कीमतें अप्रैल में वार्षिक आधार पर 31.7 प्रतिशत बढ़ी हैं। प्राकृतिक गैस की कीमतों में वार्षिक आधार पर 300 प्रतिशत से अधिक तथा कच्चे तेल की कीमतों में 77.5 प्रतिशत की तेजी आई है।

ईंधन की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत देने के लिए जर्मनी ने कुछ समय के लिए ईंधन कर में कटौती की है और लोगों को एक बार में ऊर्जा भत्ते के रूप में 300 यूरो यानी 323 डॉलर देने की घोषणा की है। इसके अलावा लोगों को निजी कार की जगह सार्वजनिक परिवहन साधनों के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से बस और ट्रेन की टिकटों की कीमतों में भी कटौती की घोषणा की है। गर्मी के मौसम में बस और ट्रेन के टिकट प्रति माह मात्र नौ यूरो की दर से मिलेंगे।

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जल्द ही एलसीडी पैनल निर्माण बंद कर सकती है सैमसंग

दक्षिण कोरियाई टेक दिग्गज सैमसंग कथित तौर पर अपने अंतिम लिक्विड-क्रिस्टल डिस्प्ले (एलसीडी) प्रोडक्ट लाइनों को बंद करने की योजना बना रही है। गिज्मोचाइना की रिपोर्ट के अनुसार, सैमसंग डिस्प्ले द्वारा एलसीडी व्यवसाय को बंद करने का निर्णय जून 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा क्योंकि कंपनी को अपने चीनी और ताइवानी समकक्षों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। कंपनी ने ऑर्गेनिक लाइट-एमिटिंग डायोड (ओएलईडी) और क्वांटम डॉट (क्यूडी) डिस्प्ले के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है, क्योंकि स्मार्टफोन बाजार में ओएलईडी पैनल आदर्श बनने लगे हैं।

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रिपोर्ट के अनुसार, एलसीडी पैनल के प्रोडक्शन को बंद करने का मुख्य कारण उद्यम में कम मुनाफा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी निवेश योजना के विवरण की घोषणा नहीं की गई है और एलसीडी व्यवसाय के कर्मचारियों को क्यूडी व्यवसाय में स्थानांतरित किए जाने की उम्मीद है। सैमसंग डिस्प्ले ने 2020 के अंत में अपने एलसीडी कारोबार को बंद करने का फैसला किया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के दौरान एलसीडी पैनल की कीमतों में अचानक वृद्धि के कारण सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स के अनुरोध पर योजनाओं में देरी हुई।

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