देश में कोरोना संकट के बीच जिस बात का डर अर्थशास्त्रियों को सता रहा था, वहीं हुआ है। देश में कोरोना महामारी के बीच बेरोजगारी बढ़ गई है। सीएमआईई के आंकड़ों के अनुसार, भारत में बेरोजगारी दर (औपचारिक और अनौपचारिक क्षेत्र रोजगार दोनों शामिल हैं) मार्च की शुरुआत में लगभग 7.5 प्रतिशत से 20 अप्रैल को लगभग 23.6 तक बढ़ गई है। वहीं, श्रम बल भागीदारी दर में तेजी से गिरावट दर्ज की गई है। यह 42.8 प्रतिशत की 35.9 प्रतिशत पर आ गई है।
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इस महामारी के खत्म होने के बाद वैश्विक आर्थिक मंदी की आशंका के मद्देनजर देश भर में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी और भुखमरी का माहौल बन सकता है। साथ ही उत्पादकता में भी गिरावट आ सकती है। ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी’ के ताजा सर्वेक्षण के अनुसार श्रम शक्ति की भागीदारी में लगातार गिरावट आ चुकी है। इसे दुरुस्त करने के लिए बड़े पैमाने पर मजदूरों को सक्रिय बनाना होगा।
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लाइव मिंट की खबर के मुताबिक, जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी, दिल्ली के एसोसिएट प्रोफेसर ऑफ इकोनॉमिक्स हिमांशू ने बताया था कि बेरोजगारी दर भारत ही नहीं दुनियाभर में तेजी से बढ़ सकती है। उन्होंने कहा था कि ऐसे में लॉकडाउन खत्म होने के बाद बेरोजगारी दर कितनी बढ़ेगी। हिमांशू के मुताबिक, देश की लगभग एक-तिहाई नौकरियां अस्थाई होती है, जिनके पास इकोनॉमिक सेफ्टी और सिक्योरिटी नहीं होती है। इससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसे में सरकार को लॉकडाउन के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए उचित कदम उठाने होंगे।
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गौरतलब है कि कोरोना संकट के बीच बेरोजगारी बढ़ने के संकेत सिर्फ अर्थशास्त्रियों ने ही नहीं बल्कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कई बार इस तरह के संकेत दे चुके हैं। राहुल गांधी ने बकायदे अपने ट्वीट और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रेस से बात करते हुए सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित था। उन्होंने कहा था कि आने वाले दिनों में बेरोजगारी एक बड़ी संकट बनकर देश में सामने आएगी। उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार को आगाह करते हुए कहा था कि कोरोना महामारी से लड़ते हुए सरकार को आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा था कि छोटे और मध्य वर्ग के उद्योगों के लिए सरकार को पैकेज का ऐलान करना चाहिए। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा था कि छोटे और मध्य वर्ग के उद्योग बड़ी संख्या में देश में रोजगार देते हैं। ऐसे में जरूरत है की सरकार जितना जल्द हो सके उनके लिए आर्थिक पैकेज देने के लिए कदम उठाए, ताकि आने वाले दिनों में बेरोजगारी जैसी बड़ी चुनौती से लड़ा जा सके।
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