कोरोना का कहर देश भर में जारी है। कोरोना संकट की वजह से हर कारोबार इस समय नुकसान झेल रहा है। हाल ही में म्यूचुअल फंड की हालात काफी खराब हो गई थी। जिसके बाद म्यूचुअल फंड पर लिक्विडिटी दबाव को कम करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक एक बड़ा फैसला लिया है। आरबीआई ने आज म्यूचुअल फंड के लिए 50,000 करोड़ रुपये की विशेष लिक्विडिटी सुविधा की घोषणा की है।
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आरबीआई ने कहा कि वह सतर्क है और कोरोना वायरस के आर्थिक प्रभाव को कम करने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए हर जरूरी कदम उठाएगा। बता दें कि बीते हफ्ते कोरोना के कारण देश की 8वीं सबसे बड़ी म्यूचुअल फंड कंपनी फ्रैंकलिन टेम्पलटन ने अपनी 6 डेट फंड्स को बंद कर दिया है। कंपनी को ये कदम कोरोना की वजह से हुए भारी नुकसान के कारण उठाना पड़ा है।
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एक बयान में केंद्रीय बैंक ने कहा कि कोविड-19 की वजह से पूंजी बाजारों में अस्थिरता बढ़ गई है। कोरोना महामरी ने म्यूचुअल फंड (MF) पर तरलता का दबाव डाला है। आरबीआई ने कहा, "एमएफ पर तरलता दबाव को कम करने के उद्देश्य से, 50,000 करोड़ रुपये के म्यूचुअल फंड के लिए विशेष तरलता सुविधा देने का निर्णय लिया गया है।" भारतीय रिजर्व बैंक ने भी जोर दिया कि वह कोविड-19 के आर्थिक प्रभाव को कम करने और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए जो भी आवश्यक कदम होंगे उसे वह उठाएगा।
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निवेशकों के आत्मविश्वास को मजबूत करने के लिए आरबीआई ने म्यूचुअल फंड्स के विशेष लिक्विडिटी सुविधा देने की घोषणा की है। ताकि निवेशकों का भरोसा भारत पर बना रहे और वो अपना पैसा बाजार से न निकालें। आरबीआई के ऐसा करने के पीछे का एक कारण ये भी है कि निवेशकों को ऐसा न लगे की उनका पैसा डूब रहा है। जिसके बाद वो निवेश करने से डरने लगे।
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