देश में हर साल 1 फरवरी को केंद्रीय बजट पेश किया जाता है। संसद में वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाता है। केंद्रीय बजट एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए सरकार की राजकोषीय नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करता है। वर्तामन सरकार के लिए इसबार का बजट अंतिम पूर्ण बजट होगा, क्योंकि अगले साल 2024 में देश में आम चुनाव होगा। आज आगे हम आपको बताने जा रहा हैं कि बजट कैसे तैयार किया जाता है।
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बता दें कि बजट बनाने की प्रक्रिया इसे पेश करने की तारीख से लगभग छह महीने पहले हर साल अगस्त-सितंबर के महीने में शुरू हो जाती है। बजट सरकार के लिए अपना राजस्व खर्च करने और विभिन्न विकास योजनाओं और अन्य तत्काल जरूरतों के लिए धन आवंटित करने की योजना बतौर देखा जाता है। ऐसे में बजट बनाने की प्रक्रिया को उसके चरणबद्ध तरीके से एक-एक कर समझते हैं।
बजट में तीन बड़े चरण होते हैं। पहले चरण में इसमें आने वाले वर्ष में सरकार द्वारा जुटाई जाने वाली कुल धनराशि के बारे में जिक्र किया जाता है। दूसरा वह कुल कितना पैसा खर्च करेगी, इसे कुल व्यय कहा जाता है। तीसरा वह जो पैसा खर्च करता है और जो कमाता है, उसके बीच के अंतर को भरने के लिए वह बाजार से कितना पैसा उधार लेगा, इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है।
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वित्त मंत्रालय सबसे पहले यह पता लगाता है कि चालू वित्त वर्ष (अप्रैल से मार्च) में अर्थव्यवस्था का संभावित आकार क्या है। ध्यान रहे कि बजट पेश किए जाने के समय चालू वित्त वर्ष अभी भी समाप्त नहीं हुआ होगा। इसके लिए वित्त मंत्रालय बजट बनाने की प्रक्रिया के प्रारंभिक चरण में सभी मंत्रालयों, राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्वायत्त संस्थाओं को सर्कुलर जारी करता है। इस सर्कुलर में मूलभूत विवरण के अलावा बजट से जुड़े आवश्यक दिशा-निर्देश शामिल रहते हैं। इसके आधार पर विभिन्न मंत्रालय अपनी जरूरतों और मांगों को केंद्र सरकार के समक्ष जाहिर करते है। मंत्रालय पिछले वित्तीय वर्ष की अपनी कमाई और खर्च का खुलासा कर उसी आधार पर अगले वित्त वर्ष के लिए एक अनुमान व्यक्त करते हैं। मंत्रालयों की ओर से यह जानकारी मिलने के बाद शीर्ष सरकारी अधिकारी इसका मूल्यांकन करते हैं फिर मंत्रालयों और व्यय विभाग के साथ चर्चा करते हैं।
वित्त मंत्रालय को जब आने वाले खर्चों के बारे में पता लग जाता है तो फिर उसके आधार पर आने वाले खर्चों के लिए तमाम डिवीजनों को राजस्व आवंटित करता है। पैसे के बंटवारे पर किसी तरह की असहमति की स्थिति में वित्त मंत्रालय केंद्रीय मंत्रिमंडल या प्रधानमंत्री के साथ विचार-विमर्श करता है। केंद्रीय बजट में अन्य जरूरतों को समझने के लिए आर्थिक मामलों और राजस्व विभाग कृषकों, छोटे व्यवसायियों और विदेशी संस्थागत निवेशकों सहित अन्य हितधारकों से भी सलाह-मशविरा करता है।
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बजट बनाते समय सरकार को कई चीजों का ध्यान रखना पड़ता है। आने वाले साल में होने वाले खर्चों से लेकर उधारी तक पर विस्तार से चर्चा की जाती है। केंद्र सरकार कितना उधार ले सकती है इसको लेकर भारत में सख्त नियम बनाए गए हैं। उधार लेने की सीमा राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन अधिनियम द्वारा निर्धारित की गई हैं। इस अधिनियम के मुताबिक कुल उधारी सकल घरेलू उत्पाद के 3% से अधिक नहीं हो सकता है।
बजट बनाने से पहले विभिन्न हितधारकों के साथ उनकी सिफारिशों और आवश्यकताओं के बारे में जानने के लिए वित्त मंत्रालय के साथ बैठक होती है। इस बैठक में राज्य के प्रतिनिधि, कृषक, बैंकर, अर्थशास्त्री और ट्रेड यूनियन नेता शामिल रहते हैं। इन सभी लोगों की मांगों और अनुरोधों पर विचार करने के बाद अंतिम स्वकृति से पहले एक बार फिर प्रधानमंत्री के साथ इस पर चर्चा होती है।
इसके बाद बारी आती है धन जुटाने की। खर्चों के बारे में पता लग जाने के बाद केंद्र सरकार यह पता लगात है कि राजस्व के अलावा विभिन्न माध्यमों से कितना धन जुटाया जा सकता है। योजानओं पर होने वाले खर्चे और अपनी आय के बीच के अंतर को उधार लेकर कम किया जाता है। अब सरकार के पास आय, उधार और खर्चों के बारे में पूरा विवरण उपलब्ध होता है। बजट की घोषणा से कुछ दिन पहले सरकार वार्षिक परंपरा के तहत हलवा समारोह आयोजित होता है। यह समारोह बजट दस्तावेज़ के छपने की शुरुआत माना जाता है। हलवा परंपरा के तहत एक विशाल कढ़ाई में हलवा बनाया जाता है। इस हलवे को वित्त मंत्रालय के सभी कर्मचारियों और बजट हितग्राहियों को खिलाया जाता है।
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एक फरवरी से पहले सभी तैयारियां पूरी कर ली जाती है। अब बारी आती है बजट पेश करने की, तो हर साल एक फरवरी को संसद में वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किया जाता है। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री दस्तावेज की प्रमुख बातों का सार प्रस्तुत करते हैं और प्रस्तावों के पीछे की सोच की व्याख्या करते हैं। वित्त मंत्री के बजट पेश करने के बाद उस पर चर्चा के लिए संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखा जाता है। दोनों सदनों के अनुमोदन के बाद केंद्रीय बजट को राष्ट्रपति की स्वीकृति के लिए भेजा जाता है।
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