नोटबंदी के जरिये देश को कालेधन से मुक्त करने और कैशलेस इंडिया को बढ़ावा देकर भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने का पीएम नरेंद्र मोदी का दावा खोखला साबित होता नजर आ रहा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की एक ताजा रिपोर्ट से कालाधन खत्म करने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के नाम पर नवंबर 2016 में लागू की गई नोटबंदी पूरी तरह से विफल साबित होती दिख रही है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार इस समय देश में नोटबंदी के समय से भी ज्यादा मुद्रा चलन में है और इसका करीब 95 फीसदी हिस्सा लोगों के पास है। इसे इस तरह भी कहा जा सकता है कि इस समय भी देश में लोगों ने काफी बड़ी रकम को अपने घरों में रखा हुआ है। जो नोटबंदी के पहले के आंकड़ों से कहीं ज्यादा है। आरबीआई की इस ताजा रिपोर्ट से पीएम मोदी की ‘कैशलेस इंडिया’ मुहिम पर भी सवालिया निशान खड़ा हो गया है।
आरबीआई ‘चलन में मुद्रा’ के आंकड़े साप्ताहिक आधार और ‘लोगों के पास मौजूद मुद्रा’ के आंकड़ों को 15 दिनों पर जारी करता है। आरबीआई द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि मई 2014 में मोदी सरकार के आने से पहले लोगों के पास लगभग 13 लाख करोड़ रुपए की मुद्रा थी। मई 2016 में यह बढ़कर 16.7 लाख करोड़ और अक्तूबर 2016 में बढ़कर 17 लाख करोड़ से अधिक हो गई। नोटबंदी के बाद इसमें गिरावट जरूर आई। लेकिन सितंबर 2017 में यह फिर से बढ़कर 15 लाख करोड़ रुपए हो गई। ताजा रिपोर्ट के अनुसार मई 2018 तक लोगों के पास 18.5 लाख करोड़ रुपये कैश था, जो अब तक का अधिकतम स्तर है। नोटबंदी के दौर की तुलना में यह रकम दोगुने से भी ज्यादा है। नोटबंदी के बाद जनता के हाथ में करीब 7.8 लाख करोड़ रुपये नकद रह गया था।
उल्लेखनीय है कि ये स्थिति तब है, जब कुछ महीने पहले ही देश के अलग-अलग हिस्सों में कैश संकट की खबरें आई थीं। लेकिन आरबीआई के अनुसार अभी भी देश में लोगों के पास बड़ी मात्रा में कैश मौजूद है।
Published: 11 Jun 2018, 2:33 PM IST
8 नवंबर 2016 की नोटबंदी के बाद केंद्र की मोदी सरकार ने दावा किया था कि इस कदम से बाजार में नकद का फ्लो कम होगा और लोग ऑनलाइन ट्रांजैक्शन पर जोर देंगे, जिससे देश कैशलेस इकॉनोमी की तरफ बढ़ेगा। लेकिन आरबीआई के मुताबिक, इस समय जनता के पास कैश और चलन में कैश दोनों ही नोटबंदी के पहले की तुलना में कहीं अधिक हैं। कालेधन पर लगाम लगाने के सरकार के दावे की हवा उसी समय निकल गई थी जब आरबीआई ने बताया था कि नोटबंदी के बाद चलन में मौजूद कुल कैश में से करीब 99 प्रतिशत कैश बैंकिंग प्रणाली में वापस आ गया है। अब चलन में नकद के आंकड़ों में बढ़ोतरी से सरकार के कैशलेस इंडिया के दावे की भी हवा निकलती दिखाई दे रही है।
Published: 11 Jun 2018, 2:33 PM IST
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Published: 11 Jun 2018, 2:33 PM IST