टाटा सन्स के चेयरमैन पद से साइरस मिस्त्री को हटाने के फैसले पर नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) ने टाटा प्रबंधन को बड़ा झटका दिया है। एनसीएलएटी ने साइरस मिस्त्री को टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटाने को अवैध करार देने के साथ उन्हें फिर से इस पद पर बहाल करने का आदेश दिया है। टाटा सन्स के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री के लिए यह एक बड़ी जीत है।
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एनसीएलएटी ने एन चंद्रशेखरन को टाटा समूह का कार्यकारी चेयरमैन बनाने के टाटा प्रबंधन के निर्णय को भी अवैध बताया है। चंद्रशेखरन को फरवरी 2017 में टाटा सन्स का कार्यकारी चेयरमैन बनाया गया था। हालांकि, टाटा समूह के प्रबंधन के पास ट्रिब्यूनल के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाने का मौका है। सुनवाई के दौरान टाटा सन्स ने अपील के लिए 4 हफ्ते का वक्त मांगा, जिसकी एनसीएलएटी ने मंजूरी दे दी।
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गौरतलब है कि टाटा के तत्कालीन प्रबंधन ने सायरस मिस्त्री को अक्टूबर 2016 में टाटा सन्स के चेयरमैन पद से हटा दिया था। इसके कुछ दिनों बाद साइरस मिस्त्री की दो कंपनियों- सायरस इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड और स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्प की ओर से टाटा सन्स के प्रबंधन के फैसले को एनसीएलएटी में चुनौती दी गई थी। कंपनियों की दलील थी कि उन्हें हटाने का फैसला कंपनीज एक्ट के नियमों के तहत नहीं था, लेकिन जुलाई 2018 में एनसीएलएटी ने उनके दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद एनसीएलटी के इस फैसले के खिलाफ मिस्त्री ने खुद अपील की थी।
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फिलहाल एनसीएलएटी का यह फैसला साइरस मिस्त्री के लिए एक बड़ी जीत है। वह तीन साल के बाद एक बार फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन बनेंगे। टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के रिटायर होने के बाद सायरस मिस्त्री टाटा सन्स का चेयरमैन बनाया गया था।
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