एक्सिस बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि बैंक के कई क्रेडिट कार्डधारक विदेशों में धोखाधड़ी वाले लेन-देन से प्रभावित हुए हैं। हालांकि, बैंक ने साफ किया कि आंकड़ों में कोई सेंध नहीं लगी है।
निजी क्षेत्र के देश के तीसरे सबसे बड़े बैंक के कार्ड और भुगतान प्रमुख संजीव मोघे ने कहा कि मंगलवार शाम से ग्राहकों ने अनधिकृत लेनदेन का ब्योरा देखा। उन्हें कुछ ई-कॉमर्स साइट पर कम मूल्य की खरीदारी को लेकर लेनदेन से जुड़ी सूचना मिली।
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उन्होंने कहा कि आंकड़ों में कोई सेंध नहीं लगी है। ऐसे लेनदेन का स्तर बहुत सीमित है और ग्राहकों से जुड़ा आंकड़ा पूरी तरह सुरक्षित है।
इस तरह के अनधिकृत लेनदेन के बारे में सोशल मीडिया पर बढ़ती चर्चा के बीच, मोघे ने कहा कि बैंक की आंतरिक व्यवस्था ने कुछ लेनदेन रोक दिये हैं। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इससे कई ग्राहक प्रभावित हुए हैं।
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उन्होंने कहा कि बैंक के क्रेडिट कार्ड ग्राहकों ने प्रतिदिन लगभग 500 करोड़ रुपये खर्च किये हैं। इसके साथ तुलना करने पर, ऐसे लेनदेन की सीमा ‘बहुत छोटी’ रही है।
इस बारे में और जानकारी के बारे में कहे जाने पर मोघे ने कहा कि यह कुल खर्च का एक छोटा सा हिस्सा है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि ऐसी घटनाएं एक दिन के लिए हुई और अब ऐसा कुछ नहीं है।
उन्होंने कहा कि धोखाधड़ी करने वालों ने अनधिकृत लेन-देन के मकसद से कुछ कार्ड नंबर और उसकी मियाद पूरी होने की तिथि हासिल की। चूंकि ये अंतरराष्ट्रीय लेनदेन हैं, इसलिए इन्हें एसएमएस या वन टाइम पासवर्ड अथवा सीवीवी नंबर जैसे किसी दूसरे प्रमाणीकरण की जरूरत नहीं पड़ी।
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यह पूछे जाने पर कि गड़बड़ी करने वालों ने आखिर कैसे आंकड़े प्राप्त किये, उन्होंने कहा कि 16 अंक की संख्या में पहले छह अंक बैंक-विशिष्ट होते हैं। जब भुगतान के लिए कार्ड पेट्रोल पंपों या रेस्तरां में दिये जाते हैं, वहां से कार्ड नंबर प्राप्त किये जाने की आशंका है।
यह पूछे जाने पर कि क्या अन्य बैंकों को भी इसी तरह के मामलों का सामना करना पड़ा है, मोघे ने कहा कि उन्हें इसके बारे में फिलहाल जानकारी नहीं है।
उन्होंने कहा कि एक्सिस बैंक प्रभावित ग्राहकों के क्रेडिट कार्ड बदल रहा है और जितनी राशि के सौदे किये गये हैं, उसे वापस कर रहा है। यह बैंक के लिए कोई ‘झटके’ वाली बात नहीं है।
मोघे ने कहा कि रिजर्व बैंक को घटना के बारे में जानकारी दी गयी है। बैंक को भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए ऑडिट जैसी रणनीतियों पर विचार करना होगा।
पीटीआई के इनपुट के साथ
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