नोटबंदी की बरसी पर मोदी सरकार के लिए आर्थिक मोर्चे पर एक और बुरी खबर आई है। दुनिया की सबसे क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों में से एक मूडीज ने कम आर्थिक विकास दर का हवाला देते हुए भारत की रेटिंग को 'स्थिर' से घटाकर 'नकारात्मक' कर दिया है। मूडीज ने भारत के बजट घाटा को मार्च 2020 तक 3.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो सरकार के 3.3 फीसदी के लक्ष्य से नीचे है।
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मूडीज ने कहा है कि पहले के मुकाबले भारत की आर्थिक वृद्धि बहुत कम रहने के अनुमान हैं। इससे पहले मूडीज ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए भारत की जीडीपी अनुमान को 6.2 प्रतिशत से घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया था। एजेंसी ने कहा, “परिदृश्य को नकारात्मक करने का फैसला आर्थिक वृद्धि के पहले के मुकाबले काफी कम रहने के बढ़ते जोखिम को दर्शाता है।”
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मूडीज के पूर्व अनुमान के मुकाबले वर्तमान की रेटिंग लंबे समय से चली आ रही आर्थिक और संस्थागत कमजोरी से निपटने में सरकार और नीति के प्रभाव को कम होते हुए दिखाती है। यही वजह है कि पहले ही उच्च स्तर पर पहुंचा कर्ज का बोझ धीरे-धीरे और बढ़ सकता है।
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रेटिंग एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में एक और बड़ी बात की है जो मोदी सरकार की मुश्किलें और पैदा कर सकता है। मूडीज के मुताबिक, ग्रामीण इलाकों में वित्तीय संकट, नौकरियां पैदा करने में नाकामी और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के तंग हाथ के संकेत हैं कि आने वाले दिनों में मंदी लंबे दौर तक चलने वाली है।
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वहीं, वित्त मंत्रालय ने मूडीज के रेटिंग के बाद ब्यान जारी किया है। सरकार ने कहा है कि भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है। मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, “भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। मुद्रास्फीति के नियंत्रण में होने से और बॉन्ड यील्ड के कम होने से अर्थव्यवस्था का बुनियादी ढांचा काफी मजबूत है।”
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