चीन ने कहा है कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के जवान विवादित क्षेत्र की गश्त जारी रखेंगे। चीन के इस बयान से सवाल उठ रहे हैं कि क्या भारत विवादित क्षेत्र से एकतरफा तौर पर अपनी सेना हटा रहा है।
दो महीने से सीमा पर जारी गतिरोध को समाप्त करते हुए सोमवार को भारत और चीन विवादित डोकलाम पहाड़ी से अपने सैनिक हटाने पर सहमत हो गए। विदेश मंत्रालय से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया, ‘विवादित स्थल से सीमा बलों को हटाने पर सहमति हुई है और इस पर तेजी से अमल किया जा रहा है।‘
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हालांकि चीन के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवान विवादित क्षेत्र में गश्ती जारी रखेंगे। यही बयान सवाल उठा रहा है कि क्या भारत एकतरफा तौर पर विवादित क्षेत्र से अपने सैनिकों को हटा रहा है।
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इस वर्ष 18 जून को डोकलाम पहाड़ी क्षेत्र में भारतीय सैनिकों के पहुंचने के बाद से दोनों देशों के बीच ये गतिरोध शुरू हुआ था। इस इलाके पर भूटान और चीन दोनों अपना दावा जताते रहे हैं। भारत और चीन की ओर से लगभग 300 सैनिक पिछले कई दिनों से एक दूसरे के सामने डटे हुए थे, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह चिंता पैदा हो गई कि दोनों ताकतों के बीच टकराव होने की स्थिति में इस पूरे इलाके और विश्व पर क्या असर पड़ेगा।
दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव में ये नरमी चीन में कुछ हफ्तों बाद आयोजित होने वाले बेहद अहम ब्रिक्स सम्मेलन से पहले आई है। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भाग लेंगे।
नई दिल्ली का तर्क है कि भारत, भूटान और चीन के मध्य स्थित तिराहे के करीब स्थित डोकलाम पर चीन के सड़क बनाने से ‘चिकन नेक’ गलियारे की सुरक्षा को खतरा पैदा हो जाएगा जो उत्तर-पूर्वी राज्यों को भारत के मुख्य भाग से जोड़ता है।
दूसरी ओर, चीन लगातार भारत पर यह आरोप लगाता रहा है कि उसने विवादित क्षेत्र पर यथास्थिति बरकरार रखने के लिए अपने सैनिक भेजकर भूटान और उसकी स्वायतत्ता का उल्लंघन किया।
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