इतना ही नहीं इसके सबूत के रूप में समारोह और रैली की तस्वीरें ई-मेल द्वारा संबंधित विभाग को भेजें। यहां दिलचस्प बात यह है कि इस तरह के आदेश पहले कभी नहीं दिए गए।
मध्यप्रदेश मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष इमामुद्दीन की तरफ से सभी मदरसों को प्रशासन को भेजे गए पत्र में कहा गया है कि मदरसों में स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया जाएगा और उसकी तस्वीरें मेल की जाएँ। उत्तर प्रदेश सरकार ने भी ऐसा ही फरमान जारी किया था जिसमें समारोह का शेड्यूल बताया गया था और हिदायत दी गई थी कि समारोह की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी करा कर विभाग को भेजें।
मुसलमानों में मदरसों को ऐसे आदेश दिए जाने पर सख्त चिंता और बेचैनी है। मुस्लिम नेता इस आदेश को दुर्भावनापूर्ण बता रहे हैं। उनका कहना है कि उनसे देशभक्ति का सबूत क्यों मांगा जा रहा है, देशभक्ति की भावना कोई दिखावे की चीज नहीं होती उसका संबंध दिल है। देश के प्रख्यात वकील और राज्यसभा सदस्य मजीद मेमन का यह कहना है:
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देशभक्ति किसी पर थोपी नहीं जा सकती और मुझे नहीं लगता कि कोई मुस्लिम स्कूल और मदरसा स्वतंत्रता दिवस समारोह के आयोजन में कोई झिझक महसूस करता हो बल्कि वे समारोहों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। जहां तक जबरदस्ती करने की बात है तो कानूनी तौर पर कोई भी किसी को मजबूर नहीं कर सकता।
दिल्ली के मोहम्मद शाकिर का इस मसले पर कहना है कि '' यह समस्या उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और मदरसों नहीं है बल्कि यह समस्या देशभक्ति को लेकर जो नए मानक तय किए जा रहे हैं, समस्या उसकी है। देशभक्ति की भावना पैदा करने के लिए फिल्म देखने से पहले राष्ट्रीय गान का गाया जाना और दर्शकों को सम्मान में खड़ा होना और विश्वविद्यालय में एक तय आकार का राष्ट्रीय ध्वज फहराने के आदेश जारी होने के बाद अब इस फरमान पर किसी को कोई आश्चर्य नहीं होनी चाहिए ''
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