रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था...नयी पीढ़ी से शायद ये कहावत न सुनी हो...लेकिन यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि जब पहली शताब्दी में पूरे रोम में भयंकर आरजकता का माहौल था तो नीरो अपने बाग में बांसुरी बजा रहा था। अचानक इस बात को याद करने का संदर्भ हरियाणा है। सीबीआई की विशेष अदालत ने सच्चा सौदा डेरे के राम रहीम को बलात्कारी माना और इसके बाद हिंसा का जो तांडव शुरु हुआ उसे 30 से ज्यादा लोगों की मौत हो गयी, सैकड़ों जख्मी हो गए, बेशुमार गाड़ियों (कार, बस, रेल, मोटरसाइकिल) को आग लगा दी गयी। कई पेट्रोल पंप फूंके गए।
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हरियाणा के पंचकुला में तीन घंटे हिंसा का जो नंगा नाच हुआ, उसने न्यू इंडिया के विचार को ही खोखला साबित कर दिया। सत्ता की कुर्सी पर बैठे लोगों की काबिलियत की धज्जियां उड़ा दीं। उनकी संवेदनशीलता के ढोंग को तार-तार कर दिया। उनकी साइबर सक्रियता को कटघरे में खड़ा कर दिया। और इस सबसे बढ़कर देश को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि वह कौन सी मजबूरी थी जिसने एक अनुभवहीन, खाप के समर्थक, बाबा रामपाल और राम रहीम के सामने हाथ जोड़ने वाले शख्स, जिसका नाम मनोहर लाल खट्टर है, को हरियाणा की कमान सौंप दी। जिम्मेदारी तो उस व्यक्ति या संगठन की भी उतनी ही है जितनी खट्टर की।
बात यहीं खत्म नहीं होती। हरियाणा जब धधक रहा था, लोगों मे चीख पुकार मची थी, मीडियाकर्मियों और उनके साजो-सामान को चुन-चुनकर निशाना बनाया जा रहा था, और हिंसा के काले बादल पूरे हरियाणा पर छाये हुए थे तो, तो खट्टर यह इंतजाम कर रहे थे कि इन काले बादलों का सीना चीरकर कैसे अदालत से बलात्कारी होने का तमगा लेकर निकले इस शैतान को सरकारी हैलीकॉप्टर से बाइज्जत गेस्ट हाउस में पहुंचाया जाए।
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किसी दूसरे देश के छोटे से गांव में भी कुछ हो जाने पर संवेदना संदेश ट्वीटर पर प्रसारित करने वाले प्रधानमंत्री भी शुक्रवार को बहुत व्यस्त थे। दोपहर साढ़े तीन बजे शुरु हुयी हिंसा अगले तीन घंटे तक जारी रहने की संभवत: उनको खबर ही नहीं मिली, वर्ना एक दो ट्वीट तो कर ही देते। हां रात नौ बजे एक के बाद एक तपाक-तपाक तीन ट्वीट मारे। जैसा हर बार होता है, इस बार भी हरियाणा में हिंसा की निंदा की, फिर अपने जेम्स बांड और दाऊद की आवाज से ही छाती पीटने वाले अपने गृह सचिव के साथ हालात की समीक्षा करने की सूचना देश को दी और अफसरों को नसीहत भी कर दी कि जो कुछ हो सकता है करो। अरे अफसर वही तो कर रहे थे पिछले तीन दिन से जो कुछ उनसे हो सकता था। धारा 144 लगायी और मान लिया कि एक बलात्कार के समर्थक समझ जाएंगे और एक साथ कहीं भी पांच लोग इकट्ठा नहीं होंगे। अफसरों ने आदेश जारी कर दिया और देखा ही नहीं कि हजारों-लाखों लोग तमाम जगहों से आकर पंचकुला में डेरा जमा चुके हैं।
ये तो रही प्रधानमंत्री की बात। अब देखिए ये दूसरी तस्वीर...हरियाणा में हिंसा का नंगा नाच हो रहा है, गुरु के गुंडे गदर मचाए हुए थे, अंधेर नगरी में खट्टर राजा बैठे हैं और नसीहत दी जा रही है कि मीडिया लोगों में खौफ पैदा करने की कोशिश न करे और मीडिया को किसी नियम का हवाला देकर धमकाया भी जा रहा है।
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उधर अंधेर नगरी के खट्टर राजा यह जानते-बूझते कि राज्य में इंटरनेट बंद है, उन लोगों के लिए ट्वीटर पर शांति की अपील जारी कर रहे हैं जो हाथों में हथियार, थैलों में ज्वलनशील पदार्थ लिए सार्वजनिक और नागरिक संपत्तियों को तबाह और बरबाद कर रहे हैं।
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एक और नमूना देखिए...हरियाणा जल रहा है और देश के गृह राज्य मंत्री अपने पार्टी अध्यक्ष को बधाई दे रहे हैं। पार्टी अध्यक्ष को ही क्योंकि उन्हें भी मुबारकबाद का संदेश दे रहे हैं जो मीडिया को धमका रही हैं।
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उधर कभी हिंदू महिलाओं को चार बच्चे पैदा करने की शिक्षा देने वाले बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज तो इस बलात्कारी के बचाव में खुलकर ही सामने आ गए। बोले, कोर्ट ने सिर्फ एक महिला की बात को सही माना और बाबा के करोड़ों समर्थकों की मान्यता को अनदेखा कर दिया। इतना ही नहीं उन्होंने हरियाणा में हुए सारे जान-माल के नुकसान के लिए कोर्ट को ही जिम्मेदार ठहरा दिया।
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तो फिर एक बार...सुनिए....रोम जल रहा था और नीरे बांसुरी बजा रहा था।
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