उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के राज में बेखौफ बदमाशों का आतंक जारी है। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिनदहाड़े हिंदू महासभा के नेता कमलेश तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई है। बताया जा रहा है कि भगवा कपड़े पहने दो बदमाश कमलेश तिवारी के दफ्तर में घुसे और वारदात को अंजाम देने के बाद फरार हो गए।
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खबरों के मुताबिक, बदमाशों ने मिठाई के डिब्बे में असलहा और चाकू छिपा रखा था। बताया जा रहा है कि बदमाशों ने पहले कमलेश का गला रेता। इसके बाद गोली मार दी। फायरिंग की आवाज आते ही कार्यालय में हड़कंप मच गया। जब तक लोग कुछ कर पाते तब तक बदमाश मौके से फरार हे गए। दिनदहाड़े दफ्तर में घुसकर हिंदू महासभा के नेता की हत्या से इलाके में सननसी फैल गई है। इस हत्या से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में बदमाश कितने बेखौफ हो गए हैं।
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कमलेश तिवारी उस समय चर्चा में आए थे जब कुछ सालों पहले उन्होंने पैगम्बर मोहम्मद साहब पर विवादित टिप्पणी की थी। तिवारी के ऊपर इस मामले में केस भी चल रहा है। सीतापुर जिले के रहने वाले कमलेश तिवारी का नाम किई विवादों में आ चुका है। वे दो बार गिरफ्तार भी किए गए थे। कमलेश तिवारी पर कुछ पत्रकारों को धमकी देने का भी आरोप था। यही नहीं उन्होंने एक बार महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के सम्मान में मंदिर बनवाने का ऐलान भी किया था। कुछ सालों पहले उन्होंने अभिनेता आमिर खान की टिप्पणी को लेकर उन्होंने सिर कलम करने की भी बात कही थी।
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उत्तर प्रदेश में लगातार कानून-व्यवस्था की हालत खस्ता होती जा रही है। आए दिन राज्य में हत्या, लूट और दुष्कर्म जैसे वारदात सामने आते रहते हैं। गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार पर सख्त टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम उत्तर प्रदेश सरकार से तंग आ चुके हैं। ऐसा लगता है यूपी में जंगलराज है।
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कोर्ट ने कहा था कि आखिर ऐसा क्यों होता है कि ज्यादातर मामलों में यूपी सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास संबंधित अथॉरिटी का कोई उचित निर्देश नहीं होता। बुलंदशहर के सैकड़ों साल पुराने एक मंदिर से जुड़े प्रबंधन के मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने योगी सरकार की ओर से पेश एडिशनल एडवोकेट जनरल से पूछा कि क्या यूपी में कोई ट्रस्ट या सहायतार्थ ट्रस्ट एक्ट है? क्या वहां मंदिर और सहायतार्थ चंदे को लेकर कोई कानून है? सरकार के वकील ने कहा कि इस बात की उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
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इस पर नाराज होकर पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि राज्य सरकार चाहती ही नहीं कि वहां कानून हो। पीठ ने कहा कि लगता है वहां जंगलराज है। कोर्ट ने कहा कि हर दिन ऐसा देखने को मिलता है कि सरकार की ओर से पेश वकीलों के पास उचित निर्देश नहीं होते हैं। फिर चाहें वह दीवानी मामला हो या आपराधिक। पीठ ने पूछा कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है।
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