उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 24 फरवरी को उमेश पाल पर बम से हमला करने वाला गुड्डू मुस्लिम अब राज्य का मोस्ट वांटेड अपराधी है। एक तरफ जहां पुलिस 50 वर्षीय हमलावर की तलाश कर रही है, वहीं मारे गए अतीक अहमद के समर्थक भी उस पर शक की निगाह से देख रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि उसने ही असद के बारे में पुलिस को जानकारी दी थी, जिससे उसका एनकाउंटर हुआ।
प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद गुड्डू मुस्लिम का नाम चर्चा में आया था। उसकी पृष्ठभूमि पर नजर डालने से पता चलता है कि वह राज्य के खतरनाक अपराधियों में से एक है।
उसके जानने वालों का दावा है कि गुड्डू ने कम उम्र में ही आपराधिक गतिविधियां शुरू कर दी थीं। इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में जन्मा गुड्डू मुस्लिम अपने स्कूल के दिनों में ही जबरन वसूली और डकैती में शामिल हो गया।
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जल्द ही, वह अतीक सहित अंडरवर्ल्ड के नामी गुंडों के संपर्क में आया। वह धीरे-धीरे बम बनाने में माहिर हो गया, जिसने उसे 'बमबाज' बना दिया। जब उसके घरवाले उससे तंग आ गए तो उन्होंने उसे अपने एक रिश्तेदार के घर लखनऊ भेज दिया। उन्होंने सोचा कि शहर में बदलाव से उनका दिल भी बदल जाएगा, लेकिन हुआ कुछ और ही। वह अपराधियों की बड़ी टोली में शामिल हो गया और पूर्वी यूपी के दो डॉन अभय सिंह और धनंजय सिंह के साथ काम करना शुरू कर दिया।
एसटीएफ में काम कर चुके एक पूर्व डीआईजी ने कहा कि गुड्डू मुस्लिम का नाम पहली बार 1997 में ला मार्टिनियर स्कूल के खेल शिक्षक फेड्रिक जे. गोम्स की हत्या में सामने आया था। उन्होंने कहा, ''गुड्डू को धनंजय सिंह और राजा भार्गव के साथ गिरफ्तार किया गया था। तीनों को अदालत में सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया था। गुड्डू ने पहले तो अपराध कबूल किया था, लेकिन अदालत में यू-टर्न ले लिया।
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1996 में गुड्डू ने ठेकेदार संतोष सिंह की हत्या कर दी। सिंह को जहर देने के बाद गुड्डू उसकी बंदूक और कार भी ले गया। सिंह का शव रायबरेली में एक कार में मिला था। हत्या ने अभय सिंह और धनंजय सिंह को कट्टर दुश्मन बना दिया और उनकी दुश्मनी आज भी जारी है। गुड्डू, जिसने अपने दोस्त संतोष सिंह को धोखा दिया था, गुड्डू 'बमबाज' से गुड्डू 'धोखेबाज' के नाम से जाना जाने लगा।
गुड्डू ने अंडरवल्र्ड की सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया, अपने आकाओं के लिए टेंडर और ठेके हासिल किए। इसके लिए वह उन्नाव के कुख्यात गैंगस्टर अजीत सिंह को चुनौती देने से पीछे नहीं हटा। टेंडर हासिल करने के लिए अधिकारियों का अपहरण करता था। टेंडर के कारोबार ने उसे सबसे खूंखार गैंगस्टर्स में से एक प्रकाश शुक्ला के करीब ला दिया। बाद में, शुक्ला ने उसके लिए नए रास्ते खोले और गुड्डू को बिहार में गैंगस्टर परवेज टाडा और सूरजभान से मिलवाया।
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टाडा का एक बड़ा नेटवर्क था। वह अपराधियों को हथियार और गोला-बारूद की आपूर्ति करता था, जिसमें एके सीरीज की राइफलें और अर्ध-स्वचालित हथियार शामिल थे। वह उमर खय्याम के साथ पाकिस्तान से आने वाली चीन निर्मित पिस्तौल की तस्करी करता था। कुछ समय के लिए, गुड्डू बिहार चला गया क्योंकि यूपी एसटीएफ उसे पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही थी। उसने सूरजभान और उदयभान दोनों के लिए काम किया।
एक अधिकारी ने कहा कि 2001 में गोरखपुर पुलिस यूनिट ने उसे पटना की बेउर जेल के बाहर से गिरफ्तार किया था। अधिकारी ने कहा, हालांकि, अतीक अहमद उसके बचाव में आया और उसे बाहर निकाला। इसके बाद, गुड्डू ने अतीक के लिए काम करना शुरू किया और धीरे-धीरे उसका विश्वासपात्र बन गया। जब अतीक को गिरफ्तार किया गया था, गुड्डू मुस्लिम अंडरग्राउंड हो गया था। एक सूत्र ने कहा, सफलतापूर्वक छिपते हुए, उसने रियल एस्टेट कारोबार को मजबूत किया और गिरोह के मामलों को प्रबंधित किया।
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इसके बाद फरवरी में गुड्डू सालों बाद उमेश पाल को मारने के लिए फिर सामने आया। सीसीटीवी फुटेज में उसे पाल और उसके सुरक्षा गार्डों पर बम फेंकते हुए दिखाया गया है। वह उनका पीछा करता रहा और पूरी सटीकता के साथ बम गिराता रहा। मामले में गुड्डू बाकी दो शूटरों- साबिर और अरमान के साथ फरार है। उन्हें आखिरी बार मेरठ में अतीक के साले डॉक्टर अखलाक के घर में देखा गया था। एसटीएफ उसकी तलाश के लिए नासिक में छापेमारी कर रही है, जहां वह झांसी से गया था।
पता चला है कि गुड्डू झांसी में सतीश पांडेय के घर में छिपा हुआ था। अतीक के समर्थकों का मानना है कि गुड्डू ने ही झांसी में असद की मौजूदगी के बारे में जानकारी दी थी, जिसके कारण 13 अप्रैल को उसका एनकाउंटर हुआ। अतीक के एक समर्थक ने कहा कि गुड्डू धोखेबाज खुद को बचाने के लिए सब कुछ उगल सकता है। फिलहाल एसटीएफ अधिकारियों के मुताबिक, उसकी लेटेस्ट लोकेशन ओडिशा में बताई जा रही है।
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