“एक भाई कभी अपनी बहन को जिंदा नहीं जला सकता। हमें पुलिस की जांच पर भरोसा नहीं है।“ यह कहना है संजलि की मां का, जिसकी दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में मौत हो गई। संजलि को बुरी तरह जली अवस्था में भर्ती कराया गया था। उस पर कुछ लोगों ने पेट्रोल छिड़क कर आग लगा दी थी।
दिल दहला देने वाली यह घटना जिस दिन हुई थी उसी दिन इलाके में पुलिस के आला अफसर समीक्षा कर रहे थे। पुलिस ने जो कहानी बताई है, उसके मुताबिक इस जघन्य कांड का मास्टरमाइंड योगेश था, जो मृतक लड़की संजलि के ताऊ का बेटा था।
आगरा के एसएसपी अमित पाठक ने 25 दिसंबर को प्रेस कांफ्रेंस कर बताया कि, योगेश भले ही संजलि का रिश्ते में भाई था, लेकिन वह उससे प्यार करता था और प्यार ठुकराए जाने के बाद उसने बदला लेने के लिए संजलि को जिंदा जला दिया।
लेकिन योगेश की भी मृत्यु हो चुकी है। इस मामले की शुरुआती जांच में पुलिस ने पूछताछ के लिए योगेश को बुलाया था, और फिर उसे छोड़ दिया था। योगेश ने घर आकर जहर खाकर खुदकुशी कर ली। पुलिस का कहना है कि योगेश ने अपने दो रिश्तेदोरों के साथ मिलकर संजलि को जिंदा जलाया। इन दोनों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और पुलिस के मुताबिक उन्होंने अपना गुनाह कुबूल भी कर लिया है।
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पुलिस का कहना है कि योगेश को मोबाइल फोन का डाटा रिकवर करने पर उन्हें पूरे मामले की जानकारी मिली, जिसके आधार पर योगेश के रिश्तेदार आकाश और विजय को गिरफ्तार किया गया।
लेकिन, संजलि के पिता हरेंद्र पुलिस के दावों पर सवाल उठाते हैं। उन्होंने बताया कि, पुलिस उन्हें आधी रात को थाने ले गई थी, जहां उन्हें एक लड़का दिखाया गया। हरेंद्र कहते हैं कि, “पुलिस वालों के पूछने पर उसने पूरी कहानी सुनाई। उसने बताया कि पिछले महीने मुझ पर भी हमला उसी लड़के ने किया था। लेकिन उसने हमले का समय 6 बजे बताया जबकि मुझपर हमला 9 बजे हुआ था। पुलिस ने मुझे मोबाइल में चिट्ठियां दिखाई, जबकि मैं असली चिट्ठी में देखना चाहता था।"
संजलि के पिता हरेंद्र पर पिछले महीने किसी ने हमला किया था, जिसमें उनके सिर पर कोई भारी चीज़ मारी गई थी। हालांकि हरेंद्र लड़के के बयान से संतुष्ट नहीं थे, फिर भी पुलिस ने इस लड़के बयान को ही आधार बनाकर मामला सुलझाने का दावा किया है।
गौरतलब है कि 18 दिसंबर को आगरा से 14 किमी दूर मलपुरा थाना क्षेत्र के गांव लालउ की 15 साल की 10वीं की छात्रा को स्कूल से वापस लौटते वक्त दोपहर डेढ़ बजे पेट्रोल डाल कर जिंदा जला दिया गया था। जिस दिन यह घटना हुई उसी दिन उत्तर प्रदेश के डीजीपी ओमप्रकाश सिंह आगरा में कानून व्यवस्था की समीक्षा कर रहे थे।
लड़की चूंकि दलित समाज से थी, इसलिए इस मामले का राजनीतिकरण होना ही था। घटना के बाद भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर ने संजलि के परिवार से मुलाकात कर प्रदर्शन का ऐलान किया था। वहीं उत्तर प्रदेश उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी गांव का दौरा किया था।
लगभग दो हजार की आबादी वाले लालउ गांव में जाट और जाटव बराबर संख्या में है। इस घटना के बाद बाद से यहां जातीय तनाव फैल रहा था। ऐसे में पुलिस पर इस मामले को सुलझाने का दबाव था।
पुलिस ने जो कहानी बताई है, उसके मुताबिक संजलि का रिश्ते का भाईयोगेश उससे एक तरफा प्यार करता था और प्रेम प्रस्ताव ठुकराए जाने के बाद बदला लेने की नीयत से उसने यह कदम उठाया। पुलिस का दावा है कि योगेश ने अपने ममेरे भाई विजय और एक अन्य रिश्तेदार आकाश को 15-15 हजार रुपए का लालच देकर अपने साथ मिला लिया। घटनास्थल के सीसीटीवी फुटेज में दो मोटरसाइकिलें दिखी थीं, इसी के आधार पर पुलिस कथित अपराधियों तक पहुंची।
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संजलि के परिवार के अलावा लालउ गांव के लोग भी पुलिस के दावे को सही नहीं मानते। वहीं भीम आर्मी के चंद्रशेखर ने भी पुलिस की दावे पर प्रश्न चिह्न लगाए हैं। उन्होंने कहा है कि, "हम ही पीड़ित है और पुलिस ने हमें ही अपराधी घोषित कर दिया है। जब योगेश अपराधी था तो उसे गिरफ्तार करके छोड़ा क्यों गया था। छूटने के बाद योगेश की मौत हो गई, कहीं योगेश की भी हत्या तो नहीं की गई है। हम सरकार से इसमें निष्पक्ष जांच टीम गठित कर सीबीआई से जांच कराने को मांग करते हैं।“
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