अपराध

फर्जी तो नहीं सहारनपुर का शहजाद एनकाउंटर ? इन वजहों से उठ रहे सवाल

रिहाई मंच ने इस पूरी कहानी को झूठा बताया है। रिहाई मंच के मुताबिक उनकी टीम ने इस मुठभेड़ पर एक सप्ताह तक फैक्ट फाइडिंग की है। जिससे बहुत सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

सामाजिक संगठन रिहाई मंच ने 25 मई को सहारनपुर के गागलहेड़ी में हुए शहजाद एनकाउंटर पर गहरे सवाल खड़े किए हैं। शहजाद के परिजनों ने इसे पहले ही फर्जी कहा था। शहजाद का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। गागलहेड़ी पुलिस के मुताबिक उसने एक किसान देवेन्द्र त्यागी का अपहरण किया था। जिसके बाद फिरौती मांगी गई। किसान के भाई ने डायल 100 को फ़ोन किया और मुठभेड़ हो गई। मृतक शहजाद मुजफ्फरनगर के खतौली का रहने वाला था।
गागलहेड़ी के थाना प्रभारी आदेश त्यागी ने बताया था कि शहजाद घुमन्तु आपराधिक जाति छैमार के साथ मिलकर अपराध कर रहा था।

रिहाई मंच ने इस पूरी कहानी को झूठा बताया है। रिहाई मंच के मुताबिक उनकी टीम ने इस मुठभेड़ पर एक सप्ताह तक फैक्ट फाइडिंग की है। जिससे बहुत सारे सवाल उठ खड़े हुए हैं।रिहाई मंच के मोहम्मद सुएब के अनुसार उन्होंने इसके लिए मृतक के परिजनों और गागलहेड़ी में सच्चाई की खोजबीन की तो कई सवाल खड़े हो गए।

जैसे रिहाई मंच का पहला सवाल यह है कि शहजाद मुठभेड़ मामले की एक फोटो में एक व्यक्ति जमीन पर गिरा हुआ है और उसके समानांतर एक असलहा है जिस पर उसका हाथ रखा हुआ दिखाई दे रहा है। प्रथम दृष्टया असलहे पर रखे हाथ का दृश्य संदेह पैदा करता है। वहीं दाहिने पैर में सफेद बद्धी की चप्पल तो वहीं बाएं पैर के पास काले रंग का जूता है।

रिहाई मंच के सवाल के मुताबिक अस्पताल की फोटो में कमर में कारतूस की बेल्ट बंधी हुई है और शर्ट ऊपर चढ़ी हुई है। इससे संदेह पैदा होता है कि अगर कोई व्यक्ति कारतूस की बेल्ट पहनकर घटना को अंजाम देने जाएगा तो क्या वह शार्ट शर्ट पहनेगा जिससे कारतूस की बेल्ट सबको दिखे?

रिहाई मंच ने पूछा है कि शिनाख्त के लिए सहारनपुर के गागलहेड़ी थानाध्यक्ष आदेश कुमार त्यागी ने गश्ती तलाश जारी किया कि ‘जिसकी जामा तलाशी से एक फोटो कापी राशन कार्ड जिसमें जरीना पत्नी शहजाद निवासी सरधना मेरठ अंकित है और एक पर्ची मोबाइल नंबर ....75**6 शहजाद अंकित है।’ आखिर क्यों कोई और वो भी बदमाश राशन कार्ड की फोटो कापी और मोबाइल नंबर लिखी पर्ची लेकर घूमेगा।

रिहाई मंच ने दावा किया है कि शहजाद के परिजनों को जब सुबह 11-12 बजे के बीच सूचना दी जा चुकी थी तो आखिर शाम 5 बजकर 10 मिनट पर हुए पोस्टमार्टम में अज्ञात के नाम पर किया गया ! जबकि 26 मई को 11 :10 पर आई खबर में सहारनपुर पुलिस मर्तक की पहचान बता चुकी थी।

इसके अलावा गाड़ी बरामदगी, शहजाद की बहन को आया फोन भी इस मुठभेड़ पर सवाल खड़े कर रहे हैं।रिहाई मंच के मुताबिक मुहल्ले वालों का यह कहना है कि इसको गोली से नहीं पीट-पीट कर मारा गया है।जब वे लाश को नहला रहे थे तो उसके अन्डकोश फूटे हुए, दांत टूटे हुए, बाएं टांग टूटी हुई, पसलियों पर निशान था मगर गोली का कोई निशान नही था।शहजाद के परिजनों को पोस्टमार्टम रिपोर्ट नही सौंपी गई है। शायद उसको पहले मारा गया बाद में एनकाउन्टर दिखा दिया गया। ठीक यही बात शहजाद का भाई नौशाद और पिता अलाउद्दीन भी कहते हैं। रिहाई मंच के अनुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट में चार जख्म गोली से हैं।पहली चोट सिर पर गोली अंदर गई, दूसरी चोट गोली सिर के बाहर निकल गई, तीसरी चोट सीने में गोली अंदर की ओर गई और चौथी चोट गोली पीठ से बाहर निकल गई। चौथी चोट में पीठ पर चार और चोटें दिखाई गईं। सवाल है कि आखिर शहजाद को जो चोर्टें आईं, कैसे आईं। मुहल्ले वाले और परिजन आखिर क्यों कह रहे हैं कि गोली का कोई निशान नहीं है!

पुलिसिया मुठभेड़ के बाद रिहाई मंच के एक दल जिसमें इंजीनियर उस्मान, रविश आलम, आशु चौधरी, अमीर अहमद, आरिश त्यागी और साजिद ने उनके परिजनों से मुलाकात की थी । मंच से परिजनों ने सहारनपुर के गागलहेडी में पुलिस द्वारा मारे गए 38 वर्षीय शहजाद के पुलिस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए मामले की जांच की मांग की। शहजाद रेहडा चलाता था और गुब्बारों का काम करता था।शहजाद के पांच बच्चे हैं।बच्चे छोटे-छोटे हैं जिनका एकमात्र सहारा शहजाद ही था।

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