अपराध

गुजरात में फैशनेबल कपड़े पहनने पर दलित युवक की पीटाई, ऊंची जाति के लोगों ने मां के भी कपड़े फाड़े

पुलिस के मुताबिक, ऊंची जाति के लोगों ने जिगर शेखालिया पर यह कहते हुए हमला किया कि वह इन दिनों बहुत ऊंचा उड़ रहा है। पीड़ितों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। शेखालिया ने सात लोगों के खिलाफ शिकायत दी है, जिसके आधार पर गढ़ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है।

गुजरात में फैशनेबल कपड़े पहनने पर दलित युवक को ऊंची जाति के लोगों ने पीटा
गुजरात में फैशनेबल कपड़े पहनने पर दलित युवक को ऊंची जाति के लोगों ने पीटा प्रतीकात्मक फोटोः सोशल मीडिया

गुजरात के बनासकांठा जिले में फैशनेबल कपड़े पहने और धूप का चश्मा लगाए हुए एक दलित युवक पर ऊंची जाति के कुछ लोगों ने हमला कर दिया। जब उसकी मां ने बीच-बचाव करने की कोशिश की तो आरोपियों ने उसके साथ भी मारपीट की और उसके कपड़े फाड़ दिए। मामले में अभी तक किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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हमला मंगलवार रात मोटा गांव में हुआ। पुलिस के मुताबिक, ऊंची जाति के लोगों ने जिगर शेखालिया पर हमला कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि वह इन दिनों बहुत ऊंचा उड़ रहा है। बीच-बचाव करने आई उसकी मां के साथ भी मारपीट की गई और उसके कपड़े फाड़ दिए। पीड़ितों का अस्पताल में इलाज चल रहा है। शेखालिया ने सात लोगों के खिलाफ शिकायत दी है, जिसके आधार पर गढ़ पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज की गई है। हालांकि अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।

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राजपूत उपनाम वाले आरोपियों ने कथित तौर पर शेखालिया की स्टाइलिश पोशाक और चश्मों पर नाराजगी जताई, जिसके बाद यह घटना हुई। शिकायत के अनुसार, मंगलवार की सुबह एक आरोपी ने शेखालिया से उसके घर के बाहर मुलाकात की, उसे धमकी दी और कहा कि वह 'इन दिनों बहुत ऊंची उड़ान भर रहा है'। कथित अपराधियों में से छह ने बाद में एक गांव के मंदिर के बाहर शेखालिया से फैशनेबल पोशाक पहने पर उससे स्पष्टीकरण मांगा। ये लोग लाठी लेकर आए थे। गरमागरम बहस के बाद उन्होंने शेखालिया पर हमला कर दिया।

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पुलिस ने कहा कि जब शेखालिया की मां ने अपने बेटे को बचाने की कोशिश की, तो हमलावरों ने उस पर भी अपना गुस्सा उतारा, उसके साथ मारपीट की और उसके कपड़े फाड़ दिए। आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। धाराएं दंगा करने, गैरकानूनी जमावड़ा, महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने, स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करने से संबंधित हैं। उन पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी आरोप लगे हैं।

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