मारे गए गैंगस्टर विकास दुबे के उत्थान और पतन के सभी पहलुओं की जांच करने वाले न्यायिक आयोग ने विशेष जांच दल (एसआईटी) के निष्कर्षों का समर्थन किया है। इसमें पाया गया कि जिला प्रशासन और राजस्व विभाग के 26 अधिकारियों ने दुबे और उनके सहयोगियों की शस्त्र लाइसेंस और उचित मूल्य दुकान परमिट प्राप्त करने में मदद की थी। 10 जुलाई 2020 को एनकाउंटर में मारे गए विकास दुबे ने 3 जुलाई को बिकरू गांव में उस वक्त आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी थी, जब पुलिस टीम उसे एक हत्या के मामले में गिरफ्तार करने गई थी।
Published: undefined
सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी.एस. चौहान को दुबे और उनके पांच कथित सहयोगियों के मुठभेड़ की जांच करने के लिए कहा गया था। पैनल ने उन परिस्थितियों की भी जांच की जिनके कारण गैंगस्टर का उत्थान और पतन हुआ। दुबे के एनकाउंटर के ठीक बाद राज्य सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया था।
Published: undefined
एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, गैंगस्टर के साथ मिलीभगत करने वाले अधिकारियों में छह सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (एसडीएम), एक अतिरिक्त सिटी मजिस्ट्रेट (एसीएम), सात ब्लॉक डेवलपमेंट ऑफिसर (बीडीओ), दो तहसीलदार और दो उप-तहसीलदार राजस्व निरीक्षक और दो आपूर्ति निरीक्षक शामिल थे। सूची में दो ग्राम विकास अधिकारी और तीन लेखपाल भी शामिल हैं।
Published: undefined
हाल ही में अपनी रिपोर्ट सौंपने वाले आयोग ने इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि चौबेपुर में तैनात प्रखंड विकास अधिकारी लगातार दुबे के संपर्क में थे और दिसंबर 2019 से मार्च 2020 तक एक साल में उन्होंने 22 बार बात की थी।
इसी तरह तत्कालीन राजस्व निरीक्षक, ग्राम विकास अधिकारी, आपूर्ति निरीक्षक सभी लगातार दुबे के संपर्क में थे।
Published: undefined
एसआईटी ने पिछले एक साल के कॉल डिटेल रिकॉर्ड के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की है।
एसआईटी के इन निष्कर्षों का समर्थन करते हुए आयोग का कहना है कि इससे पता चलता है कि राजस्व अधिकारियों के दुबे के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध थे। इसमें आगे कहा गया है कि ये सभी अधिकारी विकास दुबे के साथ इतने मित्रवत थे कि अगर कोई आम आदमी उनके खिलाफ शिकायत करता था तो वे शिकायतकतार्ओं को पीटते थे।
आयोग ने एसआईटी के इस विचार का भी समर्थन किया कि चार एसडीएम और एक एसीएम के खिलाफ विभागीय जांच की जानी चाहिए, जबकि चार एसडीएम और आठ तहसीलदारों और अन्य राजस्व अधिकारियों के खिलाफ प्रशासनिक कार्रवाई की जानी चाहिए।
आईएएनएस के इनपुट के साथ
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined