सुप्रीम कोर्ट से स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम बापू को बड़ा झटका लगा है। शीर्ष कोर्ट ने नाबालिग लड़की से बलात्कार के 2013 के मामले में दोषी ठहराए गए आसाराम की सजा रद्द करने की मांग को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही शीर्ष कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका पर भी विचार करने से इनकार कर दिया।
आसाराम ने राजस्थान हाईकोर्ट के बलात्कार के मामले में उसकी सजा निलंबित करने के आवेदन को खारिज करने के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसे शीर्ष कोर्ट की न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने खारिज कर दिया। आसाराम की जमानत याचिका को भी पीठ ने खारिज कर दिया।
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हालांकि, पीठ ने याचिकाकर्ता को निचली अदालत के दोषसिद्धि आदेश के खिलाफ अपील पर फैसला होने तक जमानत के लिए हाईकोर्ट में एक नया आवेदन दायर करने की छूट दे दी है। राजस्थान उच्च न्यायालय ने पिछले साल जुलाई में लंबित अपील के निपटारे तक सजा निलंबित करने की आरोपी की याचिका खारिज कर दी थी। इसमें कहा गया था कि सजा के निलंबन के लिए पिछले दो आवेदन खारिज कर दिए गए थे।
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2018 में एक ट्रायल कोर्ट द्वारा पॉक्सो एक्ट और अन्य अपराधों के तहत दोषी ठहराए जाने के बाद आसाराम जोधपुर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। वह पहले ही दस साल से अधिक समय तक कैद में रह चुका है। आरोपी गुजरात के एक और मुकदमे में हिरासत में है। इस साल जनवरी में गांधीनगर अदालत ने उसे अहमदाबाद में 1997 से 2006 के बीच रेप के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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आसाराम को 2013 में एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। कहा जाता है कि यह अपराध अगस्त 2013 में जोधपुर के मनाई गांव में हुआ था। आसाराम की गिरफ्तारी के बाद, सूरत की दो महिलाओं ने भी शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि 2002 और 2005 के बीच आसाराम और उनके बेटे ने उनके साथ बलात्कार किया।जोधपुर बलात्कार मामले की आपराधिक सुनवाई 2014 में शुरू हुई और चार साल तक चली। इसी मामले में उसे 2018 में ट्रायल कोर्ट ने दोषी ठहराया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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