मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की पोलित ब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली ने ‘पद्मावती’ विवाद पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अभी फिल्म रिलीज भी नहीं हुई है और उस पर विवाद शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि ये विवाद यूं ही नहीं खड़े हुए हैं, यह राजनीतिक साजिश के तहत पैदा किए गए हैं। इससे देश के माहौल पर बुरा असर पड़ रहा है।
उन्होंने सवाल उठाया कि सब मिलकर फिल्म, निर्देशक संजय लीला भंसाली और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का विरोध कर रहे हैं, मगर उस कंपनी की न तो कोई चर्चा कर रहा है और न ही विरोध, जिसने इस फिल्म को बनाया है। उन्होंने कहा, “यह फिल्म अंबानी की कंपनी ने बनाई है। उसका विरोध क्यों नहीं हो रहा? यह सब सोची समझी रणनीति का हिस्सा है।” उन्होंने कहा, "गुजरात में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं, जहां राजपूतों का वोट बैंक है। यह विवाद जानबूझ कर पैदा किया गया है, ताकि लोगों का ध्यान अन्य समस्याओं से हट जाए, वहीं राजपूत खुश हो जाएं। और इस विवाद के पीछे जो हैं उनके उम्मीदवारों को वोट मिल जाएं। बस यही है इस विवाद की जड़।”
सुभाषिनी अली माकपा की नेता के अलावा फिल्म कलाकार, लेखक और ड्रेस डिजाइनर भी हैं। उन्होंने फिल्म अशोका में शाहरुख खान की मां का किरदार निभाया है। उनके पति मुजफ्फर अली प्रसिद्ध फिल्मकार हैं जिन्होंने फिल्म ‘उमराव जान’ बनाई थी। उनके बेटे शाद अली ने 'बंटी-बबली' जैसी हिट फिल्में दी हैं। सत्ताधारी पार्टी बीजेपी पर निशाना साधते हुए सुभाषिनी ने कहा कि बीजेपी की राजनीति हमेशा ध्रुवीकरण करके चुनाव जीतने की रही है। गुजरात में राजपूतों का एक बड़ा वर्ग कांग्रेस के साथ रहा है। लिहाजा उनकी कोशिश है कि यह वर्ग कांग्रेस के हाथ से छिटककर उनके पाले में आ जाए। यह विवाद पूरी तरह वोट का ध्रुवीकरण करने के लिए पैदा किया गया है।
'पद्मावती' के बारे में उन्होंने कहा, “यह तो काल्पनिक पात्र है, जिसे मलिक मुहम्मद जायसी ने अपने उपन्यास 'पद्मावत में उभारा था। इसमें कहा गया है कि चित्तौड़गढ़ पर हमला कर वहां के राजा अर्थात पद्मावती के पति को अलाउद्दीन खिलजी बंधक बना लेता है, तभी पद्मावती दो बहादुरों के जरिए पति को छुड़वाती हैं। इस बीच एक अन्य राजपूत राजा जो पद्मावती से शादी करना चाहता है, उसे इस घटना का पता चलता है तो वह चित्तौड़गढ़ पहुंच जाता है, मगर राणा के मुक्त होकर आ जाने पर वह राजपूत राजा राणा की हत्या कर देता है। इस पर पद्मावती अपनी रानियों के साथ जौहर कर लेती है। उसके बाद जब खिलजी दोबारा पद्मावती के पति को पकड़ने जाता है तो उसे पद्मावती की राख मिलती है। उन्होंने बताया कि यह बात सिर्फ पद्मावत में ही नहीं, बल्कि राजस्थान की जो प्रचलित लोकगाथाएं हैं, उनमें भी इस बात का जिक्र है। वहां यही सुनाया जाता है, मगर राजनीतिक फायदे के लिए विवाद पैदा कर दिया गया है।
सुभाषिनी का मानना है कि काल्पनिक पात्र पर बनाई गई इस फिल्म को लेकर बेवजह विवाद पैदा करना अच्छी बात नहीं है। राजनीतिक लाभ के लिए कला-संस्कृति को हथियार बनाना उचित नहीं है। उन्होंने कहा, “देख लेना यह विवाद तब तक चलेगा, जब तक गुजरात के चुनाव हो नहीं हो जाते। चुनाव होते ही कुछ दृश्यों की कांट-छांट का हवाला देते हुए फिल्म को रिलीज कर दिया जाएगा।“ उन्होंने कहा कि राजस्थान में बेटियों के जीने-मरने का कोई मोल नहीं है, अगर मोल है तो वहां की रानियों के जीने-मरने का। देश के अन्य हिस्सों में भी बालिकाओं की उपेक्षा होती है, मगर उसकी कोई चर्चा नहीं करता। मगर कई सौ साल पहले एक उपन्यास के काल्पनिक पात्र को लेकर बवाल और विवाद किया जा रहा है।
Published: 28 Nov 2017, 12:25 PM IST
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Published: 28 Nov 2017, 12:25 PM IST