सिनेमा

कोरोना महामारी में मानसिक दबाव और शारीरिक थकान चरम पर, कोरियाई धारावाहिक कर रही है थेरेपी का काम

कोरियाई धारावाहिक को हम ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं। मौजूदा महामारी के दौरान जब मानसिक दबाव और शारीरिक थकान अपने चरम पर हों तो ये धारावाहिक थेरेपी के रुप में काम कर रहे हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

आज मैं जब इस कॉलम को लिख रही हूं तो मैं ‘क्रैश लैन्डिंग ऑन यू’ के सात एपिसोड देख चुकी हूं। यह ड्रामा दक्षिण कोरिया के लोकप्रिय धारावाहिकों में से एक है। कोरियाई धारावाहिक ‘के ड्रामा’ के रूप में लोकप्रिय हैं और इन्हें हम ओटीटी प्लेटफॉर्म पर देख सकते हैं। मेरे कई मित्रों ने यह सलाह दी कि मुझे इन धारावाहिकों की एक नियमित खुराक लेती रहनी चाहिए और यह आश्वासन दिया कि मौजूदा महामारी के दौरान जब मानसिक दबाव और शारीरिक थकान अपने चरम पर हों तो ये थेरेपी का काम करते हैं।

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एक मित्र ने आश्वासन दिलाया कि “तुम जिस मानसिक संतुलन की तलाश कर रही हो , वह तुम्हें कोरियाई ड्रामा (के ड्रामा) से मिलेगा। और दूसरी मित्र ने कहा, “यह तुम्हें बहुत शांत कर देगा।” वह जब भी उदास या हताश महसूस करती हैं तो इन कोरियाई ड्रामाओं को सिंकारा की तरह लेती हैं, इससे उन्हें काफी ऊर्जा मिलती है। एक और मित्र ने बताया कि कैसे कोरियाई ड्रामा के सहारे उन्होंने 2020 का वर्ष निकाला और 2021 भी वह इन्हीं के सहारे काट रही हैं।

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जब मैंने ‘क्रैश लैन्डिंग ऑन यू’ के पहले दो-चार एपिसोड देखे तो मैंने लगभग हामी में सिर हिलाया। वर्तमान में इस धारावाहिक की स्ट्रीमिंग नेटफ्लिक्स पर हो रही है। यह धारावाहिक दक्षिण कोरिया की एक अमीर, महत्वाकांक्षी और विशिष्ट वर्ग से तालुल्क रखने वाली व्यवसायी महिला यून से-री (सोन ये-जिन ने यह किरदार निभाया है) के बारे में है जो पैराग्लाइडिंग करते हुए एक तूफान में फंस जाती है और उत्तर कोरिया में क्रैश लैंड कर जाती है। वहां उसकी मुलाकात कैप्टन री ज्यों-ह्योक (ह्यून बिन ने यह किरदार निभाया है) से होती है जो उसे बचाता है और उसे सुरक्षित तरीके से वापस उसके देश पहुंचाना अपना मकसद बना लेता है।

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शुरुआत में मेरा रवैया काफी संशयात्मक था क्योंकि यह धारावाहिक कहानी और उसके बताने के तरीके में बिल्कुल हिंदी सिनेमा जैसा ही था। बहुत सारे चरित्र अतिशयोक्ति से भरे थे, भविष्य में घटने वाली घटनाओं का पूर्वानुमान लगाया जा सकता था, भावनाओं का बहाव जाना-पहचाना था और हास्य बहुत ही मुखर था। से-री के परिवार की राजनीति बहुत जानी पहचानी थी- जैसे उनके सौतेले भाइयों की नफरत, विशेषकर तब जब उसके पिता परिवार के इतने बड़े व्यवसाय को अकेले उसे (से-री) ही संभालने की इजाजत देते हैं।

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विपरीत स्वभाव वाले लोग हमेशा एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं, जैसे बहुत बातूनी लड़की और गंभीर लड़का। इस ड्रामा में देखा जाने वाला रोमांस बार-बार हिंदी फिल्मों की याद दिलाता है- जैसे ‘शोले’ में बंसती और वीरू और ‘जब वी मेट’ में गीत एवं आदित्य।

धीरे-धीरे मैंने अपने आपको को इसी बिल में उतरते पाया लेकिन अच्छे के लिए। सामान्य क्लीशे–जैसे दो सुंदर दिखते लोग किस्मत से एक साथ आ मिले, उन्हें लोगों के सामने जबरदस्ती एक-दूसरे का मंगेतर बन कर आना पड़ा, अचानक से की गई पहली किस, लगातार चलने वाली मस्ती, हंसी-मजाक और फ्लर्टेशन पर धीरे- धीरे बढ़ने वाली प्रेम कथा दिल को छू जाती है।

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ट्विटर पर होने वाली बातचीत में इस ड्रामा को “वीर जारा ऑफ कोरिया” के नाम से बुलाया जाता है। सही भी है क्योंकि यह कहानी सीमा के आर-पार होने वाले रोमांस पर आधारित है। लेकिन मैं इसे ‘बजरंगी भाईजान’ की तरह देखना चाहूंगी जिसमें सलमान खान एक छोटी-सी बच्ची को उसके परिवार से मिलाने के लिए पाकिस्तान तक चले जाते हैं। यहां कैप्टन री पूरी तरह से प्रयासरत है कि वह किसी भी प्रकार से-री को दक्षिण कोरिया वापस पहुंचा सके। भारतीय फिल्म ‘बजरंगी भाईजान’ की तरह ही जिसके कुछ हिस्सेपाकिस्तान में फिल्माए गए थे, यह दक्षिण कोरियाई धारावाहिक लगता है कि पूरी तरह उत्तर कोरिया में ही दर्शाया गया है।

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जो सबसे अच्छी बात है, वह यह है कि उत्तर कोरिया को दर्शाते हुए किसी भी तरह के द्वेषपूर्ण भाव को नहीं रखा गया है, उसके लोगों को लेकर कोई भय और आतंक का चित्रण नहीं किया गया है। से-री के कैप्टन के चार पेट्रोल अफसरों या फिर गांव की महिलाओं के साथ संबंध वैसी ही संवेदनशीलता से संभाले गए हैं जैसे कि स्वयं कैप्टन के साथ। यह बात दिल को छू जाती है कि तथाकथित अन्य का चित्रण कितना सकारात्मक किया गया है। दो देशों के बीच अंतर्निहित शत्रुता के बावजूद हाल ही में दोनों को एक-दूसरे की तरफ गर्मजोशी दिखाते हुए देखा गया है। ‘क्रैश लैन्डिंग ऑन यू’ केवल शांति और भाईचारे के बारे में नहीं है बल्कि उसमें दो कोरियाई देशों के एक होने की उम्मीद है जैसा किसे-री बार-बार कहती है।

जैसे ही मैं आठवें एपिसोड तक पहुंची और भारत में पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के परिणामों के घोषणा हुई तो मैंने पाया कि इस धारावाहिक की प्रतिध्वनिचारों ओर सुनाई दे रही है, विशेषकर कैप्टन री के किरदार की। जहां हमारा राजनीतिक वर्ग एक-दूसरे को भद्दे तरीके से संबोधित कर रहा है, जैसे कि बंगाल के चुनाव अभियान में बहुत ही खराब तरीके से नरेंद्र मोदी का ‘दीदी-ओ- दीदी’ कहना (यह माना जा रहा है कि बंगाल में बीजेपी की हार का यह भी एक कारण है), वहीं कैप्टन री एकदम उलट उदाहरण प्रस्तुत करते हैं, विशेषकर जब वह स्त्रियों से मुखातिब होते हैं। मेरी एक दोस्त ने कैप्टन री को ‘पवन का झोंका’ कहा और दूसरी ने कहा कि“कैप्टन री को देखकर आपको अच्छा लगेगा।”

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मुद्दा महिलाओं के लिए सम्मान का है। यह किसी भी रूपसे किसी पर कृपा करने की बात नहीं है। जब हम किसी महिला को संरक्षण देते हैं तो यह सुनिश्चित होना चाहिए कि इस प्रक्रिया में हम उस महिला के आत्मसम्मान को ठेस न पहुंचाएं। से-री एक स्वतंत्र महिला है और बनी रहती है जो अपने ही दिमाग से सोचती है। अगर कैप्टन री उसके लिए सीने पर गोली खाकर उसे बचाता है तो बदले में रक्तदान करके वह भी उसे बचाती है। यह स्वतः ही होने वाला आदान-प्रदान है जो समान होता और बहुत प्यारा होता है।

मेरे लिए कैप्टन री संवेदनशीलता का मानवीकरण है। यह वह गुण है जो तब हमारा साथ देता है जब चारों ओर हमारी तरफ नफरत और जहर फैल रहा होता है। हमारे चारों ओर विपदाओं के घेरे के बावजूद यह गुण सैद्धांतिक रूप से हमारे अंदर से सबसे बेहतरीन क्षमता को बाहर निकालने और हमको एक-दूसरे के साथ जोड़े रखने में सहायक होता है।

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एक तरफ हमारे सामने एक कैप्टन है जो अपने अफसरों और से-री की तरफ समान रूपसे समर्पित है और वहीं हमारे सिर पर ऐसे नेता सवार हैं जिन्होंने लगता है कि वोटों के लालच में एक बहुत बड़ी आबादी को भुला दिया है और अब उन्हें समझ नहीं आ रहा कि इस महामारी रूपी आपदा को कैसे नियंत्रित करें। जहां नेतृत्व के नाम पर हमारे सामने एक शून्य है, वहीं कैप्टन री के रूप में हमें हमारे सपनों का आसरा दिखता है।

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