बॉलीवुड के शहंशाह यानी अमिताभ बच्चन के आगामी जन्मदिन और उनके 77वें साल में प्रवेश करने को लेकर दुनियाभर में उनके प्रशंसक जश्न मना रहे हैं। अब इस मौके पर उनके पहले एक्टिंग गुरु फ्रैंक ठाकुर दास को याद न किया जाए, ऐसा हो नहीं सकता। दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कॉलेज के ड्रामा शिक्षक फ्रैंक ठाकुर दास ने अगर शर्मीले और मितभाषी अमिताभ बच्चन को कॉलेज की ड्रामा सोसायटी में होने वाले कार्यक्रमों में भाग लेने को नहीं कहा होता, तो शायद फिल्म प्रेमी उन्हें कभी बड़े पर्दे पर नहीं देख पाते।
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केएम कॉलेज के बीएससी के छात्र अमिताभ बच्चन का जीवन फ्रैंक ठाकुरदास के साथ हुई मुलाकात ने पूरी तरह बदल दिया। अमिताभ बच्चन ने केएम कॉलेज में साल 1959 से 1962 तक शिक्षा प्राप्त की थी।
हर वक्त काम में लगे रहने वाले पंजाबी ईसाई फ्रैंक ठाकुर दास केएम कॉलेज में कई अहम भूमिकाएं निभाते थे। एक कुशल अंग्रेजी शिक्षक होने के साथ ही उनका कॉलेज ड्रामा सोसायटी में भी अहम स्थान था। साल 2017 में दिए गए एक साक्षात्कार में अमिताभ बच्चन ने उन्हें याद करते हुए बताया था, "मुझे आज भी याद है कि प्रोफेसर फ्रैंक ठाकुर दास ने मुझसे कॉलेज के ड्रामा सोसायटी द्वारा आयोजित नाटकों में बिना देर किए भाग लेने के लिए कहा था।" बिग बी ने आगे बताया था, "पहली मुलाकात में ही वे मेरे उस्ताद बन गए थे। उनकी वजह से ही मैंने थियेटर की दुनिया की एबीसी, जैसे स्टेज पर कैसे बोलना होता है और अभिनय के दौरान किरदारों के हाव-भाव को कैसे प्रदर्शित किया जाता है, सीखा था। वह शानदार अभिनेता और निर्देशक थे।"
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अमिताभ बच्चन ने फिर जब अंग्रेजी और हिंदी नाटकों में पूरे उत्साह, समर्पण और एक ध्येय के साथ भाग लेना शुरू किया तो उसके बाद फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे लगे। केएम कॉलेज ड्रामा सोसायटी सिर्फ कॉलेज और दिल्ली विश्वविद्यालय में ही नहीं, बल्कि दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में अपने नाटकों का मंचन करती थी और अमिताभ इसके अभिन्न अंग थे।
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अमिताभ बच्चन उनके पहले ऐसे छात्र थे, जिन्होंने अभिनेता के तौर पर महान प्रगति की। इसके बाद फ्रैंक ठाकुरदास ने शक्ति कपूर, सतीश कौशिक और कुलभूषण खरबंदा जैसे बॉलीवुड के कई सितारों के करियर को आकार दिया। वे सभी उनके एहसानमंद है, क्योंकि उन्होंने सभी को सीखने के पर्याप्त मौके दिए।
'मिस्टर इंडिया' में 'कैलेंडर' के किरदार और 'दीवाना मस्ताना' में पप्पू पेजर के रूप में लोकप्रियता हासिल करने वाले प्रसिद्ध निर्देशक सतीश कौशिक ने उनके बारे में कहा, "70 के दशक में मैंने जब केएम कॉलेज में दाखिला लिया, तब वे वहां थे और प्रभावशाली ढंग से उनकी उपस्थिति महसूस होती थी। मुझे इस बात की जानकारी थी कि फ्रैंक सर ने अमिताभ बच्चन को प्रशिक्षण दिया था। हालांकि वे उन लोगों में से नहीं थे, जो किसी और की प्रसिद्धि का श्रेय खुद लेते थे। उनसे हम जब भी अमिताभ बच्चन के बारे में बाते करते थे, तो वे बस इतना कहते थे, 'उनमें सीखने की काफी लगन थी और वह हमेशा प्रयोग करने के लिए लालायित रहते थे। उन्हें एक न एक दिन ऊंचाईयों को छूना ही था।' हालांकि उन्होंने इस बात का कभी दावा नहीं किया कि उन्होंने ही अमिताभ को दिशा दिखाई थी।"
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अपने कॉलेज को छोड़ने के इतने साल बाद भी अमिताभ फ्रैंक ठाकुरदास का आभार मानते हैं कि उन्होंने मिरांडा हाउस कॉलेज के एकांकी नाटक में भाग लेने के लिए उनका नाम दिया था। दो साल पहले कॉलेज के दिनों को याद करते हुए अभिताभ ने मुस्कुराते हुए कहा था, "मैं यह कैसे भूल सकता हूं कि उन्होंने ही मिरांडा हाउस में एकांकी नाटक में भाग लेने के लिए मेरा नाम भेजा था।"
लंबे व रूपवान फ्रैंक ठाकुरदास जिंदादिल शिक्षक थे, जो अपने पुराने और वर्तमान छात्रों के लिए हमेशा उपलब्ध रहते थे। उनकी जिंदगी उनके छात्रों के इर्द-गिर्द ही घूमती थी। मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (एमएएनयूयू) के कुलाधिपति डॉ. फिरोज बख्त अहमद ने उनके बारे में बताया, "साल 1975 में फ्रैंक सर मेरे शिक्षक थे। वह हमें अंग्रेजी कविता पढ़ाते थे। वह अंग्रेजी कविता और नाटकों के बारे में सब कुछ जानते थे। शेक्सपियर, रुडयार्ड किपलिंग, रॉबर्ट बर्न्स, ऑस्कर वाइल्ड, जॉन मिल्टन, जॉन कीट्स पर उनकी अच्छी पकड़ थी। हमारी कक्षाएं लेने के बाद, वह अपने छात्रों के साथ हिंदी नाटक की रिहर्सल के लिए दौड़ पड़ते थे।"
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उन्होंने आगे कहा, "वह बहुत ही अच्छे पंजाबी गायक भी थे, जिन्होंने समर्पण की भावना के साथ छात्रों की कई पीढ़ियों को प्रशिक्षित किया और किरोड़ीमल कॉलेज के नाटक, वाद-विवाद और संगीत की प्रतिष्ठा स्थापित की।"
निश्चित तौर पर, फ्रैंक ठाकुरदास एक महान शिक्षक और सलाहकार थे। केएम कॉलेज में उनके नाम पर बना ऑडिटोरियम जब खस्ताहाल था और उसे मरम्मत की तत्काल जरूरत थी, तब अमिताभ बच्चन ने खुद आगे बढ़कर 51 लाख रुपये दान दिए थे, ताकि इसे भव्य तरीके से बनाया जा सके।
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सिर्फ अमिताभ बच्चन ने ही नहीं, फ्रैंक ठाकुर दास के कई छात्रों ने कॉलेज ऑडिटोरियम के लिए धनराशि की सहायता की थी।
फिल्म लेखक और आलोचक फजले गुफरान कहते हैं, "अत्यंत दुख की बात है कि कुछ लोगों को उनके किए का श्रेय नहीं मिलता है। फ्रैंक ठाकुर दास उन लोगों में से थे, जिनकी कीर्ति के बारे में किसी ने नहीं सुना। उन पर किसी को बायोग्राफी लिखनी चाहिए और अमिताभ बच्चन को उसकी प्रस्तावना लिखनी चाहिए, ताकि फिल्म के शौकीनों को एक महान शिक्षक के जीवन और समय के बारे में पता चल सके।"
अमिताभ बच्चन आगामी 11 अक्टूबर को 77 साल के हो जाएंगे, लेकिन इस अवसर पर सुपरस्टार का अपने जन्मदिन को धूम-धड़ाके से मनाने का कोई ईरादा नहीं हैं।
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अपने प्रशंसकों से अपने अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करने के लिए विनम्रतापूर्वक अनुरोध करते हुए बिग बी ने कहा, "इसमें जश्न मनाने जैसा क्या है? यह भी एक सामान्य दिन की तरह है। मैं आभारी हूं कि मैं अभी भी काम कर रहा हूं और मेरा शरीर मेरी आत्मा के साथ तालमेल बिठाए रखने में सक्षम है।"
अपने आगामी जन्मदिन को लेकर बिग बी ने अपने पुराने दिनों को याद किया जब उनके पिता और दिवंगत कवि हरिवंश राय बच्चन उनके जन्मदिन पर उनके लिए एक कविता लिखते थे और उन्हें सुनाते थे।
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पुराने दिनों को याद करते हुए बिग बी ने कहा, "यह परिवार की एक परंपरा थी। लेकिन, इस परंपरा को नई परिभाषा तब मिली जब, 1984 में मेरे साथ हुई जानलेवा दुर्घटना के बाद मेरे पिता ने मेरे जन्मदिन पर कविता सुनाई थी। वह मेरे लिए एक नई जिंदगी पाने जैसा था। कविता पढ़ने के दौरान मेरे पिता टूट से गए थे। ऐसा पहली बार था, जब मैंने उन्हें इस तरह टूटते हुए देखा था।"
बिग बी ने कहा कि समय के साथ बहुत सी चीजें बदल गई हैं, और जन्मदिन की रस्में भी। उन्होंने कहा, "मैं अपने पिता की कविता को बहुत याद करता हूं और उस दिन जिस तरह मेरी मां उत्साहित रहती थी, उसकी भी बहुत याद आती है। अब हर साल केक काटने के रिवाज में मुझे दिलचस्पी नहीं रही। इसकी जगह सूखे मेवों की प्लेट ने ले ली है।"
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उनसे उनके अधूरे सपने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया, "कई सारे हैं! मैं पियानो बजाना चाहता हूं। मैं कई भाषाएं सीखना चाहता हूं। मैं गुरुदत्त के साथ काम करना चाहता था।"
वहीं, उनसे पूछे जाने पर कि उनकी कौन सी ऐसी फिल्म है, जिसका वे रीमेक बनाना चाहते हैं, उन्होंने कहा, "कोई भी नहीं। जो फिल्में बन चुकी हैं, उसे फिर से बनाने जैसा क्या है। उसके आगे क्यों नहीं सोचा जा सकता?"
फिल्म 'गुलाबो सिताबो' में उनके सह-कलाकार आयुष्मान खुराना ने हाल ही में उन्हें लेकर कहा था, "वह 24 साल के युवा की सोच रखने वाले 77 वर्षीय व्यक्ति हैं।"
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बुसान इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में ख्याति प्राप्त करने के बाद अभिनेता नवाजुद्दीन सिद्दिकी स्टारर फिल्म 'रोम रोम में' की स्क्रीनिंग रोम फिल्म फेस्ट में की जाएगी। अपने प्रशंसकों के साथ यह खबर साझा करते हुए नवाजुद्दीन ने इंस्टाग्राम पर लिखा, "सभी राहें रोम की ओर जा रही हैं। हमारा आखिरी पड़ाव वहां है जहां से यह सब शुरू हुआ रोम फिल्म फेस्टिवल..15 अक्टूबर.. हम आ रहे हैं 'रोम रोम में' के साथ।"
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इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म से अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी निर्देशन में कदम रख रही हैं। फिल्म में वेलेनटिना कोर्टी, ईशा तलवार, फ्रांसिस्को अपोलोनी, उरबानो बारबेरिनी, पामेला विलोरेसी और एंड्रिया स्कारडुजियो भी हैं।
'रोम रोम में' में एक बहुभाषी फिल्म है, जो हिंदी, अंग्रेजी और इटालियन भाषा में बनाई गई है।
14वें रोम फिल्म फेस्ट का आयोजन 17 अक्टूबर से 27 अक्टूबर तक किया जाएगा।
(आईएएनएस इनपुट के साथ)
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