न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंडर्ड अथॉरिटी (एनबीएसए) ने 31 अगस्त, 2017 के अपने फैसले में साफ तौर पर कहा है कि जी न्यूज चैनल वैज्ञानिक और शायर गौहर रजा के खिलाफ दुर्भानापूर्ण खबर चलाने का दोषी है। अथॉरिटी ने उसे अपने चैनल पर अंग्रेजी और हिंदी दोनों में लिखित माफी टेलीकास्ट करने का आदेश दिया है। फैसले में माफी का मसौदा भी दिया गया है और इसे धीरे-धीरे वॉयस ओवर के साथ चलाने का निर्देश दिया गया है। अब देखना है कि 8 सितंबर 2017 को रात 9 बजे जी न्यूज चैनल माफी मांगता है जैसा कि फैसले में कहा गया है। खबरों में कहा है कि जी न्यूज ने इस फैसले को चुनौती देगा।
Published: 02 Sep 2017, 4:33 PM IST
अगर जी न्यूज इस फैसले को चुनौती देने की बात कर रहा है तो इसका सीधा मतलब यह है कि 8 सितंबर को माफीनामा दिखाने की मंशा नहीं है। ऐसे में लग रहा है कि जी न्यूज सीधे-सीधे अथॉरिटी को ठेंगा दिखा रही है। न्यूज ब्रॉडकास्टिंग स्टैंटर्ड अथॉरिटी खुद ब्रॉडकास्टर्स द्वारा बनाई गई संस्था है, ताकि वह खुद का नियमन कर सके। अगर इसके फैसले ही न्यूज चैनल नहीं मानेंगे तो ऐसे फैसलों का औचित्य ही क्या रह जाएगा।
गौहर रजा के खिलाफ जी न्यूज ने 9, 10,11, 12 मार्च, 2016 को तकरीबन दिन भर विद्वेष से भरा कार्यक्रम ‘अफजल प्रेमी गैंग का मुशायरा’ दिखाया। उनके प्रति नफरत फैलाने वाले और उनकी छवि खराब करने वाले इस कार्यक्रम में गौहर रजा को देशद्रोही शायर के तौर पर दिखाने की कोशिश की गई। अब एनबीएसए ने अपने फैसले में जी न्यूज को महज एक दिन 8 सितंबर को ये माफीनामा दिखाने का आदेश दिया है। अब सवाल यह उठता है कि जिस तरह चार दिन जी न्यूज ने गौहर रजा के खिलाफ कार्यक्रम चलाया और इस कार्यक्रम को प्रोमो, टिकर भी दिन भर चलाता रहा, क्या उसी तर्ज पर जी न्यूज को ये माफीनामा भी दिखाने के लिए नहीं कहा जा सकती थी? आखिर अथॉरिटी ने अपने फैसले में इतनी हिम्मत क्यों नहीं दिखाई? अगर इस तरह का साहसिक और न्यायपूर्ण फैसला अथॉरिटी ने दिया होता तो वह एक नजीर बन सकता था। आगे इस तरह के द्वेषपूर्ण और गलत जानकारी देने वाले कार्यक्रम चलाने से जी न्यूज के अलावा दूसरे चैनल भी बचते।
Published: 02 Sep 2017, 4:33 PM IST
एक साल से अधिक समय से इस जंग को लड़ रहे वैज्ञानिक और शायर गौहर रजा ने नवजीवन को उन्होंने बताया, ‘ये एक तरह से मेरे कत्ल की साजिश थी। किसी को भी पाक समर्थक, अफजल समर्थक कहना और वह भी एक मुसलमान को उसे खत्म कर देना है। मैं जानता हूं कि जी न्यूज ने जो अपराध किया है, उसकी तुलना में यह फैसला कुछ नहीं है, लेकिन इतना भी वे दिखा दें तो कम से कम मीडिया में यह संदेश जाएगा कि माफी मांगनी पड़ती हैं। इतना भी अगर हो जाता है, तो मुझे लगेगा कि लड़ना बेकार नहीं गया।’
इस मामले में गौहर रजा की तरफ से पैरवी करने वाली वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा, ‘इस फैसले का दूर तक असर पड़ेगा। जी न्यूज के माफी मांगने से नफरत फैलाने वालों के ऊपर लगाम लगेगी।’
पूरा घटनाक्रम
9 मार्च, 2016: जी न्यूज चैनल ने एक कार्यक्रम दिखाना शुरू किया –अफजल प्रेमी गैंग की मुशायरा। इसमें गौहर रजा को एक नज्म पढ़ते हुए दिखाया गया, जो उन्होंने 5 मार्च 2016 को 51वें शंकर शाद (भारत-पाक) मुशायरे में पढ़ी थी।
15 मार्च, 2016: गौहर रजा ने इसके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।
4 अप्रैल, 2016: अशोक वाजपेयी, शुभा मुद्गल, शर्मिला टैगौर और डॉ सईदा हमीद ने एनबीएसए में इस मामले में शिकायत दर्ज कराई।
31 अगस्त, 2017: एनबीएसए के अध्यक्ष जस्टिस (सेवानिवृत्त) आर वी रवींद्रन ने फैसला सुनाया। जी न्यूज को दोषी पाया गया और माफी मांगने को कहा गया। एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया और फैसले के 7 दिन के भीतर एनबीएसए में जमा करने को कहा गया है।
Published: 02 Sep 2017, 4:33 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 02 Sep 2017, 4:33 PM IST