मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज 1 फरवरी को आम बजट पेश कर दिया। बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री ने कई बड़े दावे किए और करदाताओं का ख्याल रखने का दावा किया। लेकिन सच्चाई यह है कि मोदी सरकार के आखिरी पूर्ण बजट से देश के वेतनभोगी वर्ग को करारा झटका लगा है। मंहगाई से बेहाल आम लोगों की उम्मीदों के उलट सरकार ने टैक्स में कोई विशेष छूट नहीं देते हुए टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है। हालांकि, स्टैंडर्ड डिडक्शन के प्रावधान के नाम पर ट्रांसपोर्ट और मेडिकल खर्च के बदले 40 हजार रुपये तक की राहत दी गई है। इसका अर्थ यह है कि करदाता की कुल आमदनी से 40 हजार रुपये घटाकर आयकर का आकलन किया जाएगा। वित्त मंत्री ने वेतनभोगी वर्ग को स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा से राजस्व को 8,000 करोड़ रुपये के नुकसान का दावा किया।
लेकिन, सच्चाई यह है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन देकर सरकार ने बहुत कुछ वापस ले लिया है। इससे जो बचत इधर होगी वह उधर से निकल जाएगी। स्टैंडर्ड डिडक्शन के नाम पर राहत देकर सरकार ने ट्रांसपोर्ट भत्ता, मेडिकल रींबर्समेंट और अन्य भत्ते छिन लिए हैं। अभी तक हर वित्त वर्ष में 15 हजार रुपये तक का मेडिकल बिल टैक्स फ्री होता है। ट्रांसपोर्ट भत्ते के तौर पर हर वित्त वर्ष में कर्मचारियों को 19200 रुपये की छूट मिलती है। इस तरह से इन दोनों भत्तों के छिन जाने से टैक्स छूट वाली आय की सीमा सिर्फ 5800 रुपये बढ़ेगी। यानी अब ढाई लाख की बजाय 2 लाख 55 हजार 800 रुपये तक की सालाना आमदनी टैक्स फ्री होगी।
हालांकि, यह बचत हर कर्मचारी के टैक्स स्लैब पर निर्भर करेगी। अब तक जो लोग 5 प्रतिशत टैक्स चुका रहे थे, वे इस स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद टैक्स में सिर्फ 290 रुपये की छूट पाएंगे। वहीं 20 प्रतिशत तक टैक्स का भुगतान करने वालों को 1160 रुपये और 30 प्रतिशत टैक्स देने वालों को 1740 रुपये की बचत होगी।
खास बात यह है कि इस बचत आकलन में इनकम टैक्स पर लगने वाले 3 प्रतिशत सेस को नहीं जोड़ा गया है। इस बजट में इसे बढ़ाकर 4 प्रतिशत कर दिया गया है। संभावना है कि सेस के बढ़ने के बाद कर्मचारियों द्वारा चुकाया जाने वाला इनकम टैक्स बढ़ सकता है। जानकारों का कहना है कि सेस में वृद्धि की वजह से टैक्स में इस बचत का लोगों को कोई लाभ नहीं होगा। क्योंकि जिनकी आय 5 लाख रुपये से ज्यादा है, उनकी आय पर स्टैंडर्ड डिडक्शन लगाने और अन्य भत्ते हटाने और सेस में बढ़ोत्तरी से उन्हें अब ज्यादा टैक्स भरना होगा।
बता दें कि स्टैंडर्ड डिडक्शन वह रकम है जिसे टैक्स का आकलन करने के लिए कुल सालाना आय में से घटा दिया जाता है। सरकार ने 2018 के बजट में जिस स्टैंडर्ड डिडक्शन का प्रावधान किया है, उसे तत्कालीन यूपीए सरकार के वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 2005-06 के बजट में हटा दिया था।
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